Pravin Kumar Ranchi: राजधानी बनने के बाद रांची में जमीन की इच्छा हर आम और खास को होने लगी है. जमीन की चाह रखने वाले दस्तावेजों में हेराफेरी कर अपनी इच्छा पूरा कर रहे हैं. जबकि किसी भी भूमि के रांची रजिस्ट्री के पूर्व सभी भूमि के दस्तावेजों का सत्यापन भी कर लेना जारूरी है. इस संबंध में राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग ने 19 फरवरी 2016 को जमीन रजिस्ट्री में किये जा रहे फर्जीवाड़े को रोकने के लिए अधिसूचना भी जारी किया था. इस अधिसूचना की अवहेलना कर रांची रजिस्ट्रार जमीन की रजिस्ट्री कर रहे हैं. इस तरह के मामलों में रजिस्ट्री कार्यालाय में कार्यरत रजिस्टर और अन्य कर्मचारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में आती है. [caption id="attachment_15166" align="aligncenter" width="600"]

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असली लगान की रसीद[/caption] [caption id="attachment_15157" align="aligncenter" width="600"]

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कांके अंचल के डूमरदग्गा मौजा स्थित खाता नंबर 112 प्लॉट नंबर 65 रकबा 83 डिसमिल जमीन धनवा मुंडा के नाम से आरएस खतियान में दर्ज है. वहीं अंचल कार्यालय के पंजी टू के वॉल्यूम 1 तथा पेज नंबर 107 में सोहराय मुंडा वगैरा के नाम से जमाबंदी अब भी कायम है. इस भूमि के आदिवासी रैयतो के द्वारा वर्ष 2020-21 तक का लगान रसीद कटाया गया है. इसके बावजूद रजिस्ट्री कार्यालय की मिलीभगत से सीएनटी भूमि को गैर आदिवासियों के नाम रजिस्ट्री कर दिया गया. रांची में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जहां रजिस्ट्री कार्यालाय के द्वारा आंख मूद कर की गई रजिस्ट्री के कारण भूमि विवाद सामाने आ चुके हैं. [caption id="attachment_15159" align="aligncenter" width="600"]

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उपरोक्त खाते की 30 डिसमिल जमीन का निबंधन डीड नंबर 7974 एवं 7975 के द्वारा दिनांक 19 नवंबर 2019 को फर्जी तरीको से कर दिया गया. इस जमीन की रजिस्ट्री में फर्जी खतियान एवं लगान रसीद का प्रयोग किया गया है. निबंधन में जिस खतियान पंजी टू एवं रसीद का प्रयोग हुआ है उसमें शेख करामत अली वगैरह का नाम अंकित है तथा पंजी टू एवं रसीद का वॉल्यूम एक तथा पेज नंबर 111 में खाता नंबर 112, प्लॉट नंबर 65 दर्शाया गया है. जबकि मूल पंजी टू के वॉल्यूम 1 तथा पेज नंबर 111 में गोवधन महतो का नाम दर्ज है. जो कि खाता 121 से संबंधित है.
भूमि रजिस्ट्री को लेकर क्या है विभागीय आदेश
विभाग के द्वारा आदिवासी खाते की जमीन एवं अन्य वर्ग की जमीन का निबंधन के पूर्व अंचल कार्यालय से सत्यापन मूल खतियान एवं रसीद का मिलान करना अनिवार्य बनाया गया है. लेकिन इस भूमि के रजिस्ट्री के पूर्व अवर निबंधक अविनाश कुमार ने विभाग की अधिसूचना को भी दरकिनर करते हुए रजिस्ट्री किया. इस भूमि के रजिस्ट्री में निबंधन कार्यालय रांची की भूमिका भी संदेह के घेरे में आती है.
नोट- इसकी अगली किस्त मंगलवार को पढ़ें...