NewDelhi : पत्रकार शिव अरूर और राहुल सिंह की लिखी किताब इडियाज मोस्ट फियरलेस 3 : न्यू मिलिटरी स्टोरीज ऑफ अनइमैजिनेबल करेज ऐंड सेक्रिफाइस चर्चा में है. इस किताब में पूर्वी लद्दाख सेक्टर की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प को लेकर कई बातों का खुलासा किया गया है. पेंग्विन रैंडम हाउस इंडिया की तरफ से प्रकाशित किताब इस स्वतंत्रता दिवस पर रिलीज होने वाली है. इस खूनी झड़प को दो साल से ज्यादा का समय बीत चुका है. किताब में झड़प में अपने मारे गये सैनिकों की सही संख्या को दुनिया से छिपाने वाले चीन की एक और शर्मनाक करतूत का खुलासा किया गया है. किताब के अनुसार अपने घायल सैनिकों के इलाज के लिए चीन ने भारतीय सेना के डॉक्टर का अपहरण किया और काम हो जाने के बाद डॉक्टर की हत्या कर दी. दोनों पत्रकारों ने जून 2020 की उस रात को क्या-क्या हुआ था, उसके बारे में विस्तार से अपनी किताब में बताया है. शिव अरूर और राहुल सिंह की लिखी किताब में जानकारी दी गयी है कि किस तरह से इंडियन आर्मी के एक डॉक्टर ने कई जख्मी चीनी सैनिकों की जान बचाई और किस तरह धूर्त चीन ने उसी डॉक्टर की बर्बरता से हत्या कर दी.
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याद करें कि 15 जून 2020 की रात गलवान घाटी में हुई झड़प में एक कर्नल समेत भारतीय सेना के 20 जांबाजों ने सर्वोच्च बलिदान दिया था. चीन ने सच छिपाते हुए बताया कि झड़प में उसके सिर्फ 4 सैनिक मारे गये. लेकिन इस किताब में तथ्यों के आधार पर उसके झूठे दावे की धज्जियां उड़ी हैं. किताब के अनुसार चीन ने किस तरह अपने नुकसान को छिपाने के लिए बड़े पैमाने पर दुष्प्रचार का सहारा लिया. गलवान घाटी में चीन ने अपने ही जख्मी सैनिकों को उनके हाल पर छोड़ दिया था. भारतीय डॉक्टर नायक दीपक सिंह ने न सिर्फ जख्मी भारतीय सैनिकों बल्कि कई चीनी सैनिकों की जान बचाई. लगभग 30 से ज्यादा भारतीय सैनिकों की जान बचाने के लिए उन्हें मरणोपरांत युद्धकाल के दूसरे सर्वोच्च सम्मान वीर चक्र से नवाजा गया. हालांकि, यह बात अबतक सामने नहीं आयी थी कि दीपक सिंह ने कई जख्मी दुश्मनों की भी जान बचाई थी.
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गडकरी, ब्यूरोक्रेट्स से हमेशा कहता हूं, सरकार आपके हिसाब से नहीं, हमारे अनुसार चलेगी चीनी सेना ने अपने सैनिकों को उनके हाल पर छोड़ दिया था
पत्रकार शिव अरूर और राहुल सिंह ने किताब में भारतीय सेना के कर्नल रवि कांत के हवाले से बताया है कि दीपक ने कितने भारतीय सैनिकों को बचाया, इसका हमारे पास आंकड़ा है. लेकिन उन्होंने उस रात चीन के कितने सैनिकों की जान बचाई, इसका आंकड़ा हमारे पास नहीं है. हम इतना जरूर कह सकते हैं कि उस रात कई जख्मी चीनी सैनिक अगर जिंदा रह पाये तो ये नायक दीपक सिंह की मेहरबानी थी. उन्हें उनकी ही सेना ने उनके हाल पर छोड़ दिया था लेकिन सिंह ने उनके जख्मों का इलाज किया. हमें देश की रक्षा के लिए जान लेने की ट्रेनिंग मिली हुई है लेकिन जिंदगी बचाने से बड़ा आखिर क्या हो सकता है?` कर्नल रविकांत तब पीएलए से लोहा लेने वाली 16 बिहार बटालियन के सेकंड-इन-कमांड थे. कर्नल बी. संतोष बाबू के सर्वोच्च बलिदान के बाद उन्होंने बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर की जिम्मेदारी संभाली. किताब के अनुसार नायक दीपक जख्मी चीनी सैनिकों का इलाज कर रहे थे, तभी अचानक ऊपर पहाड़ से एक चट्टान उनके ठीक बगल में गिरी. उसका एक टुकड़ा उनके ललाट पर लगा और वह गिर गये. तब एक इंडियन मेजर ने गुस्से में लाल होकर चीनियों को चेतावनी दी कि वे उस डॉक्टर को निशाना बना रहे हैं जो PLA के जख्मी जवानों का इलाज कर रहा है.
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जख्मी होने के बावजूद नायक दीपक ने घायल सैनिकों का इलाज करना बंद नहीं किया
जख्मी होने के बावजूद नायक दीपक ने घायल सैनिकों का इलाज करना बंद नहीं किया. उसी दौरान चीनी सैनिकों ने दीपक को बंधक बना लिया. चीनियों ने उनका अपहरण कर अपने बाकी घायल सैनिकों का इलाज करवाया. लेकिन इलाज हो जाने के बाद उसने डॉक्टर की हत्या कर दी. गलवान घाटी की झड़प में शामिल अफसरों और जवानों के हवाले से किताब में भारतीयों के शौर्य की विस्तार से जानकारी दी गयी है. किताब कहती है कि उस रात भारत की तरफ से लगभग 400 सैनिक थे. चीन की तरफ से इसके करीब तीन गुना ज्यादा सैनिक थे. लेकिन भारतीयों के शौर्य से दुश्मन खेमे में खलबली मच गई. पीएलए में भगदड़ मच गयी.
आस-पास चीनी सैनिकों की लाशें पड़ी हुई थीं
गलवान घाटी चीनी सैनिकों की लाशों से पटी पड़ी थी. किताब में हवलदार धर्मवीर के हवाले से कहा गया है, `जब हम 16 जून की सुबह इलाके में जमा हुए तब आस-पास कई चीनी सैनिकों की लाशें पड़ी हुई थीं. हमें आदेश था कि हम चीनियों के शवों को न छुएं क्योंकि पीएलए बाद में अपने मारे गये सैनिकों की लाशें ले जा सकते हैं. 26 जनवरी 2021 को नायक दीपक सिंह को मरणोपरांत वीर चक्र से नवाजा गया. जानकारी के अमनुसार उनकी पत्नी रेखा ने मई 2022 में चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकैडमी जॉइन की है. वह 2023 में बतौर लेफ्टिनेंट इंडियन आर्मी का हिस्सा बनेंगी. रेखा चाहती हैं कि वह कम से कम एक बार गलवान घाटी जरूर जाएं जहां उनके पति ने न सिर्फ अपने साथियों बल्कि दुश्मनों को भी अपने इलाज से जीवनदान दिया था. [wpse_comments_template]