Search

JSLPS की पहल से ग्रामीण महिलाओं को मिला हौसला, फुलमनी ऐसे बनीं आत्मनिर्भर

Simdega :   झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में बदलाव की बयार बह रही है. कभी घर की चौखट तक सीमित रहने वाली महिलाएं अब आत्मनिर्भरता की मिसाल बन रही हैं. झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (JSLPS) की पहल से लाखों ग्रामीण महिलाएं अब खुद कमाकर न सिर्फ आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि अपने परिवार की रीढ़ भी बन चुकी हैं. ऐसी ही एक कहानी है... सिमडेगा की फुलमनी प्रधान की, जिन्होंने स्वयं सहायता समूह से जुड़कर न केवल आर्थिक रूप से खुद को सशक्त किया, बल्कि अपने परिवार का भी सहारा बनीं. जो महिलाएं अभाव में पढ़ नहीं सकीं, आज खुद चला रही हैं व्यवसाय ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को वर्षों से सिर्फ घरेलू कार्यों तक सीमित रखा गया. शिक्षा और अवसरों के अभाव में वे समाज की मुख्यधारा से कटी हुई थीं. लेकिन अब समय बदल रहा है. महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं और समाज को यह दिखा रही हैं कि यदि उन्हें सही दिशा और अवसर मिले, तो वे किसी से कम नहीं. सिमडेगा की फुलमनी प्रधान ऐसी ही एक मिसाल सिमडेगा सदर प्रखंड के कोचेडेगा भंडार टोली गांव की निवासी फुलमनी प्रधान पहले केवल घरेलू जिम्मेदारियों तक सीमित थीं. लेकिन जब वह चांदनी स्वयं सहायता समूह से जुड़ी, तो उनके जीवन ने एक नया बदलाव आया. समूह से जुड़ने पर मिली योजनाओं की जानकारी, बढ़ा आत्मविश्वास फुलमनी बताती हैं कि समूह से जुड़ने के बाद उन्हें कई सरकारी योजनाओं की जानकारी मिली. उन्होंने प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (PMFME) के तहत 1,30,000 का ऋण लिया. साथ ही अपने सखी मंडल से भी 40,000 का ऋण प्राप्त किया. मशीन खरीदी, शुरू किया मुरही (पफ्ड राइस) उत्पादन फुलमनी ने इस पूंजी से मुरही बनाने की मशीन खरीदी और अपने गांव में ही उत्पादन शुरू किया. आज वह इस मुरही को स्थानीय बाजारों में थोक और खुदरा दोनों भाव में बेच रही है. उनकी मेहनत रंग लाई है और अब वह सालाना 1 लाख से अधिक कमा रही है. परिवार का बनीं सहारा : फुलमनी प्रधान फुलमनी कहती है कि पहले मैं सिर्फ घर के कामों में लगी रहती थी, लेकिन अब मैं कमाकर अपने बच्चों की पढ़ाई और परिवार की जरूरतें पूरी कर पा रही हूं. समूह से जुड़ना मेरे जीवन का सबसे बड़ा बदलाव रहा है. ग्रामीण महिलाएं भी बन सकती हैं सफल उद्यमी फुलमनी जैसी महिलाएं यह साबित कर रही हैं कि आत्मनिर्भरता की राह सिर्फ शहरों से होकर नहीं गुजरती, यह गांवों से भी शुरू हो सकती है. JSLPS की योजनाएं और महिलाओं को जोड़ने की पहल गांव की अर्थव्यवस्था को एक नई ऊर्जा दे रही है. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2025/04/Untitled-19-8.jpg"

alt="" width="600" height="400" />

Comments

Leave a Comment

Follow us on WhatsApp