New Delhi : अयोध्या में राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजा फहराने को लेकर पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यह भारत के अल्पसंख्यक और मुस्लिम सांस्कृतिक विरासत के लिए खतरनाक है. पाकिस्तान ने इसे मुस्लिम सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को जानबूझकर खत्म करने की कोशिश करार दिया है.
पाकिस्तान ने कहा है कि यह भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर दबाव का एक बड़ा पैटर्न है. बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भारत के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद किया गया है. मंदिर का निर्माण पूरा होने के बाद कल 25 नवंबर को पीएम मोदी ने यहां मंदिर के शिखर पर केसरिया धर्म ध्वजा की स्थापना की है.
पाकिस्तान को यह नागवार गुजरा है. विदेश मंत्रालय (पाकिस्तान) ने कहा कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद पर राम मंदिर के निर्माण और ध्वजारोहण को पाकिस्तान चिंता और गंभीरता के साथ ले रहा है.
पाकिस्तान ने कहा कि बाबरी मस्जिद सदियों पुरानी एक ऐतिहासिक इबादतगाह थी. पाकिस्तान ने 6 दिसंबर 1992 की घटना का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि भारत का सिस्टम अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करने वाला है.
अहम बात यह है कि पाकिस्तान में हिन्दुओं के ऐतिहासिक और पौराणिक धरोहर नष्ट हो रहे है और वह कह रहा है कि भारत में हिन्दुत्व की विचारधारा मुस्लिम सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को मिटाने की कोशिश कर रही है.
याद दिला दें कि पाकिस्तान में शारदा पीठ मंदिर, कराची का 150 साल पुराना जाग नाथ मंदिर, रावलपिंडी में 1930 में बना मोहन मंदिर हिन्दुओं का धार्मिक विरासत है. जो विलुप्त होने के कगार पर हैं. इन सभी जगहो पर सरकार और स्थानीय लोगों का कब्जा है.
पाकिस्तान में लगातार धार्मिक अल्पसंख्यकों के शोषण, बलात्कार और हत्याएं हो रही है. इन सब पर पाकिस्तान ने चुप्पी साध रखी है. वह भारत को नसीहत दे रहा है. वह आरोप लगा रहा है कि भारतीय मुसलमानों के साथ सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक भेदभाव किया जा रहा है.
इस क्रम में पाकिस्तान ने अतंर्राष्ट्रीय संगठनों से गुहार लगाई हो कि वे भारत में बढ़ रहे कथित इस्लामोफोबिया, हेट स्पीच और नफरत की बुनियाद पर अल्पसंख्यकों हो रहे हमलों की ओर ध्यान दें. पाकिस्तान ने इस मामले में संयुक्त राष्ट्र की शरण भी ले रहा है.
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