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आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने कहा, भाजपा सरकार में आरएसएस  का दखल नहीं, मैं संघ चला रहा हूं, वे सरकार चला रहे हैं

 New Delhi :  आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दिल्ली में आरएसएस की 100 वर्ष यात्रा: नये क्षितिज कार्यक्रम में आज तीसरे दिन कहा कि आरएसएस का कोई अधीनस्थ संगठन नहीं है, उनका इशारा भाजपा की ओर था. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में सब कुछ आरएसएस  तय करता है? ये पूर्णतः गलत बात है. ये हो ही नहीं सकता.

 

 

 

 

मोहन भागवत ने कहा, मैं कई साल से संघ चला रहा हूं, वे सरकार चला रहे हैं.  कहीं कोई झगड़ा नहीं है... लेकिन सभी मुद्दों पर एकमत होना संभव नहीं है, हम हमेशा एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं  मैं शाखा चलाने में माहिर हूँ, भाजपा सरकार चलाने में माहिर है. हम एक-दूसरे को सिर्फ़ सुझाव दे सकते हैं, लेकिन अपने-अपने क्षेत्र में फ़ैसले स्वतंत्र रूप से लिये जाते हैं.

 

भाजपा के नये अध्यक्ष के चयन में देर होने पर आरएसएस प्रमुख भागवत ने कहा, हम फैसला नहीं करते, अगर हमें फैसला करना होता तो इसमें इतना समय लग जाता. आप अपना समय लें, हमें कुछ नहीं कहना है.


मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस संविधान-प्रदत्त आरक्षण नीतियों का पूर्ण समर्थन करता है और जब तक इसकी आवश्यकता होगी, इसका समर्थन करता रहेगा.

 


राजनेताओं को 75 साल होते ही पद छोड़ देना चाह‍िए या नहीं, इस सवाल  पर  मोहन भागवत ने  कहा, मैंने ये कभी नहीं कहा क‍ि मुझे पद छोड़ना चाह‍िए या क‍िसी और को पद छोड़ देना चाह‍िए.  श्री  भागवत ने उन सभी अटकलों पर विराम लगा दिया जिनमें कहा जा रहा था कि वे रिटायर हो रहे हैं या आरएसएस भाजपा में किसी और पर रिटायर होने का दबाव बना रहा है.

 

श्री भागवत ने कहा कि सड़कों और जगहों का नाम आक्रांताओं के नाम पर नहीं रखा जाना चाहिए. लोगों की भावनाओं के अनुसार नाम बदले जाने चाहिए. मैं यह नहीं कह रहा कि मुसलमानों के नाम पर नाम नहीं रखे जाने चाहिए. डॉ. अब्दुल कलाम के नाम पर किसी जगह का नाम रखा जाना चाहिए. यह धर्म का सवाल नहीं है.  यह इस बारे में है कि हमारी प्रेरणा कौन है.


भारत में जन्मी सभी भाषाएं राष्ट्रीय भाषाएं हैं, लेकिन  हमें बातचीत के लिए एक साझा भाषा की आवश्यकता है, लेकिन वह विदेशी नहीं होनी चाहिए. अंग्रेजी सीखने में कोई समस्या नहीं है, लेकिन हमें अपनी संस्कृति और भाषा को नहीं छोड़ना चाहिए.

 

मोहन भागवत ने कहा, "यह कहना गलत है कि आरएसएस ने भारत के विभाजन का विरोध नहीं किया, हमने इसका विरोध किया था, लेकिन तब यह पर्याप्त मजबूत नहीं था.अखंड भारत जीवन का एक सत्य है. हम देख सकते हैं कि विभाजन के बाद क्या हुआ... हमें यह समझना चाहिए कि हमारी संस्कृति और पूर्वज एक ही हैं

 

जब सब एक हैं तो हिंदू-मुस्लिम एकता की बात क्यों हो रही है? हम सब भारतीय हैं, फिर एकता का सवाल ही क्यों? बस इबादत के तौर-तरीकों का फ़र्क़ है. हिंदू सोच ये नहीं कहती कि इस्लाम यहां नहीं रहेगा. धर्म व्यक्ति की अपनी पसंद है.

 

 

किसी का भी जबरन धर्म परिवर्तन नहीं होना चाहिए. हमें इसे रोकना होगा.  भारतीय नागरिकों को तीन बच्चे पैदा करने पर विचार करना चाहिए, ताकि जनसंख्या पर्याप्त हो और नियंत्रण में भी रहे.  

 

हर देश के अपने नियम-कानून होते हैं, संसाधन सीमित होते हैं. इसलिए घुसपैठ रोकनी चाहिए और सरकार इसे रोकने के लिए प्रयास कर रही है... हमारे देश के नागरिकों को रोजगार देना ज़रूरी है.

 

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुकुल शिक्षा को मुख्यधारा में शामिल करने की वकालत की, नयी शिक्षा नीति की सराहना की. गुरुकुल शिक्षा को मुख्यधारा की शिक्षा में शामिल करने का आह्वान करते हुए कहा कि गुरुकुल शिक्षा का मतलब आश्रम में रहना नहीं, बल्कि देश की परंपराओं को सीखना है.

 

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