New Delhi : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित शताब्दी समारोह में सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि जब हम हिंदू राष्ट्र की बात करते हैं, तो सवाल उठते हैं. कहा कि हम राष्ट्र का अनुवाद राष्ट्र करते हैं, जो एक पश्चिमी अवधारणा है, जिसमें राष्ट्र के साथ 'राज्य' भी जुड़ जाता है.
#WATCH | Delhi: At the event to mark 100 years of Rashtriya Swayamsevak Sangh, the Sarsanghchalak of the organisation, Mohan Bhagwat, says, "When we talk about a Hindu Rashtra, questions arise. We translate 'rashtra' as 'nation', which is a Western concept that adds 'state' to… pic.twitter.com/p36tilQY4U
— ANI (@ANI) August 26, 2025
#WATCH | Delhi: On RSS chief Mohan Bhagwat's speech at the RSS event to mark their centenary celebrations, BJP leader and author Rakesh Sinha says, "He said that Hindus are all-inclusive. It is a message to all communities, especially for Muslims and Christians. He has also… pic.twitter.com/kQBwNRaEff
— ANI (@ANI) August 26, 2025
#WATCH | Delhi: On RSS chief Mohan Bhagwat's speech at the RSS event to mark their centenary celebrations, BJP MP Kangana Ranaut says, "We were very fortunate that we received the opportunity to hear the thoughts of Mohan Bhagwat. RSS is the biggest organisation towards building… pic.twitter.com/9jQoSRYJpI
— ANI (@ANI) August 26, 2025
मोहन भागवत ने कहा कि राष्ट्र के साथ राज्य का होना ज़रूरी नहीं है. हमारा राष्ट्र हमेशा से रहा है. हम एक राष्ट्र हैं और इस 'राष्ट्र में हम हमेशा से स्वतंत्र नहीं थे, लेकिन राष्ट्र तब भी था. हिंदू राष्ट्र का सत्ता या शासन से कोई लेना-देना नहीं है. इसमें बिना किसी भेदभाव के सभी के लिए न्याय सुनिश्चित किया जाता है.
मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू वह है ,जो अपने मार्ग पर चलने में विश्वास रखता है. जो अलग-अलग मान्यताओं वाले लोगों का भी सम्मान करता है, वही हिंदू है. हमारा स्वाभाविक धर्म समन्वय का है, टकराव का नहीं है. कहा कि भारत में पिछले 40 हजार वर्षों से रह रहे लोगों का डीएनए एक ही है. मिलजुलकर रहना हमारी संस्कृति है. हम एकता के लिए एकरूपता को जरूरी नहीं मानते. विविधता में भी एकता है. विविधता, एकता का ही परिणाम है.
आरएसएस प्रमुख ने गोलवलकर का एक किस्सा सुनाते हुए कहा कि एक बार गुरुजी से किसी ने पूछा कि हमारे गांव में तो मुसलमान, ईसाई है ही नहीं, हमारे यहां शाखा का क्या काम? तो गुरुजी ने कहा कि गांव की तो छोड़ो अगर पूरी दुनिया में भी मुसलमान-ईसाई नहीं होते तो भी, अगर हिंदू समाज इस अवस्था में रहता तो संघ की शाखा की आवश्यकता थी.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के शताब्दी समारोह में दिये गये भाषण पर भाजपा नेता और लेखक राकेश सिन्हा ने कहा कि उन्होंने कहा कि हिंदू सर्वसमावेशी हैं. यह सभी समुदायों, खासकर मुसलमानों और ईसाइयों के लिए एक संदेश है.उन्होंने हमें यह भी सचेत किया है कि हमें न तो किसी का धर्मांतरण करना चाहिए और न ही किसी और से करवाना चाहिए.
धर्मांतरण कभी भी इस देश की संस्कृति नहीं रही है. इसलिए भागवत जी का संदेश है कि हम अलग-अलग धर्मों और समुदायों से जुड़े हो सकते हैं, लेकिन हमें 'हिंदू राष्ट्र में विश्वास रखना चाहिए. हिंदू राष्ट्र एक स्थापित तथ्य है. इस स्थापित तथ्य से अलग होकर हम इस राष्ट्रीय जीवन'का हिस्सा नहीं हो सकते.
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