NewDelhi : सड़क हादसों को लेकर सड़क एवं परिवहन मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट चौंकाने वाली है. रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 में सीधी सड़कों पर 2.37 लाख एक्सीडेंट हुए, जो कुल हादसों का 65% है. जबकि गड्ढों वाली सड़कों पर सबसे कम 3,564 हादसे हुए, जो महज 1 फीसदी है. यानी सीधी अच्छी सड़कें मौत को दावत देने वाली रहीं. गड्ढों वाली सड़कों ने एक्सीडेंट मामलों में राहत प्रदान की
रिपोर्ट में एक बात और सामने आयी कि लॉकडाउन की वजह से हादसों की संख्या तो घटी लेकिन मौतों का अनुपात बढ़ गया. 2019 में कुल 4.49 लाख हादसों में 1.51 लाख लोग मारे गये. जबकि 2020 में 3.66 लाख एक्सीडेंट में ही 1.31 लाख जानें गयी. प्रति 100 हादसों में 36 मौतें हुईं, जो 20 साल में सबसे अधिक है.
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लॉकडाउन के समय सड़क हादसों में 69 फीसदी मौतें ओवरस्पीड के कारण
2020 की बात करें तो लंबे समय तक लॉकडाउन के कारण सड़कें खाली रहीं. इस दौरान कुल हादसे भले कम हो गये हों, पर ओवरस्पीड से हुई मौतों का अनुपात बढ़ गया. 2019 के दौरान हादसों में हुई कुल मौतों में 67.3 फीसदी की वजह अत्यधिक गति थी, जबकि 2020 में यह आंकड़ा 69.3 फीसदी हो गया.
चौंकाने वाली बात सामने आयी कि इस दौरान ड्रंकन ड्राइविंग, गलत लेन में चलने, रेड लाइट जंप करने सहित मोबाइल पर बात करते हुए होने वाले हादसों में मरने वालों का अनुपात 2019 के मुकाबले का रहा. 2020 में गलत लेन में ड्राइविंग मौत की दूसरी बड़ी वजह रही. ऐसे 20,228 हादसों में 7,332 लोगों की मौत हुई.
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5 साल पुराने वाहनों से ज्यादा हादसे
देश में 2020 के दौरान सर्वाधिक 32.7% दुर्घटनाएं और 31.5% मौतें उन वाहनों से हुईं, जो 5 साल से कम पुराने थे. सबसे कम हादसे (12.6%) और मौतें (13%) 15 साल या उससे ज्यादा पुराने वाहनों से हुए. सड़क एवं परिवहन मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार 50% से ज्यादा दुर्घटनाएं 10 साल से कम उम्र के वाहनों से हुईं. 6.7% दुर्घटनाएं ओवरलोड वाहनों से, जबकि 60% दुर्घटनाएं सामान्य लोड लेकर चल रहे वाहनों के कारण हुई. 2019 में 7.9% दुर्घटनाओं के लिए ओवरलोड वाहन और 60.8% के लिए सामान्य लोड वाहन जिम्मेदार रहे.