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हजारीबाग में 924 एकड़ वन भूमि की खरीद बिक्री मामले में तत्कालीन उपायुक्त के आदेश पर कार्रवाई बंद

Ranchi : हजारीबाग के तत्कालीन उपायुक्त रविशंकर शुक्ला ने अपने कार्यकाल के दौरान 924 एकड़ वनभूमि को रैयती बता कर की गई खरीद-बिक्री के मामले में कार्रवाई करने का आदेश दिया था. वनभूमि की खरीद-बिक्री से संबंधित सेल डीड के ब्योरे को जिला के वेबसाईट पर अपलोड करवा दिया था. जमीन की खरीद-बिक्री में नेताओं और अफसरों के शामिल होने की वजह से उपायुक्त के तबादले के कुछ दिनों बाद आगे की कार्रवाई बंद हो गयी है. अब जिला के वेबसाईट पर वनभूमि की खरीद-बिक्री से संबंधित ब्योरा भी उपलब्ध नहीं है.

 

जानकारी के मुताबिक हजारीबाग पश्चिमी वन प्रमंडल पदाधिकारी द्वारा लिखे गये पत्र के आलोक में उपायुक्त ने अपने न्यायालय में Impersonation Case-1/2019 की कार्यवाही शुरू की थी. वन प्रमंडल पदाधिकारी ने जनवरी 2019 में उपायुक्त को पत्र लिखा था. पत्र में कहा गया था कि  मौजा  हरहद, थाना नंबर-117, खाता नंबर-172 के प्लॉट नंबर- 2366, 2367 और 2368 की 137 एकड़ वन भूमि पर कुछ लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया है.

 

संबंधित जमीन अधिसूचित (C/P.F-10166/52-17R) वन भूमि है. वन प्रमंडल पदाधिकारी ने उपायुक्त को लिखे पत्र में फर्जी तरीके से हुई खरीद-बिक्री के आलोक में बंदोबस्ती रद्द करने का अनुरोध किया था. उपायुक्त ने वन प्रमंडल पदाधिकारी द्वारा उपलब्ध कराये गये दस्तावेज के आधार पर मुकदमे की शुरूआत की.

 

वन प्रमंडल पदाधिकारी बनाम अटॉर्नी होल्डर लतीफ मियां व अन्य के मामले की सुनवाई के दौरान वन भूमि की खरीद-बिक्री करने में शामिल 100 से अधिक लोगों को नोटिस जारी किया. मामले की सुनवाई के दौरान कुछ कंपनियों ने उपायुक्त की कार्यवाही को हाईकोर्ट में चुनौती दी. हालांकि उन्हें राहत नहीं मिली. उपायुक्त ने इस मामले में अंचल अधिकारी से भी रिपोर्ट मांगी थी. अंचल अधिकारी ने उपायुक्त के न्यायालय में पेश की गयी रिपोर्ट में संबंधित जमीन के खासमहल जंगल प्रकृति के होने का उल्लेख किया था. 

 

मामले की सुनवाई के दौरान उपायुक्त की ओर से बार-बार नोटिस जारी किये जाने पर 95 लोग जमीन के मामले में अपना पक्ष पेश करने के लिए न्यायालय में हाजिर नहीं हुए. कुछ लोगों ने मामले में जारी नोटिस के आलोक में न्यायालय में हाजिर हो कर अपना पक्ष पेश किया. इन लोगों ने जमीन पर अपने मालिकाना हक के रूप मे जमीनदार द्वारा जारी सादा हुक्मनामा को पेश किया. 

 

मामले की सुनवाई के बाद उपायुक्त ने जिला अवर निबंधक से भी जमीन की खरीद-बिक्री से संबंधित सेल डीडी का ब्योरा मांगा. इसके बाद जिला अवर निबंधक ने उपायुक्त की अदालत में वनभूमि को रैयती बता कर हुई खरीद-बिक्री के सिलसिले में विस्तृत रिपोर्ट सौंपी. इसमें ज़मीन की बिक्री करने और खरीदने वालों का विस्तृत ब्योरा शामिल किया गया.

 

उपायुक्त ने मामले की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसलों, राज्य सरकार के आदेशों और वन संरक्षण अधिनियम में निहित प्रावधानों के आलोक में इस जमीन की खरीद-बिक्री को अवैध करार दिया. उन्होंने आगे की कार्रवाई करते हुए वनभूमि की खरीद-बिक्री को रद्द करने का आदेश दिया. साथ ही जिला अवर निबंधक द्वारा वनभूमि की खरीद-बिक्री से संबंधित तैयार की गयी रिपोर्ट को जिला के वेबसाईट पर अपलोड कर दिया.

 

उपायुक्त के आदेश के आलोक में शुरू हुई आगे की कारवाई के दौरान वनभूमि की खरीद-बिक्री के मामले में स्थानीय नेताओं, अधिकारियों सहित अन्य प्रभावशाली लोगों का नाम सामने आया. इसके कुछ दिनों बाद उपायुक्त का तबादला हो गया और बंदोबस्ती रद्द करने से संबंधित आगे की कार्रवाई भी बंद हो गयी. 

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