Ranchi : कोरोना संक्रमण का प्रसार पूरे देश में फिर तेज हो गया है. कई स्कूल-कॉलेज के कर्मचारी छात्र भी संक्रमित पाए गए हैं. झारखंड में भी कोरोना संक्रमण से कई लोगों की मौत हो चुकी है. ऐसे में राज्य सरकार ने कोरोना की बढ़ती रफ्तार को देखते हुए नया एसओपी जारी किया, जिसके अंतर्गत 30 अप्रैल तक सभी स्कूल-कॉलेज को बंद कर दिए गए हैं. स्कूल-कॉलेज बंद हो जाने के बाद एक बार फिर स्कूल और कॉलेज द्वारा ऑनलाइन क्लासेस के मध्यम से पढ़ाई करवाई जा रही है.
कहीं ऑफलाइन क्लास भी तो कहीं सिर्फ ऑनलाइन
एसओपी को लेकर छात्र-छात्राओं के बीच असमंजस की स्थिति है. कारण यह है कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय- DSPMU और रांची विश्वविद्यालय के कुलपतियों द्वारा अलग-अलग दिशा-निर्देश जारी करना. रांची यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ कामिनी कुमार ने कहा कि बच्चों की पढ़ाई जिस प्रकार से ऑनलाइन चलती थी, जिस रूटीन से क्लासेस होती थी, उसी रूटीन से क्लासेस होंगी. हम अपने छात्रों को जितनी सुविधा दे सकते हैं, वह देने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के वीसी डॉक्टर सत्यनारायण मुंडा ने कहा कि हमारे यहां ऑफलाइन क्लास होते रहे हैं. हमलोग अलग-अलग विषयों की कक्षाएं अलग-अलग शिफ्ट में करवा रहे हैं. कई कोर्स 60 से 70% पूरे करवा लिए गए हैं. इसी आधार पर मिड सेमेस्टर का एग्जाम ले चुके हैं. हमलोग का सेशन पीछे नहीं है.
छात्रों का कहना है- ऑफलाइन क्लास बेहतर
दूसरी तरफ छात्रों का कहना है कि ऑनलाइन क्लास से बेहतर ऑफलाइन क्लास होता है. इससे विषयों को समझने में आसानी होती है. कई ऐसे विषय हैं, जो ऑनलाइन क्लास से सुलझाए नहीं जा सकते. तीन महीने का सिलेबस डेढ़ महीने में कवर करवाया जा रहा है. इससे छात्रों में प्रेशर आ रहा है. कुछ स्टूडेंट का कहना है कि कोरोना के दौरान ऑनलाइन क्लास ही बेहतर है. रांची में कई स्कूल कॉलेजों में कोरोना संक्रमित मिले हैं. ऐसे में ऑनलाइन क्लास ही बेहतर है.
अब सवाल यह है कि एक ही राज्य के दो अलग-अलग विश्वविद्यालयों के फैसले से छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में यह देखना अहम होगा कि विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों की बातों को कितनी गंभीरता से लिया जाता है?