- 24 अगस्त को नगड़ी में जुटेगा आदिवासी समाज
 - हल बैल के साथ पहुचेंगे धान रोपने
 
Ranchi : नगड़ी जमीन बचाओ संघर्ष समिति के आवाह्न पर नगड़ी गांव की उपजाऊ कृषि योग्य भूमि पर जबरन अधिग्रहण के खिलाफ आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधियों ने ग्रामवासियों का समर्थन किया. शुक्रवार को नगड़ा टोली सरना भवन में संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी गई.
इस दौरान केद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फुलचंद तिर्की, आदिवासी समन्वय समिति के संयोजक लक्ष्मीनारायण मुंडा, जय आदिवासी केद्रीय परिषद के महिला अध्यक्ष निरंजना हेरेंज, खडिया महा सभा के अध्यक्ष महादेव भगत, कांके रोड सरना समिति के अध्यक्ष डबलु मुंडा, सामाजिक कार्यकार्ता कुंदरसी मुंडा, हर्षिता मुंडा, प्रिति मुंडा ने यह जानकारी दी है. इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि 24 अगस्त को हजारों ग्रामीण खेतों में हल-बैल और ट्रैक्टर उतारकर हल जोतो, रोप रोपो करने का काम करेंगे.
24 अगस्त को नगड़ी वासियों के समर्थन में आदिवासी संगठन
वक्ताओं ने कहा कि सरकार 227 एकड़ उपजाऊ जमीन को बंजर बताकर रिम्स-2 बनाने का षड्यंत्र रच रही है. यह जमीन किसानों की खेतीहर जमीन है, यहां पर धान की फसल लहलहा रही होती, लेकिन सरकार धान रोपने से मना कर दिया. 24 अगस्त को नगड़ी ग्रामीणों के समर्थन में हजारो आदिवासी धान रोपने पहुंचेगें. क्योंकि यह आदिवासी-मूलवासी की जीवन रेखा है. इस जमीन पर किसी भी हाल में कब्जा नहीं होने देंगे. स्व शिबू सोरेन ने भी कहा था, यह जमीन अपनी है तो हल चलाओ. इसी तर्ज पर पूरा समाज खेत में हल-बैल और ट्रैक्टर उतारेगा.
नगड़ी आंदोलन भगवान बिरसा मुंडा के तर्ज पर होगा
चार महीने से नगड़ी के लोग लगातार संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सरकार तानाशाही रवैया अपना रही है. यह आंदोलन बिरसा मुंडा की तर्ज पर जमीन बचाने की लड़ाई है. यह सिर्फ जमीन नहीं, बल्कि हमारी आत्मा और अस्तित्व की आधारशिला है. इसे किसी भी कीमत पर नहीं जाने देंगे. सरकार का कदम आदिवासियों को उजाड़ने की साजिश है.
सरकार 1957-58 में विकास के लिए रैयतो का जमीन को एक्वायर किया था. इसके बाद से जमीन पर कोई काम नही हुआ है. सरकार को रैयतों को जमीन वापस करना था, लेकिन सरकार जबरन कब्जा कर रही है, जबकि 60-70 सालों से जमीन का उपयोग नहीं हुआ. अब इसके नाम पर आदिवासी समाज को ठगा जा रहा है. यह गरीब किसानों की उपजाऊ जमीन है, जिस पर सरकार बुलडोजर चलाकर आदिवासी समाज को बेघर बनाने की कोशिश कर रही है.
                
                                        
                                        
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