Ranchi : झारखंड के वन विभाग में एक बड़ा घोटाला और साजिश का मामला सामने आया है. हजारीबाग में पदस्थापित सहायक वन संरक्षक (एसीएफ) अविनाश कुमार परमार ने तीन वरिष्ठ आईएफएस अधिकारियों पर कोयला कंपनी से मिलकर एनजीटी को गुमराह करने, गलत हलफनामा दायर करने और खुद पर मानसिक-शारीरिक उत्पीड़न करने का गंभीर आरोप लगाया है.
इस संबंध में एसीएफ परमार ने विभागीय प्रधान सचिव और पीसीसीएफ को पत्र लिखकर शिकायत की है. जिन अधिकारियों पर आरोप लगे हैं, उनमें क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक (CCF) रविंद्र नाथ मिश्रा, वन संरक्षक ममता प्रियदर्शी और धनवार वन क्षेत्र पदाधिकारी (DFO) मौन प्रकाश शामिल हैं.
परमार का आरोप है कि इन अधिकारियों ने पकरी बरवाडीह कोल प्रोजेक्ट में वन्यजीवों की अनदेखी करते हुए कन्वेयर बेल्ट सिस्टम की जगह अवैध रूप से सड़क मार्ग से कोयला ढुलाई की अनुमति दी. उन्होंने यह भी दावा किया कि 30 नवंबर 2024 को गठित जांच समिति ने 27 फरवरी 2025 को अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें उल्लंघन की पुष्टि की गई.
लेकिन वन संरक्षक ने इस रिपोर्ट को पांच महीने तक दबाकर रखा और 22 जुलाई 2025 को दो विरोधाभासी पत्र जारी कर मामले को उलझा दिया. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिस डीएफओ मौन प्रकाश पर आरोप हैं, उसी को जांच समिति में भी शामिल किया गया.
एसीएफ परमार का आरोप है कि कंपनी को बचाने और सच्चाई दबाने के लिए जानबूझकर एनजीटी में गलत हलफनामा दाखिल किया गया. उत्पीड़न से तंग आकर उन्होंने प्रधान सचिव और पीसीसीएफ से न्याय की मांग की है और चेतावनी दी है कि अगर प्रताड़ना बंद नहीं हुई तो वे हाईकोर्ट और एनजीटी का रुख करेंगे.
सीसीएफ रवींद्र नाथ मिश्रा ने उन पर लगाए गए सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है और कहा कि जो अधिकारी खुद गलत है, वही दूसरों को गलत बता रहा है. यह जांच का विषय है और जांच में सब साफ हो जाएगा. इस पर वन संरक्षक ममता प्रियदर्शी और डीएफओ मौन प्रकाश का पक्ष लेने का भी प्रयास किया गया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका. उनका पक्ष मिलने पर लगातार न्यूज उसे भी प्रकाशित करेगा.
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