स्वास्थ्य मंत्री ने तारीख तय नहीं की, तो रिटायर्ड जज ने खुद तय की तारीख
Ranchi : रिम्स (RIMS) की शासी परिषद की बैठक अब 13 सितंबर सुबह 10:30 बजे होगी. हाईकोर्ट ने कहा था कि यह बैठक 8 से 14 सितंबर के बीच होनी चाहिए. कोर्ट ने इसके लिए रिटायर्ड जस्टिस अमरेश्वर सहाय को ऑब्जर्वर बनाया है.
स्वास्थ्य मंत्री ने समय तय नहीं किया था. इसलिए जस्टिस सहाय ने खुद तारीख तय कर दी और रिम्स निदेशक को मैसेज कर इसकी जानकारी दी. अब निदेशक ने यह सूचना शासी परिषद के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को भी भेज दी है.
क्या–क्या मुद्दों पर होगी चर्चा?
रिम्स निदेशक डॉ राजकुमार ने बताया कि इस बैठक में करीब 25 मुद्दों पर बात होगी. इनमें से 12 मुद्दे वे हैं जिन्हें अधिवक्ताओं ने कोर्ट में रखा था.
मुख्य एजेंडे
- 3500 पदों पर भर्ती – रिम्स में फैकल्टी, नर्सिंग, थर्ड और फोर्थ ग्रेड स्टाफ के कई पद खाली हैं. अगर बैठक में सहमति बनी तो इन पदों पर भर्ती शुरू होगी. अभी रिम्स में जितना स्टाफ होना चाहिए, उसके मुकाबले सिर्फ 30–35% ही काम कर रहे हैं.
- नई सेंट्रल इमरजेंसी – मौजूदा इमरजेंसी में जगह बहुत कम है. मरीजों को घंटों स्ट्रेचर पर इलाज कराना पड़ता है. इसलिए प्रस्ताव है कि इंडियन बैंक की टूटी-फूटी बिल्डिंग तोड़कर उसकी जगह पर नई सेंट्रल इमरजेंसी बनाई जाए.
- रोस्टर क्लियरेंस – अभी नियुक्ति के लिए फाइल कार्मिक विभाग भेजी जाती है और कई महीने तक अटकी रहती है. कोर्ट ने कहा है कि रिम्स अपने स्तर से ही नियुक्ति कर सकता है. इस नियम में बदलाव पर चर्चा होगी.
- मशीनों की मरम्मत और नई खरीद – रिम्स में कई मशीनें खराब पड़ी हैं. नई खरीद या मरम्मत के लिए विभाग से मंजूरी लेनी पड़ती है. अब यह काम सीधे रिम्स स्तर से करने की बात होगी.
- पुरानी बिल्डिंग की हालत – रिम्स की पुरानी इमारत की जांच IIT धनबाद कर रहा है. उनकी रिपोर्ट बैठक में रखी जाएगी.
- बिल्डिंग और पानी-इलेक्ट्रिक से जुड़ी समस्याएं– इंजीनियरिंग और पीएचईडी से जुड़े एजेंडे भी चर्चा में होंगे.
अधिवक्ताओं ने बताई रिम्स की बड़ी कमियां
- अधिवक्ताओं की टीम ने निरीक्षण कर रिपोर्ट दी थी. उसमें कई गंभीर कमियां सामने आईं:
- कैंसर मरीजों के लिए जरूरी मशीनें – एमआरआई, पेट स्कैन और मेमोग्राफी – उपलब्ध नहीं.
- फायर सिस्टम बंद पड़ा है, बड़ी दुर्घटना की आशंका.
- जरूरी दवाइयां अस्पताल में नहीं मिलतीं, मरीजों को बाहर की फार्मेसी से खरीदनी पड़ती हैं.
- बर्न और ऑर्थो वार्ड की हालत खराब, फर्श टूटा और उपकरण खराब.
- नवजात इकाई (SNCU) में बहुत कमी – जहां 40 इन्फ्यूजन पंप चाहिए, वहां सिर्फ 1 है.
- ट्रॉमा और ऑर्थो विभाग में पुरानी मशीनें शोपीस बनी हुई हैं, ऑपरेशन थिएटर की लाइट्स खराब.
- कार्डियो विभाग में स्टेंट और पेसमेकर का स्टॉक नहीं रहता, जरूरत पर बाहर से मंगाना पड़ता है.
- प्रबंधन और सुविधाओं की भारी कमी – कोई बिलिंग काउंटर नहीं, मरीज फर्श पर पड़े रहते हैं, साफ शौचालय और पीने का पानी तक नहीं.
- इमरजेंसी गेट के बाहर अतिक्रमण.
क्यों अहम है यह बैठक?
रिम्स में लंबे समय से भर्ती और कई योजनाएं अटकी हुई हैं. डॉक्टरों का मानना है कि अगर 3500 पदों की भर्ती और इमरजेंसी विस्तार जैसे फैसले पास हो गए तो मरीजों की दिक्कतें काफी कम होंगी.
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