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रोम के जलने पर नीरो के बंशी बजाने की कहावत को भारत के शासक बदल रहे हैं

Faisal Anurag
रोम के जलने के समय नीरो के बंशी बजाने का मुहावरा आने वाले समय में बदल कर हो जाएगा जब भारत में लोग कोरोना के शिकार हो रहे थे देश के प्रधानमंत्री बंगाल में दीदी ओ दीदी जैसी फिकरेबाजी में व्यस्त थे. नरेंद्र मोदी तो बंगाल में अब 2018 के आसनसोल दंगों के बहाने गुजरात दंगों की चर्चा भी कर रहे हैं. द टेलिग्राफ ने अपने बैनर हेडलाइन में ठीक ही सवाल किया है डिड यू मीन गुजरात राइट ? देश में पिछले चार दिनों से कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा दो लाख ये अधिक और तीन दिनों से ढाई लाख से अधिक आ रहा है. मरने वालों से श्मशान पटे हुए हैं, लेकिन केंद्र सरकार के लिए बंगाल का चुनाव इन सबसे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है. एक चुने हुए लोकतंत्र का यह गुजरात मॉडल जैसा है जिसमें सारी सत्ता एक व्यक्ति और उसके कार्यालय तक सीमित कर दी गयी है.

पूर्व विदेश मंत्री और पूर्व भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने ठीक ही कहा है: ’’नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, दावा कर रहे थे कि गुजरात मॉडल पूरे देश पर लागू करेंगे. मैं कह रहा था कि ये असंभव है. लेकिन मोदी ने मुझे गलत साबित कर दिया. गुजरात मॉडल का मतलब ये है कि पूरे राज्य को मुख्यमंत्री का कार्यालय संचालित करेगा और बाकी सारे मंत्री और संस्थाएं लगभग निष्पप्रभावी होंगे. यह व्यक्तिवाद का चरम है. मुझे लगता था, राष्ट्रीय स्तर पर तमाम संस्थाओं को प्रभावहीन बना देना लगभग नामुमकिन काम है और बड़े पैमाने पर इसका विरोध होगा. साथ ही नतीजे भी विनाशकारी होंगे. लेकिन मोदी ने ये सब कर दिखाया’’ देश के आज के हालात दरअसल इसी केंद्रीकरण की प्रक्रिया ताबाही का सबब बना हुआ है.

इसकी पुष्टि के लिए महाराष्ट्र की दो घटनाएं ही काफी हैं है. पहली घटना यह है कि जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से कोविड की भयावह स्थिति को लेकर प्रधानमंत्री से बात करने के लिए उनके कार्यालय फोन किया तो वहां से जवाब मिला कि प्रधानमंत्री बंगाल के चुनाव में व्यस्त हैं. वे बाद में संपर्क करेंगे. यह बात महाराष्ट्र के एक मंत्री नबाव मल्लिक ने ट्वीट कर बताया है. यह कोई समान्य बात नहीं है. प्रधानमंत्री कार्यलय को यदि निर्देश होता तो वह प्रधानमंत्री से बंगाल से ही संपर्क करा देता. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ऑक्सीजन की कमी और रेमडेसिविर को लेकर बात करना चाहते थे. इस समय जब देश के लाखों लोग संक्रमित हैं और उनके परिजन अस्पतालों का चक्कर लगा रहे हैं किसी देश के प्रधानमंत्री कार्यालय का जबाव बताता है कि प्रथमिकता क्या है. लोगों की जिंदगियों से किस तरह खिलवाड़ हो रहा है, इसकी अनेक कहानियां लोगों की परेशानी बढ़ा रही है. इसी क्रम में लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार विनीत श्रीवास्तव की दर्दनाक मौत पूरे देश के मर्जों का आईना है.

विनीत ने अनेक ट्वीट कर सहायता मांगी, उनकी आखिरी ट्वीट थी ऑक्सीजन लेबल 35 पर है क्या अब भी कोई मदद करेगा. लेकिन न तो यूपी सरकार के किसी प्रतिनिधि न ही किसी नेता न ही किसी मंत्री ने ट्वीट पर जगे अंततः ऑक्सीजन और एंबुलेंस के अभाव में उनकी मौत हो गयी. ऐसे अनेक दास्तान उनके हैं, जो सत्ता के गलियारों तक पहुंच रहे हैं. 15 घंटों में गुजरात में पांच फादरों की मौत बता रही है कि वहां के हालात भी कितने गंभीर हो चुके हैं. झारखंड के हालात इससे अब भी जुदा नहीं है.

महाराष्ट्र की दूसरी घटना है, देर रात मुंबई के विले पार्ले पुलिस ने पौने 5 करोड़ की रेमडेसिविर की खेप पकड़ी, जिसे चोरी से गुजरात ले जाया जा रहा था. फिर पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस आधी रात के बाद पुलिस स्टेशन में प्रकट हो गए और दावा किया कि बीजेपी ने इन इंजेक्शनों को दमन और गुजरात से ऑर्डर किया है. फडणवीस का यह भी दावा है कि पार्टी ने लोगों को बांटने के लिए रेमडेसीवीर खरीदे थे. यानी बीजेपी अपने पार्टी ऑफिस में रेमडेसिवीर की कालाबाज़ारी कर रही है. जब मोदी सरकार ने महाराष्ट्र को इंजेक्शनों की सप्लाई रोकी हुई है, तो बीजेपी को कैसे करोड़ों के इंजेक्शन हासिल हुए. इसके पहले महाराष्ट्र के एक मंत्री ने बताया कि जब राज्य सरकार ने रेमडेसिवीर बनाने वालों से संपर्क किया तो उन्हें बताया गया कि केंद्र का निर्देश है कि महाराष्ट्र को इस दवा की आपूर्ति नहीं की जाए.

इस बीच पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी कहा है कि सरकार पंजाब में ऑक्सीजन प्लांट के लिए केंद्र की मंजूरी के इंतजार में है. कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी बड़ी चुनौती बनकर सामने आयी है. कोरोना मरीज के परिजन कई अस्पतालों के चक्कर ऑक्सीजन के लिए काट रहे हैं. पंजाब में ऑक्सीजन की स्थिति पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि हमारे यहां पर ऑक्सीजन की कमी वाली समस्या सामने नहीं आयी है. कहा कि ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए चार लोकेशन तय किया गया है. इसपर अंतिम मुहर के लिए बस केंद्र की मंजूरी की जरूरत है. अमरिंदर सिंह ने कहा कि बीते साल से ही केंद्र के जवाब इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसे लेकर मैंने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को एक पत्र लिखा है.

यह है गैर भाजपाशासित राज्यों के साथ इस कोविड तबाही के मंजर में मजबूत सरकार का नजरिया.