नियोनोटोलॉजी सुविधाओं के विस्तार से बच रही बच्चों की जिंदगी : डॉ. राजेश कुमार Ramgarh : रोटरी क्लब के तत्वावधान में रोटरी हॉल रांची में नियोनोटोलॉजी विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया. इसका उद्घाटन मुख्य वक्ता रानी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल रांची के सीईओ प्रसिद्ध नियोनोटोलॉजिस्ट डॉ. राजेश कुमार, रोटरी के पूर्व गवर्नर व राज हॉस्पिटल रांची के सीईओ जोगेश गंभीर, प्रसिद्ध चिकित्सक व क्लब के अध्यक्ष डॉ. विनय ढानढनिया, देवकमल हॉस्पिटल के सीईओ व क्लब के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनंत सिन्हा, मानंद सचिव ललित त्रिपाठी ने संयुक्त रूप से किया. मुख्य वक्ता डॉ. राजेश कुमार ने नियोनोटोलॉजी की चुनौतियों एवं इसकी हालिया प्रगति पर चर्चा करते हुए कहा कि समय पूर्व प्रसव के मामले में बच्चे को कई तरह की गंभीर स्वास्थ्य समस्या होती है. जिसमें सांस लेने में दिक्कत, वजन का काफी कम होना, पीलिया, असामान्य शारीरिक तापमान, कार्डियेक अरेस्ट प्रमुख है. ऐसे बच्चों के लिए गहन देखभाल यूनिट की जरूरत होती है. जन्म के बाद ऐसे बच्चों को बचाने को लिए पहले रांची जैसे शहर में सुविधाएं काफी कम थी. बच्चों को कोलकाता, मुंबई जैसे शहरों में भेजना होता था. यह बहुत खर्चीला भी होता था. तब बच्चों के बच पाने का प्रतिशत बमुश्किल 50 के आसपास था. लेकिन अब रांची शहर के कई अस्पतालों में नियोनोटोलॉजी से संबंधित विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध है. इसके कारण आज करीब 80 प्रतिशत ऐसे बच्चों को बचा पाने में सफलता मिल रही है. डॉ. कुमार ने कहा कि गरीब परिवार के मामले में ऐसे केस सबसे ज्यादा पाये जाते हैं. क्योंकि महिला को गर्भावस्था के दौरान सभी जरूरी टीके नहीं लग पाते हैं. उन्हें उचित पोषण की भी कमी हो जाती है. नियोनोटोलॉजी के केस में ऐसे परिवार के ज्यादातर बच्चे का इलाज कराने में उनके अभिभावक सक्षम नहीं हो पाने के कारण पीछे हट जाते थे. डॉ. कुमार ने बताया कि वर्तमान में राज्य सरकार मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत तत्काल पांच लाख रुपये की सहायता दे रही है. योजना का लाभ लेने के लिए माता-पिता के नाम से राशन कार्ड एवं बच्चे का बर्थ सर्टिफिकेट होना अनिवार्य है. प्रसिद्ध चिकित्सक व क्लब के अध्यक्ष डॉ. विनय ढानढनिया ने कहा कि नवजात शिशुओं की मृत्य दर को कम करने के लिए जिन सुविधाओं की जरूरत है, वह शहर में उपलब्ध हो रही है. मृत्य दर को कम करने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है. रोटरी क्लब रांची और रोटरी मिड टाउन रांची के संयुक्त प्रयास के तहत क्लब द्वारा गिफ्ट ऑफ लाइफ योजना की शुरुआत की गई है. इसके अंतर्गत वैसे बच्चे जिनके दिल में सुराख है, वैसे बच्चों का ऑपरेशन कोच्चि स्थित अमृता इंस्टिट्यूट अस्पताल में कराया जाएगा. पूरी प्रक्रिया नि:शुल्क होगी. क्लब के पदाधिकारियों ने ऐसे बच्चों के अभिभावकों से क्लब से संपर्क करने की अपील की है.
डीएवी बरकाकाना में मना वन महोत्सव पखवाड़ा, पर्यावरण संरक्षण का दिया संदेश

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alt="" width="300" height="200" /> डीएवी बरकाकाना में वन महोत्सव पखवाड़ा के अवसर पर प्रकृति संरक्षण से संबंधित कई कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए. इस अवसर पर वर्ग एकादश मानविकी की सांभवी ने पर्यावरण संरक्षण के लिए किए जाने वाले उपाय और डीएवी बरकाकाना के द्वारा किए गए प्रयास को सबके सामने रखा. धरती की हरियाली को लेकर विद्यालय के बच्चों ने गीत एवं नृत्य प्रस्तुत किया. प्रकृति ने मनुष्य को संपोषित और फलित किया है. मनुष्य स्वयं में प्रकृति को खोजता है या फिर प्रकृति में स्वयं को खोजता है. इसी क्रियाकलाप को प्रकृति के विभिन्न उपादानों के रूप में फैंसी ड्रेस में बच्चों ने मिट्टी, पृथ्वी, हवा, बादल पेड़ के रूप में स्वयं को प्रस्तुत किया और पॉलिथिन, धुआं से होने वाले उनके संघर्ष को भी प्रस्तुत किया. नुक्कड़ नाटक आज अपने भाव को प्रकट करने का सशक्त माध्यम बन गया है. डीएवी के बच्चों ने पर्यावरण संरक्षण जैसे गंभीर विषय पर मनमोहक नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया.
कीटनाशक का प्रयोग न करें किसान : राजीव पोद्दार
इस अवसर पर मुख्य अतिथि राजीव पोद्दार जो तकनीकि क्षेत्र से जुड़े होने के बाद भी ऑग्रेनिक खेती के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का बीड़ा उठाया है. उन्होंने इस अवसर पर बच्चों को कीटनाशक दवाओं से होने वाले दुष्प्रभावों को बतलाते हुए कहा कि इन दवाओं के प्रभाव से हानिकारक कीड़ो के साथ-साथ लाभदायक कीड़े भी समाप्त हो जाते हैं, जिससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ जाता है और ये रसायनिक दवाएं मिट्टी की उर्वरा शक्ति को समाप्त कर देती है. मिट्टी में पाए जाने वाले केचुएं जो किसानों के मित्र होते हैं इन दवाओं के प्रभाव से नष्ट हो जाते हैं और खेती में दी गई पानी नीचे के खनिज तक नहीं पहुंच पाते हैं. इस अवसर पर विद्यालय की प्राचार्या सह क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. उर्मिला सिंह ने कहा हमारा विद्यालय परिवार विगत एक सप्ताह से समाज को यह संदेश देना चाहता है कि वनों की रक्षा पर्यावरण की रक्षा है. हमारे अस्वस्थ होने का कारण चिकित्सा सुविधा की कमी नहीं है, बल्कि हमारा खान-पान है. हम अनजाने में रसायनिक तत्वों को ग्रहण करते हैं, जो कई तरह की बीमारियों का कारण बनता है. इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि हम भोजन ग्रहण करने से पहले यह जान लें वस्तु खाने योग्य है या नहीं. उन्होंने ऑर्गेनिक खेती से उत्पन्न उत्पादों को स्वास्थ्य के लिए लाभदायक बताया और सभी बच्चों से कहा कि वे अपने घरों के छोटे स्थान में भी सब्जी लगाएं और प्रतिवर्ष कम से कम एक पेड़ लगाएं.
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