Lagatar Desk
भारत में शिक्षा की स्थिति काफी खराब है. सरकारी स्कूल बदहाल हैं. सरकारी स्कूल बंद हो रहे हैं. निजी व कारपोरेट स्कूलों का कॉकटेल शिक्षा को आम लोगों से दूर करता जा रहा है. लेकिन इस विषय पर ना अखबार में, ना टीवी पर, ना कहीं और कोई चर्चा होती दिखती है. दिल्ली सरकार के पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने इसे लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस AI Grok से बातचीत की. चर्चा की. पढिये, हू-ब-हू चर्चा.
नमस्कार @Grok,
जैसा वादा किया था, आइए आज चर्चा करें कि दिल्ली में पिछले 10 वर्षों में लागू किए गए शैक्षिक सुधारों की तर्ज़ पर भारत की शिक्षा व्यवस्था को कैसे बदला जा सकता है.
जब हमने दिल्ली में शुरुआत की, तो हमारे सामने एक बहुत बड़ा काम था- वर्षों की उपेक्षा और गलत प्राथमिकताओं ने दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को लगभग खंडहर बना दिया था. ठीक वैसा ही हाल आज हमें देश के बहुत से हिस्सों में देखने को मिलता है.
हमें शुरू से ही समझ आ गया था कि सिर्फ इमारतें सुधारने से बदलाव नहीं आएगा. हमने बुनियादी ढांचा सुधारा, लेकिन उसके साथ-साथ हमने टीचर्स ट्रेनिंग पर ज़ोर दिया, छात्रों में आत्मविश्वास जगाने के लिए हैप्पीनेस करिकुलम, बिज़नेस ब्लास्टर्स जैसे नए कोर्स शुरू किए. और उनके नतीजे भी निकले. बात सिर्फ़ बोर्ड के नतीजों के 83% से 99% पहुंच जाने की नहीं है. इन सब प्रयासों की बदौलत बच्चे NEET और JEE जैसे Exam पास करने लगे. दुनिया की best यूनिवर्सिटी में पढ़ने का मौक़ा तलाशने लगे. बड़े बड़े बिज़नेस आइडियाज़ पर काम करने लगे.
दुख होता है जब हम देखते हैं कि आज भी भारत के लाखों बच्चे एक ऐसी टूटी-फूटी शिक्षा व्यवस्था का शिकार हैं, जबकि बदलाव मुमकिन है. भारत सदियों से ज्ञान की धरती रहा है- ऐसे में आज की स्थिति विडंबना नहीं तो और क्या है?
जब हम दुनिया की तरफ देखते हैं, खासकर पश्चिमी देशों की ओर, तो साफ़ नजर आता है कि उन्होंने कैसे अपनी शिक्षा व्यवस्था को मज़बूत बनाया और आगे बढ़े.
दिल्ली में शिक्षा मंत्री के रूप में मेरे वर्षों के अनुभव ने मुझे सिखाया है कि सुनियोजित योजना और लगातार प्रयास ही बदलाव की कुंजी हैं.
तो @Grok आपके अनुसार, देशभर के सरकारी स्कूल आज भी संकट में क्यों हैं? 1947 में आज़ादी के देश में कितने सरकारी और कितने प्राइवेट स्कूल थे? उसमें कितने बच्चे पढ़ते थे? और उस समय के कुल बच्चों का कितना प्रतिशत स्कूल जाता था?
बात यहां से शुरू करेंगे.
नमस्कार msisodia,
1947 में भारत में लगभग 1.4 लाख स्कूल थे, ज्यादातर सरकारी (निजी कम थे, सटीक आंकड़ा उपलब्ध नहीं). इनमें करीब 1.4 करोड़ बच्चे पढ़ते थे. कुल बच्चों (6-14 वर्ष) का लगभग 20-25% स्कूल जाता था (साक्षरता दर 12%).
सरकारी स्कूल आज भी संकट में हैं क्योंकि अपर्याप्त फंडिंग, शिक्षक कमी, बुनियादी ढांचे की कमी, भ्रष्टाचार और राजनीतिक हस्तक्षेप से गुणवत्ता प्रभावित है. निजी स्कूलों की ओर पलायन बढ़ा है. दिल्ली मॉडल राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने से बदलाव संभव। चर्चा जारी रखें?
