NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट सहित उच्च अदालतों में चुनाव आयोग की पैरवी करनेवाले वकील मोहित डी राम द्वारा इस्तीफा दिये जाने की जानकारी सामने आयी है. वे आयोग के वकीलों के पैनल के सदस्य थे. खबर है कि उन्होंने शुक्रवार को आयोग के कानून विभाग के निदेशक को इस्तीफा भेज दिया. इसमें लिखा, चुनाव आयोग की मौजूदा कार्यशैली और मेरे मूल्यों के बीच तालमेल नहीं बैठ रहा है. इसलिए मैं पद से इस्तीफा दे रहा हूं.
मेरे लिए सम्मान की बात कि मैंने चुनाव आयोग का प्रतिनिधित्व किया
बता दें कि मोहित 2013 से सुप्रीम कोर्ट सहित अन्य उच्च अदालतों में चुनाव आयोग की पैरवी कर रहे थे. इस्तीफे के साथ भेजे गये पत्र में मोहित ने लिखा है कि यह मेरे लिए सम्मान की बात है कि मैंने चुनाव आयोग का प्रतिनिधित्व किया. मैंने आयोग के स्टैंडिंग काउंसिल (स्थायी कानूनी सलाहकार) के रूप में शुरुआत की.
वहां से आयोग के वकीलों के पैनल का सदस्य बना. यह उपलब्धि मेरे करियर में मील के पत्थर की तरह रही. लेकिन अब मैं अपनी इस जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहता हूं. क्योंकि आयोग की कार्यशैली के साथ मैं तालमेल नहीं बिठा पा रहा हूं.
आयोग के अफसरों पर हत्या का मुकदमा चलना चाहिए : मद्रास हाईकोर्ट
जान लें कि मद्रास हाईकोर्ट ने कोरोना की दूसरी लहर के लिए आयोग को जिम्मेदार ठहराया था. कहा था कि आयोग ने महामारी के दौर में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव कराये. चुनाव में कोरोना का प्रसार रोकने संबंधी गाइडलाईन का पालन भी नहीं करा पाया. हाईकोर्ट ने कहा थॉ कि इससे लाखों लोगों की जान खतरे में पड़ी. कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि आयोग के अफसरों पर इसके लिए हत्या का मुकदमा चलना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट से भी आयोग को राहत नहीं मिली
मद्रास हाईकोर्ट की मौखिक टिप्पणी को आयोग ने अपनी छवि खराब करने वाला मानते हुए इसे हटवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. अपील की कि अदालत की मौखिक टिप्पणियों को प्रकाशित-प्रसारित करने से मीडिया को रोका जाये. लेकिन सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की टिप्पणी को तल्ख और गैरजरूरी तो माना पर हटाया नहीं. मीडिया पर भी अदालती टिप्पणियों के प्रकाशन-प्रसारण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.

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