LagatarDesk : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तीन दिवसीय मौद्रिक नीति कमेटी (एमपीसी) की बैठक आज 6 दिसंबर को समाप्त हो गयी. जो 4 दिसंबर से शुरू हुई थी. बैठक के बाद आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 4-2 के बहुमत से मॉनेटरी पॉलिसी रेट नहीं बदलने का निर्णय लिया है. उन्होंने लगातार 11वीं बार रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा. इस फैसले के बाद आने वाले दिनों में होम और कार लोन की ईएमआई में कोई कमी नहीं आयेगी. आरबीआई ने आखिरी बार फरवरी 2023 में रेपो रेट में बदलाव किया था. बीते 25 साल में यह दूसरी बार है, जब सेंट्रल बैंक ने इतने लंबे समय तक रेपो रेट को अपरिवर्तित रखा है. मई 2022 से लेकर फरवरी 2023 तक रिजर्व बैंक ने महंगाई को कंट्रोल करने के लिए रेपो रेट में 2.50 फीसदी का इजाफा किया था. बता दें कि आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के कार्यकाल की यह आखिरी एमपीसी की बैठक थी.
#WATCH | Mumbai | RBI Governor Shaktikanta Das says, "The Monetary Policy Committee decided by a majority of 4:2 to keep the policy repo rate unchanged at 6.5%…"
(Source: RBI) pic.twitter.com/oteBt4FLlQ
— ANI (@ANI) December 6, 2024
जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को 7 फीसदी से घटाकर 6.6 फीसदी किया
आरबीआई ने मौजूदा वित्त वर्ष की जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को कमकर 6.6 फीसदी कर दिया है. जो पहले 7 फीसदी था. यह लगातार दूसरी बार है, जब आरबीआई ने अपनी जीडीपी अनुमान को कम कम किया है. अक्टूबर में भी आरबीआई एमपीसी ने जीडीपी के अनुमान को 7.2 फीसदी से कम कर 7 फीसदी कर दिया था. आरबीआई एमपीसी ने महंगाई के मोर्चे पर भी बड़ा झटका दिया है. शक्तिकांत दास ने तीसरी तिमाही के महंगाई अनुमान को 4.8 फीसदी से बढ़ाकर 5.7 फीसदी कर दिया है. वहीं चौथी तिमाही के अनुमान को 4.2 फीसदी से बढ़ाकर 4.5 फीसदी किया गया है. वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही महंगाई अनुमान को 4.3 फीसदी से बढ़ाकर 4.6 फीसदी किया है. जबकि दूसरे वित्त वर्ष में देश में महंगाई दर 4 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. मौजूदा वित्त वर्ष की महंगाई दर का अनुमान 4.5 फीसदी था, जिसे बढ़ाकर अब 4.8 फीसदी कर दिया गया है.
मौजूदा वित्त वर्ष के जीडीपी ग्रोथ रेट अनुमान को घटाया
आरबीआई ने जीडीपी के मोर्चे पर भी झटका दिया है. मौजूदा वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 7 फीसदी से कम कर 6.6 फीसदी कर दिया गया है. जबकि दूसरी तिमाही के जीडीपी के आंकड़ों के अनुमान में कोई छेड़छाड़ नहीं की गयी है. तीसरी तिमाही के अनुमान को 7.4 फीसदी से घटाकर 6.8 फीसदी कर दी गयी है. वहीं चौथी तिमाही के जीडीपी ग्रोथ रेट अनुमान को 7.4 फीसदी से घटाकर 7.2 फीसदी कर दिया गया है. पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 7.3 फीसदी था, जिसे कम कर 6.9 फीसदी कर दिया गया है. अगले वित्त वर्ष में देश की जीडीपी 7.3 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है.
