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जिंदगी किस्मत की बात है, लेकिन किस्मत बनाना भी उसी के हाथ है
शास्त्री जी ने सुदामा और परमात्मा की मित्रता चरित्र के कई रूपों की झांकियों का दर्शन कराया. कहा कि लोग कहते हैं जिंदगी किस्मत की बात है, लेकिन किस्मत बनाना भी उसी के हाथ है. गरीब सोचता है धनवान सुखी हैं, धनवान सोचता है राजा सुखी हैं, राजा सोचता है महाराजा सुखी हैं, महाराजा सोचता है इन्द्र सुखी हैं, इन्द्र सोचता है ब्रम्हा सुखी हैं, किन्तु गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं भगवान के भजन बिना संसार दुःखी है. अतः सुख और शांति का मार्ग परमात्मा का स्मरण ही है.भगवान श्रीहरि का रूप है भागवत कथा
alt="" width="300" height="200" /> परीक्षित मोक्ष की कथा से भागवत कथा का समापन करते हुए महाराज ने कहा कि प्रेम से मोह को जीना ही मोक्ष हैं. राजा परीक्षित ने सात दिन तक मन से कथा का श्रवण किया. भागवत कथा सुनकर परीक्षित के मन से मृत्यु का भय खत्म हो गया था. लेकिन परीक्षित को ऋषि के श्राप के कारण तक्षक नाग ने काटा और उनके जीवन का अंत हो गया. कथा के प्रभाव से उन्हें मोक्ष प्राप्त हुआ और नाम अजर-अमर हो गया. भागवत कथा साक्षात भगवान श्रीहरि का रूप है. कथा सुनकर भगवान को पाया जा सकता है. उपरोक्त कथाओं को सुनकर सभी भक्त भाव विभोर हो गए.

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