Lagatar News Network
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने मणिपुर में बंधकों की निर्मम हत्या की कड़ी निंदा की है और सरकार से जल्द समाधान की मांग की है. मणिपुर की इकाई ने सोमवार को एक बयान में कहा कि महिलाओं और बच्चों को कई दिनों तक बंदी बनाकर रखने के बाद उनकी हत्या करना अमानवीय, क्रूर और निर्दयी कृत्य है. उन्होंने केंद्रीय और राज्य सरकारों से चल रहे संघर्ष को शीघ्र हल करने की अपील की. आरएसएस ने अपने बयान में कहा, “यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि 3 मई से शुरू हुई मणिपुर हिंसा अब 19 महीने बाद भी अनसुलझी है. इस जारी हिंसा के कारण निर्दोष लोग बहुत दुख भोग रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि यह कृत्य कायरता की निशानी है और मानवता तथा सह-अस्तित्व के सिद्धांतों के खिलाफ है. आरएसएस ने मांग की कि केंद्र और राज्य सरकारें जल्द से जल्द इस संघर्ष को ईमानदारी से सुलझाएं. हाल ही में शनिवार और रविवार को हुई व्यापक हिंसा में कई जिलों, विशेषकर इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम में मंत्रियों, विधायकों और राजनीतिक नेताओं के दो दर्जन से अधिक घरों और कार्यालयों पर भीड़ ने हमला किया. वहीं, 15 और 16 नवंबर को जिरीबाम में छह शव बरामद किए गए, जिनकी पहचान अभी तक परिवारों द्वारा नहीं की जा सकी है. माना जा रहा है कि ये शव 11 नवंबर से लापता तीन महिलाओं और तीन बच्चों के हैं.
मणिपुर पुलिस ने पहले कहा था कि 11 नवंबर को सीआरपीएफ के साथ मुठभेड़ में दस संदिग्ध कुकी उग्रवादी मारे गए थे, जबकि एक अन्य घटना में उग्रवादियों द्वारा दस लोगों का अपहरण किया गया था, जो सभी जिरीबाम जिले के जकुराधोर स्थित एक राहत शिविर में रह रहे थे. जाकुराधोर गांव में तलाशी अभियान के दौरान दो बुजुर्ग नागरिकों, 75 वर्षीय माईबाम केशो सिंह और 61 वर्षीय लैशराम बारेल के शव बरामद किए गए. एक अन्य व्यक्ति को जीवित पाया गया और बचा लिया गया, जबकि एक अन्य नागरिक स्वयं पुलिस थाने लौट आया। हालांकि, तीन बच्चों और तीन महिलाओं सहित छह लोग अभी भी लापता हैं. मैतेई संगठनों ने आरोप लगाया कि कुकी उग्रवादियों ने इन बच्चों और महिलाओं का अपहरण कर उन्हें कैद में रखकर निर्ममता से मार डाला.