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रिम्स का इमरजेंसी वार्ड बदहाल!, न दवा, न केबिन, मरीज भगवान भरोसे

Ranchi: झारखंड की राजधानी रांची स्थित राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स (RIMS) का इमरजेंसी वार्ड आज गंभीर कुव्यवस्था का शिकार हो गया है. यहां इलाज की हालत इतनी बदतर हो चुकी है कि मरीजों का भरोसा अब भगवान और निजी मेडिकल दुकानों पर टिका हुआ है. रोजाना सैकड़ों मरीजों की जान बचाने वाला यह इमरजेंसी विभाग अब खुद वेंटिलेटर पर है. हालत यह है कि यहां पैरासिटामोल जैसी बुनियादी दवाएं, IV फ्लूइड्स और यहां तक कि ब्लड ट्रांसफ्यूजन किट तक उपलब्ध नहीं है. इसे भी पढ़ें - आतंकवादियों,">https://lagatar.in/decisive-action-will-be-taken-against-terrorists-and-their-supporters-pm-modi/">आतंकवादियों,

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इलाज के लिए बाहर भेजे जा रहे मरीज मरीजों को जरूरी दवाएं और सामान न मिलने पर अस्पताल से बाहर निजी दुकानों पर भेजा जा रहा है. इससे इलाज में देरी हो रही है और गरीब मरीजों पर खर्च का बोझ बढ़ता जा रहा है. जो लोग दवा खरीदने की स्थिति में नहीं हैं, उनके पास सिर्फ इंतजार और दुआ करने के अलावा कोई चारा नहीं बचता.
गंभीर मरीजों के लिए नहीं है कोई प्राइवेट केबिन
झारखंड की सबसे बड़ी इमरजेंसी कही जाने वाली इस यूनिट में एक भी प्राइवेट केबिन नहीं है. ऐसे में गंभीर मरीजों का न ठीक से इलाज हो पाता है, न निगरानी. यह स्थिति जानलेवा साबित हो सकती है.
जूनियर डॉक्टरों का विरोध, मेडिकल सुपरिटेंडेंट को लिखा पत्र
इन खामियों से तंग आकर रिम्स जूनियर डॉक्टरों की एसोसिएशन ने अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट को एक कड़ा पत्र लिखा है, जिसमें इन परेशानियों को विस्तार से बताया गया है. उन्होंने इसे तुरंत ठीक करने की मांग की है. डॉक्टरों की प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं 1. जरूरी दवाएं और मेडिकल किट्स (जैसे पैरासिटामोल, IV फ्लूइड्स, ट्रांसफ्यूजन किट्स) हर समय उपलब्ध कराई जाएं. 2. सभी विभागों में मेडिकल सप्लाई की नियमित और मजबूत व्यवस्था बनाई जाए. 3. इमरजेंसी में गंभीर मरीजों के लिए प्राइवेट केबिन का तत्काल प्रावधान हो. 4. मरीजों की शिफ्टिंग और देखरेख के लिए पर्याप्त MPW (मल्टी पर्पज़ वर्कर) की तैनाती की जाए. इसे भी पढ़ें -झारखंड">https://lagatar.in/jharkhand-police-looking-for-22555-absconding-warrants/">झारखंड

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