औद्योगिक विकास में आयी गिरावट के कारण रियल डीजीपी अनुमान से कम रही
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि इस वर्ष की दूसरी तिमाही में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (रियल डीजीपी) में 5.4% की वृद्धि, अनुमान से बहुत कम रही. विकास में यह गिरावट औद्योगिक विकास में पहली तिमाही के 7.4% से दूसरी तिमाही में 2.1% तक की भारी गिरावट के कारण हुई, जिसके कारण विनिर्माण कंपनियों का कमजोर प्रदर्शन, खनन गतिविधि में कमी और बिजली की कम मांग थी. हालांकि, विनिर्माण क्षेत्र में कमज़ोरियां व्यापक आधार पर नहीं थीं, बल्कि पेट्रोलियम उत्पादों, लोहा और इस्पात तथा सीमेंट जैसे विशिष्ट क्षेत्रों तक सीमित थीं. आगे बढ़ते हुए, अब तक उपलब्ध उच्च आवृत्ति संकेतक बताते हैं कि घरेलू आर्थिक गतिविधि में मंदी इस वर्ष की दूसरी तिमाही में कम हो गयी थी और तब से यह मजबूत त्यौहारी मांग और ग्रामीण गतिविधियों में तेजी के कारण ठीक हो गयी है. कृषि विकास को खरीफ फसल उत्पादन, जलाशयों के उच्च स्तर और बेहतर रूबी बुवाई से समर्थन मिला है. औद्योगिक गतिविधि के सामान्य होने और पिछली तिमाही के निचले स्तर से उबरने की उम्मीद है.
#WATCH | Mumbai: RBI Governor Shaktikanta Das says, "Growth in real GDP in the second quarter of this year at 5.4% turned out to be much lower than anticipated. This decline in growth was led by a substantial deceleration in industrial growth from 7.4% in the first quarter to… pic.twitter.com/GSLXU6c7gX
— ANI (@ANI) December 6, 2024
फरवरी 2023 के बाद आरबीआई ने रेपो रेट में नहीं किया इजाफा
बता दें कि 8 फरवरी के बाद आरबीआई ने रेपो रेट में इजाफा नहीं किया है. 4 मई 2022 को आरबीआई ने अचानक ब्याज दरों में बदलाव करने का ऐलान किया था. शक्तिकांत दास ने रेपो रेट को 40 बेसिस पाइंट बढ़ाकर 4.40 फीसदी कर दिया था. फिर जून में रेपो रेट में 50 बेसिस पाइंट का इजाफा किया गया. जिसके बाद रेपो रेट 4.40 फीसदी से बढ़कर 4.90 फीसदी हो गया था. रिजर्व बैंक ने 5 अगस्त को रेपो रेट में 50 बेसिस पाइंट बढ़ाकर 5.40 फीसदी कर दिया था. वहीं 30 सितंबर को रेपो रेट 50 बेसिस पाइंट बढ़कर 5.90 फीसदी हो गया. वहीं 7 दिसंबर को आरबीआई ने रेपो रेट 35 बेसिस पाइंट बढ़ाकर 6.25 फीसदी कर दिया. वहीं 8 फरवरी 2023 को आरबीआई ने रेपो रेट 25 बेसिस पाइंट बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर दिया. इसके बाद आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बढ़ोतरी नहीं की.
क्या होता है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते हैं जिस दर पर आरबीआई बैंकों को पैसा रखने पर ब्याज देती है. रेपो रेट के कम होने से लोन की ईएमआई घट जाती है, जबकि रेपो रेट में बढ़ोतरी से सभी तरह के लोन महंगे हो जाते हैं.
रेपो रेट बढ़ने से कर्ज लेना होता है महंगा
अगर आरबीआई रेपो रेट बढ़ाता है तो कर्ज लेना महंगा हो जाता है. क्योंकि बैंकों की बोरोइंग कॉस्ट बढ़ जाती है. इसका असर बैंक के ग्राहकों पर पड़ेगा. होम लोन के अलावा ऑटो लोन और अन्य लोन भी महंगे हो जाते हैं. जिसके कारण लोगों को पहले की तुलना में ज्यादा ईएमआई देनी पड़ती है. दूसरी तरफ रेपो रेट घटाने से आम जनता पर ईएमआई का बोझ कम होता है. रेपो रेट वह दर होता है, जिस पर आरबीआई (RBI) बैंकों को कर्ज देता है.