Ranchi : राजधानी में बीते कई दिनों से आंदोलन का दौर जारी है. जिसमें शिक्षक, संविदाकर्मी, बेरोजगार के अलावा नियुक्ति के इतदार में बैठे युवा हैं. इसी में एक नाम पंचायत स्वयं सेवकों का भी जुड़ गया है. जो अपने मेहनताना के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं. इन्हें प्रोत्साहन राशि दी जाती है. जो किसी सर्वे या योजना पर मिलती है. वो भी सिर्फ तीन रूपये से लेकर तीन हजार रूपये तक. जिससे मुश्किल से ही इनका गुजारा होता है.
प्रोत्साहन राशि कम होने के बावजूद भी साल 2018 से बकाया है. जिसके लिए समय-समय पर ये आंदोलन भी करते हैं. राज्य में इनकी कुल संख्या 17,729 है. पंचायत स्वयं सेवकों की नियुक्ति 2016 में ग्रामीण विकास विभाग ने की थी. उस समय सूबे में बीजेपी की सरकार थी.
पंचायत स्वयं सेवकों का कहना है कि नियुक्ति इसी शर्त पर हुई थी कि प्रोत्साहन राशि दी जायेगी. ये राशि अलग-अलग योजनाओं के लिए विभाग की ओर से दी जाती है. लेकिन 2018 के बाद से ऐसा नहीं हुआ. इनका कहना है कि फिलहाल विभाग के पास एक-एक सेवक का बकाया एक लाख से ढ़ाई लाख तक है. इसके अलावा स्वयं सेवकों ने योजनाओं के साथ चुनाव कार्य में भी अपना योगदान दिया था.
इसे भी पढ़ें –‘फीनिक्स’ की तरह अपनी राख से उठ खड़ी हुई भारतीय हॉकी, कांस्य की चमक भी है ‘सुनहरी’
किस योजना के लिए कितनी प्रोत्साहन राशि
मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में लाभुक मिलने पर दस रूपये, मुख्यमंत्री लाडली लक्ष्मी योजना का ग्रामीण लाभुकों को लाभ मिलने पर दस रूपये, स्वामी विवेकानंद निशक्त स्वावलंबन प्रोत्साहन योजना के लिये दस रूपये, मुख्यमंत्री जन वन योजना के तहत वृक्षारोपण कराने पर दस रूपये, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के सर्वे पर बीस रूपये, ईपॉश मशीन और डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर से खाद्यान्न वितरण पर प्रति लाभुक तीन रूपये, ग्राम पंचायत के विकास कार्यो में कार्यकारी दल के रूप में काम करने पर तीन हजार, पंचायतों में एलईडी बल्ब वितरण करने पर प्रति लाभुक तीन रूपये, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास कार्य होने पर प्रति आवास पांच सौ रूपये समेत स्वच्छ भारत मिशन, लघु सिंचाई समेत अन्य योजनाओं में काम लिया गया.
सरकार अधिकार दें
पंचायत सचिवालय स्वयं सेवक संघ के अध्यक्ष चंद्रदीप कुमार ने कहा कि दस अगस्त को फिर से आंदोलन की तैयारी है. पूर्व सरकार ने प्रोत्साहन राशि रोक दी. वर्तमान सरकार ने भी चुनाव में वायदा किया था, जो पूरा नहीं हो रहा. ऐसे में आठ अगस्त को अन्य संगठनों के साथ बैठक है. वहीं दस अगस्त को पंचायत स्वयं सेवकों मुख्यमंत्री आवास घेराव करेंगे.
चंद्रदीप ने कहा कि अगर सरकार ने स्वयं सेवकों को रोजगार दिया है, तो उन्हें अधिकार भी दें. मांग पांच सूत्री है. जिसमें स्वयं सेवकों की सेवा नियमित करने, प्रोत्साहन राशि को मानदेय में बदला जाये. मृत स्वयं सेवकों के परिजनों को आर्थिक सहयोग मिले समेत अन्य मांग है.
पंचायती कार्यो और प्रबंधन को करना था मजबूत
साल 2016 में पंचायत सचिवालय स्वयं सेवकों की नियुक्ति हुई. नियुक्ति ग्रामीण विकास विभाग से जारी विज्ञापन के आधार पर हुई. उद समय विज्ञापन में विभाग ने जानकारी दी थी कि पंचायतों में प्रबंधन को मजबूत करना है. गांवों में सरकारी योजनाओं की जानकारी अधिक से अधिक पहुंचे, इसके लिए स्वयं सेवकों की नियुक्ति की जानी है. जो मुखिया, पंचायत सचिव के साथ मिलकर ग्राम स्तर पर काम करेंगे.
इसे भी पढ़ें – जज मौत मामला: CBI ने शुरू की जांच, तलाशी और कुछ लोगों से हुई पूछताछ