: आदिवासी महिला की हत्या, कई टुकड़ों में बरामद हुआ शव कहा कि एक ओर महिलाओं को सशक्त करने की बात की जाती है. कई तरह के दावे भी किए जाते हैं. लेकिन सहिया समाज की महिलाओं को न तो सुरक्षा प्रदान की जाती है और न ही उन्हें काम के एवज में पूरा मेहनताना दिया जाता है. ऐसे में सहिया सुरक्षा और आर्थिक कमाई के मामले में पीछे हैं. देखें वीडियो-
सहिया के पास काफी काम होता है
कार्यशाला में सहिया रेखा भट्ट ने कहा कि सहिया अपने क्षेत्र में 24 घंटे सेवारत हैं. किसी भी समय कॉल आने पर वह निकल जाती हैं. उनके पास काफी काम होता है. पेपर वर्क भी अधिक होता है. इससे उन पर काम का काफी दबाव रहता है. इसे भी पढ़ें- NMDC">https://lagatar.in/nmdc-vacancies-for-the-post-of-junior-officer-trainee-apply-soon/34382/">NMDCने जूनियर ऑफिसर ट्रेनी के पदों पर निकाली वैकेंसी, जल्द करें आवेदन
महिलाओं को सशक्त करने की जरूरत
कहा कि इसके लिए उन्हें महज 2 हजार रुपये मासिक मानदेय दिया जाता है. ऐसे में महिला सशक्तिकरण की बात करना कहां तक सही है. इस पर विचार करने की जरूरत है. महलाओं को हर स्तर पर सशक्त करने के लिए सरकार को पहल करनी चाहिए. इसे भी पढ़ें- मनातू">https://lagatar.in/manatu-police-destroyed-poppy-crop-on-8-acres-of-land/34953/">मनातूपुलिस ने 8 एकड़ जमीन में लगी पोस्ते की फसल की नष्ट

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