Bermo: मनरेगा योजना के तहत काम करने वाले मजदूरों को आवंटन के आधार पर मजदूरी भुगतान किया जाता है. केंद्र सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ी जाति के मजदूरों को मजदूरी का भुगतान अलग-अलग करती है. बोकारो जिले में पिछड़ी जाति के मनरेगा मज़दूरों का मजदूरी भुगतान पिछले दो माह से लंबित है, जिसके कारण मज़दूर बेहाल हैं. बताया जाता है कि 17 दिसंबर तक करीब 15 करोड़ 32 लाख रुपए भुगतान लंबित है.
जिले में सबसे ज्यादा गोमिया प्रखंड में मजदूरों का भुगतान लंबित है. यहां 3 करोड़ 46 लाख रुपये मजदूरी भुगतान नहीं किए गए हैं. इसी प्रकार चंदनकियारी में 2 करोड़ 93 लाख रुपये, नावाडीह में 2 करोड़ 51 लाख, चास में 2 करोड़ 33 लाख, पेटरवार में 1 करोड़ 25, कसमार में 1 करोड़ 15 लाख, चंद्रपुरा में 90 लाख, बेरमो में 9 लाख 96 हज़ार रुपये और जरीडीह प्रखंड में 65 लाख रुपये भुगतान नहीं किया गया है.
जिले में सबसे ज्यादा गोमिया प्रखंड में मजदूरों का भुगतान लंबित मजदूरों का मज़दूरी भुगतान नहीं होने के कारण वे काफी निराश हैं. मज़दूरों का कहना है कि साथ में काम करने वाले कुछ मजदूरों को मजदूरी मिल जाती है तथा कुछ मज़दूरों को मजदूरी नहीं मिल पाती.
मनरेगा योजना भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है. इस योजना के तहत सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में बसने वाले 70 प्रतिशत ग्रामीणों को गांव में ही रोजगार देने की गारंटी दी थी. गोमिया में इस योजना के तहत काम करने वाले मजदूरों को मज़दूरी नहीं मिल रही है.
अक्टूबर से भुगतान लंबित
इस संबंध में जिला मनरेगा अधिकारी पंकज दुबे ने बताया कि पिछड़ी जाति के मजदूरों का 10 अक्टूबर 2021 तक मज़दूरी भुगतान किया गया है. इसके बाद राशि नहीं रहने के कारण भुगतान नहीं किया जा रहा है. राशि उपलब्ध होने पर भुगतान कर दिया जाएगा.
10 अक्टूबर के बाद भुगतान लंबित
मजदूरों से कुआं, डोबा, दीदी बाड़ी और टीसीबी योजना के तहत प्रखंड के प्रत्येक पंचायत में काम कराए गए थे. इन योजनाओं के कार्यान्वयन के कारण गांव में ही मजदूरों को रोजगार मिलने लगे. लॉकडाउन के बाद बड़ी संख्या में मजदूर अपने घर लौट आए थे. मनरेगा योजना में उन मजदूरों को भी काम दिया गया. बेरोजगारी समस्या हल हो जाने पर वे लोग काम की तलाश में बाहर नहीं गए.
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