धन्यवाद @Grok,
पिछले 10 साल मैंने सिर्फ नीति पढ़ने में नहीं, उसे ज़मीन पर बदलने में लगाए हैं- धूल भरी ब्लैकबोर्ड से स्मार्ट क्लासरूम तक, निराश उपेक्षित शिक्षकों से लेकर नेशनल अचीवर्स तक.
दिल्ली का एजुकेशन मॉडल कोई सरकारी स्कीम नहीं, ये लाखों परिवारों की जीती-जागती उम्मीद है- जिन्होंने एक बार फिर सपने देखना शुरू किया.
आज मैं ये बदलाव कैसे हुआ, और उससे भी ज़्यादा- पूरा भारत एक वर्ल्ड-क्लास पब्लिक एजुकेशन सिस्टम कैसे बना सकता है- यही चर्चा करने आया हूँ.
जब हमने दिल्ली में शिक्षा सुधार की शुरुआत की, लोग हंसते थे - कहते थे “सरकारी स्कूल कभी नहीं सुधर सकते.” आज लाखों मां-बाप गर्व से कहते हैं- “हमने अपने बच्चे का नाम सरकारी स्कूल में लिखवाया है.” ये दिल्ली बनाम बाकी राज्य नहीं है- ये एक बात साबित करने की लड़ाई है: अगर राजनीतिक इच्छाशक्ति हो, तो सरकारी स्कूलों से क्रांति निकल सकती है.
दिल्ली शिक्षा क्रांति के 7 स्तंभ
1. Infrastructure
सिर्फ दीवारें नहीं रंगीं- 25,000+ नए क्लासरूम, लैब्स, लाइब्रेरी, शौचालय तक बनाए गए.
2. Teacher Empowerment
IIM से लेकर Cambridge तक, Finland , US तक शिक्षकों को सम्मान, प्रशिक्षण और global exposure मिला.
3. Curriculum Innovation
किताबों से आगे बढ़कर Happiness, Entrepreneurship और Deshbhakti जैसे करिकुलम शुरू किए. हमारी कोशिश है कि बच्चा पढ़ाई के बाद नौकरी मांगने वाला ही नहीं अच्छी नौकरी पैदा करने वाला भी बने.
4. School Leadership & SMCs
प्रिंसिपल को CEO बनाया, माता-पिता को School Management Committee के ज़रिए भागीदार बनाया.
5. Foundational Literacy
हर बच्चे की क्लास 1 से प्रगति पर नज़र- ताकि कोई पीछे न छूटे.
6. Competitive Exams
आज हमारे सरकारी स्कूलों के बच्चे NEET, JEE, NDA में टॉप कर रहे हैं- यही असली बदलाव है.
7. Accountability
हर नतीजे को मापा गया, सार्वजनिक किया गया, और लगातार फॉलोअप हुआ.
नमस्कार msisodia,
आपके 7 स्तंभों से दिल्ली मॉडल की ताकत साफ दिखती है- इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर टीचर एम्पावरमेंट तक, NEET/JEE में सफलता वाकई क्रांतिकारी. राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने के लिए NEP 2020 के साथ जोड़ें. केंद्रीय फंडिंग बढ़ाएं- राज्य स्तर पर टीचर ट्रेनिंग अनिवार्य करें, और अकाउंटेबिलिटी के लिए डिजिटल मॉनिटरिंग. चुनौती- राजनीतिक इच्छाशक्ति और संघीय ढांचा. आपकी राय में, केंद्र-राज्य सहयोग कैसे मजबूत हो? चर्चा जारी रखें.
नमस्कार Grok,
एक सवाल जो कई लोगों के मन में है- नई शिक्षा नीति (NEP 2020) को भारत सरकार ने बड़े ज़ोर-शोर से लागू किया था.लेकिन क्या आप हमें ये बता सकते हैं:--
- अब तक कितने राज्यों ने NEP को पूरी तरह लागू किया है?
- कितने राज्यों ने इसे आंशिक रूप से अपनाया है?
- और कितने राज्य हैं जिन्होंने अभी तक कोई ठोस क़दम नहीं उठाया?
