NewDelhi : कश्मीर का नाम कश्यप के नाम पर हो सकता है. इतिहासकारों ने कश्मीर का इतिहास पुस्तकों के जरिए बताने की कोशिश की है. मेरी इतिहासकारों से अपील है कि प्रमाण के आधार पर आप इतिहास लिखें. गृह मंत्री अमित शाह आज गुरुवार को दिल्ली में जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख थ्रू द एजेस पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में बोल रहे थे. इस क्रम में गृह मंत्री ने तंज कसते हुए कहा, 150 साल का एक दौर था, जब इतिहास का मतलब दिल्ली दरीबा से बल्ली मारान तक और लुटियन से जिमखाना तक था. इतिहास यहीं तक सीमित था.
#WATCH | Delhi: At the book launch of ‘J&K and Ladakh Through the Ages’, Union Home Minister Amit Shah says, “… The historians did what they did but now who can stop us? The nation is free and there is a government that is running according to the country’s views… It is our… pic.twitter.com/Hvyufcmy6E
— ANI (@ANI) January 2, 2025
कश्मीर में ही भारत की संस्कृति की नींव पड़ी थी
कहा कि यह समय शासकों को खुश करने के लिए लिखे गये इतिहास से खुद को मुक्त करने का है. अमित शाह ने इतिहासकारों से अपील की कि वे भारत के हजारों साल पुराने इतिहास को तथ्यों के साथ लिखें. श्री शाह ने कश्मीर के संदर्भ में कहा कि यह भारत से न टूटने वाला जोड़ है. दिलाया कि लद्दाख में मंदिर तोड़े गये, कश्मीर में आजादी के बाद काफी गलतियां हुईं, लेकिन फिर उन्हें सुधारा गया. शंकराचार्य का जिक्र करते हुए कहा कि सिल्क रूट, हेमिष मठ से साबित होता है कि कश्मीर में ही भारत की संस्कृति की नींव पड़ी थी.
सूफी, बौद्ध और शैल मठ ने कश्मीर में विकास किया
सूफी, बौद्ध और शैल मठ सभी ने कश्मीर में विकास किया. शाह ने कहा कि देश की जनता के सामने सही चीजों को रखा जाना चाहिए. आर्टिकल 370 और 35ए को लेकर कहा कि ये अनुच्छेद ऐसे थे, जिन्होंने कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने में खलल डाला. पीएम मोदी की सराहना करते हुए कहा कि उनके दृढ़ संकल्प ने आर्टिकल 370 को निरस्त कर दिया. इस कारण देश के बाकी हिस्सों के साथ-साथ कश्मीर का विकास शुरू हुआ. कहा कि आर्टिकल 370 ने घाटी में अलगाववाद के बीज बोये थे, जो बाद में आतंकवाद में बदल गये.
भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जो भू-सांस्कृतिक’देश है.
उन्होंने कहा भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जो भू-सांस्कृतिक’देश है. जिसकी सीमाएं संस्कृति के कारण परिभाषित होती हैं. कश्मीर से कन्याकुमारी, गांधार से ओडिशा और बंगाल से असम तक का जिक्र करते हुए कहा, हम अपनी संस्कृति के कारण जुड़े हुए हैं, जो लोग किसी देश को भू-राजनीतिक के रूप में परिभाषित करते हैं, वे हमारे देश को परिभाषित नहीं कर सकते.
8000 साल का पूरा इतिहास इस पुस्तक में समाहित है
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख थ्रू द एजेस को लेकर कहा कि इसमें सभी तथ्यों को विस्तार से प्रस्तुत किया गया है. कश्मीर नेपाल से अफगानिस्तान तक की बौद्ध यात्रा का भी अभिन्न अंग है. बताया कि बौद्ध धर्म से लेकर ध्वस्त मंदिरों तक, संस्कृत के प्रयोग तक, महाराजा रणजीत सिंह के शासन से लेकर डोगरा शासनकाल तक, 1947 के बाद हुई गलतियों और उनके सुधार तक, 8000 साल का पूरा इतिहास इस पुस्तक में समाहित मिलेगा,