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अमेरिका, जापान, चीन और भारत सहित बड़े देशों में रिकॉर्ड तोड़ महंगाई,  वजह क्या है?

 Mumbai : अमेरिका, जापान, चीन, भारत  समेत दुनियाभर के बड़े देशों में महंगाई बढ़ने की खबरें आ रही हैं  न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार  अमेरिका में महंगाई दर बढ़कर 6.2 फीसदी हो गयी है. इसे साल 1990 के बाद की सबसे बड़ी तेजी करार दिया जा रहा है. जापान की थोक महंगाई अक्टूबर में चार दशक की ऊंचाई पर पहुंच गयी है. इससे पहले चीन में भी थोक कीमतों में इजाफा देखा गया था. इसकी वजह सप्लाई में परेशानी आना हैं. इसके अलावा कमोडिटी की बढ़ती कीमतों से एशिया में कॉरपोरेट्स के मुनाफे पर बुरा असर पड़ा है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार बढ़ती कीमतों के दबाव के साथ कमजोर येन ने आयातित सामान की कीमतों में बढ़ोतरी की है. इससे दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए मुश्किलें बढ़ी हैं. चीन पहले ही महामारी की वजह से हुए खरीद की दिक्कतों से बाहर निकल रहा है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि दुनियाभर में बढ़ती महंगाई का असर अब शेयर बाजार पर भी दिखने लगा है. क्योंकि अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने की आशंका तेज होती जा रही है. इसीलिए शेयर बाजार में गिरावट थम नहीं रही है. साथ ही सोने की कीमतों में तेजी लौटी आयी है. इसे भी पढ़ें : कच्चे">https://lagatar.in/effect-of-rising-crude-oil-prices-current-account-deficit-is-expected-to-increase-to-45-billion-by-march-2022/">कच्चे

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प्रोडक्ट की सप्लाई कम होने से उसकी कीमत बढ़ जायेगी

एक्सपर्ट्स  महंगाई को इन आसान शब्दों में बयां करते हैं. किसी व्यक्ति के पास ज्यादा पैसे है तो वह ज्यादा सामान खरीदेगा.  ज्यादा चीजें खरीदेगा तो वस्तुओं की डिमांड बढ़ेगी और प्रोडक्ट की सप्लाई कम होने के कारण उसकी कीमत बढ़ जायेगी. इस तरह बाजार महंगाई की चपेट में आ जाता है. अर्थशास्त्रियों की भाषा में बाजार में ज्यादा लिक्विडिटी महंगाई का कारण बनती है. इसे कम करने के लिए सेंट्रल बैंक यानी RBI ब्याज दरें बढ़ा देता है या फिर अन्य कदमों के तहत सीआरआर भी बढ़ा दिया जाता है. इससे मार्केट में पैसों का फ्लो कम हो जाता है और महंगाई नियंत्रण में आ जाती है.  कई और वजहों से भी महंगाई बढ़ती है और इसे कम करने के लिए सरकार और RBI मिलकर कदम उठाते है. इसे भी पढ़ें :  Bitcoin,">https://lagatar.in/other-cryptocurrencies-including-bitcoin-ethereum-declined-solana-jumped-1-point-55-percent/">Bitcoin,

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कोरोना महामारी से आर्थिक गतिविधियां थम गयी थी

TV9 हिंदी ने एस्कॉर्ट सिक्योरिटी के रिसर्च हेड आसिफ इकबाल के हवाले से कहा है कि कोरोना महामारी से आर्थिक गतिविधियां थम गयी थी. जिसकी वजह से आर्थिक मंदी आयी. इस क्रम में अमेरिका समेत दुनिया की सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को पटरी पर लाने के लिए राहत पैकेज की घोषणा की गयी. जमकर पैसा इन्वेस्ट किया गया. जिसकी वजह से लिक्वडिटी मार्केट में बढ़ गयी. आम आदमी के पास ज्यादा पैसा पहुंचा. ऐसे में आम आदमी की परचेजिंग पावर बढ़ गयी और सामान की सप्लाई कम हो गयी. इसी वजह से महंगाई बढ़ गयी. आसिफ इकबाल के अनुसार महंगाई बढ़ने की दूसरी प्रमुख वजह दो साल की डिमांड तीन महीने में आना है. उन्होंने समझाया, कोरोना की वजह से  दो साल से आर्थिक गतिविधियां थम गयी थी. लेकिन वैक्सीन आने के बाद कोरोना मामले घटे और आर्थिक गतिविधियां बढ़ी, तो वैसे ही आम लोगों ने अपनी जरुरत के सामान को खरीदना शुरू कर दिया. लेकिन कंपनियां इस डिमांड को पूरी नहीं कर पायी और चीजों के दाम बढ़ने लगे. इसे भी पढ़ें :   एलन">https://lagatar.in/elon-musk-sold-934000-shares-of-tesla-raised-8190-crores-by-taking-the-opinion-of-twitter-users/">एलन

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तो महंगाई बढ़ना अच्छा भी है

महंगाई का बढ़ना एक अच्छी खबर भी है. क्योंकि कोरोना के दौरान कंपनियों ने दो करोड़ से ज्यादा लोगों को नौकरी से निकाल दिया था. जैसे ही आर्थिक गतिविधियां शुरू हुई. वैसे ही तेजी से नौकरियां बढ़ी. कंपनियों ने प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए कई बड़े फैसले किये. अचानक बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए कंपनियों को मशक्क्त करनी पड़ी. इस कारण अगस्त में नौकरियां रिकॉर्ड स्तर 10.4 मिलियन को पार कर गयी. ग्राहकों के ऑर्डर बढ़ने लगे.  ज्यादा डिमांड आने लगी. इसीलिए ज्यादा लोगों की जरूरत महसूस हुई. कहा गया कि महंगाई की यह स्थिति तब तक बनी रहेगी जब तक कंपनियां उपभोक्ताओं की वस्तुओं और सेवाओं की डिमांड को बनाये रख पायेगी.

  1970 का स्टैगफ्लेशन दौर लौटने वाला है?

अर्थशास्त्री स्टैगफ्लेशन का मतलब समझाते हैं कि जब बेरोजगारी के साथ-साथ महंगाई भी ऊंचे लेवल पर रहे. पहली नजर में महंगाई और बेरोजगारी का ऊंचा स्तर या स्लो ग्रोथ की स्थिति एक तरह से एक-दूसरे से उलट नजर आते हैं. अर्थशास्त्रियों के अनुसार सन 1970 के दशक में ऐसी ही स्थिति बनी थी. तब इकनॉमिक प्रॉडक्टिविटी काफी घट गयी थी. इस दौरान बेरोजगारी के ऊंचे लेवल पर होने के साथ-साथ महंगाई भी ज्यादा थी. ‘स्टैगफ्लेशन’ टर्म का इस्तेमाल सबसे पहली 1965 में ब्रिटिश पार्ल्यामेंट में लेन मैकलॉयड द्वारा किया गया था. आसिफ के अनुसार यह कुछ कुछ वैसा ही दौर है. क्योंकि महंगाई जितनी बढ़ी है. उतनी नौकरियां नहीं बढ़ी. यह दौर अगले 6 महीने तक जारी रह सकता है. ऐसे में शेयर बाजार पर भी दबाव बढ़ सकता है. शेयर बाजार में तेजी का नया दौर जनवरी के बाद लौटने की उम्मीद है. क्योंकि लोग अब सोने और क्रिप्टोकरेंसी में तेजी से पैसा लगा रहे हैं. [wpse_comments_template]

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