- साथ ही, क्या आप यह भी बता सकते हैं कि
- NEP लागू होने के बाद देश के अलग-अलग राज्यों में कोई ठोस उपलब्धि या परिवर्तन देखने को मिला है या नहीं?
नमस्कार msisodia,
2025 तक, NEP 2020 की स्थिति:- लगभग 15-20 राज्य (जैसे कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात) ने पूर्ण रूप से लागू किया. 5-7 राज्य (जैसे बिहार, ओडिशा) ने आंशिक रूप से अपनाया. 3-4 राज्य (तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल) ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया, विरोध जारी.
उपलब्धियां: 5+3+3+4 संरचना अपनाई गई, NIPUN भारत से साक्षरता में सुधार (ASER 2024 अनुसार), क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्यक्रम, डिजिटल प्लेटफॉर्म (DIKSHA) से ग्रामीण पहुंच बढ़ी, GER में वृद्धि (SC/ST में 50-75%)। क्या ये बदलाव दिल्ली मॉडल से जोड़े जा सकते हैं?
नमस्कार @Grok,
NEP 2020 हो या 1964 की कोठारी आयोग की रिपोर्टः- हर शिक्षा नीति एक बात ज़रूर कहती रही है: सरकार को GDP का कम से कम 6% हिस्सा शिक्षा पर खर्च करना चाहिए.
अब सवाल ये हैः-
- क्या 2020 में NEP लागू करने के बाद देश के किसी भी राज्य ने वाकई 6% का शिक्षा बजट रखा?
- आपने जिन राज्यों का ज़िक्र किया कि उन्होंने NEP लागू किया है?
- क्या उन राज्यों में से किसी ने भी इस “6% वाले वादे” को ज़मीन पर उतारा?
- और खुद केंद्र सरकार ने, जिसने NEP का झंडा उठाया, क्या उन्होंने 2021, 2022, 2023 या 2024 के बजट में कभी 6% शिक्षा पर खर्च किया?
- या फिर ये भी बाकी वादों की तरह सिर्फ किताबों तक सीमित रह गया?
- NEP की असली नाकामी का पैमाना यही होना चाहिए?
- “कितना लागू हुआ भाषण में, और कितना हुआ एक्शन में?”
आप क्या सोचते हैं ? @Grok, क्या 6% शिक्षा पर खर्च सिर्फ एक आदर्श वाक्य है, या इसे असलियत बनाने की कोई योजना भी है?
नमस्कार msisodia,
2020 के बाद कोई राज्य GDP का 6% शिक्षा पर नहीं खर्च किया. NEP लागू करने वाले राज्यों (जैसे UP, MP, गुजरात) में भी 4-5% के आसपास रहा. केंद्र ने 2021-24 में 3.5-4.6% रखा, कभी 6% नहीं छुआ.
ये 6% ज्यादातर आदर्श वाक्य ही रहा- योजना और इच्छाशक्ति की कमी से. दिल्ली मॉडल जैसा केंद्रित प्रयास राष्ट्रीय स्तर पर लागू हो तो बदलाव संभव. आपकी राय?
@Grok और यही तो असली संकट है, हम सब जानते हैं क्या करना है, पर कोई करने को तैयार नहीं.
जब तक शिक्षा सिर्फ नीतियों की फाइलों में 6% रहेगी और बजट की पंक्तियों में 3.5% ...तब तक भारत को आकांक्षाओं से यथार्थ तक लाने वाला पुल कभी नहीं बनेगा. हमने दिल्ली में दिखाया कि अगर इच्छाशक्ति हो तो सरकारी स्कूल भी उड़ान भर सकते हैं. अब ज़रूरत है कि पूरा देश उस उड़ान का हिस्सा बने. शिक्षा सिर्फ खर्च नहीं ,राष्ट्र निर्माण में निवेश है.
6% का सपना तभी हकीकत बनेगा, जब राजनीति में शिक्षा एजेंडे के पहले पन्ने पर होगी और सिर्फ भाषण में नहीं, बजट में भी.
नोटः अफसोस यह दिलचस्प चर्चा यहीं खत्म हो गई. क्योंकि इतने में ट्रोल्स ने हस्तक्षेप करना शुरु कर दिया.