- अधिवक्ता बसंत प्रसाद ने गांव के बच्चों का जज्बा देख खेल मैदान के लिए दान की थी जमीन, देखरेख के अभाव में मैदान की हालत जर्जर
क्लास पर मनन विद्या के प्रिंसिपल ने कहा- शिक्षकों को दी जा रही टेक्नोलॉजी की ट्रेनिंग सलीमा के पिता ने बताया कि काफी संघर्ष के बाद सलीमा इस मुकाम तक पहुंची है. आरंभ के दिनों में वह उनके साथ हॉकी मैदान जाती और उनके साथ हॉकी सीखती थी. बाद में स्कूल के आवासीय प्रशिक्षण के माध्यम से अपना प्रतिभा निखरती गई. कई अंतरराष्ट्रीय मैचों में भी बेहतरीन प्रदर्शन की आखिर कर वह ओलंपिक के लिए अपनी जगह बनाने में कामयाब हुई. पलायन का दर्द झेल चुके सलीमा के पिता ने यह भी बताया कि उनकी एक बेटी सुमंती मुंबई में रहकर काम करती है. सलीमा की मां ने कहा कच्चे घर में बरसात में बहुत दिक्कत होती है. सरकार सबको आवास दे रही है. हमने अपनी बेटी देश सेवा में दी मगर सरकार का हमारे पर कोई ध्यान नहीं है. आज इस घर का हर बच्चा हॉकी स्टीक को हीं अपना खिलौना समझता है. तभी तो यहां की माटी अभाव में पली बढी सलीमा को ओलंपिक तक पंहुचाया. इसे भी पढ़ें-किसानों">https://lagatar.in/government-not-paying-dues-of-farmers-has-no-moral-right-to-remain-in-power-babulal/91430/">किसानों
का बकाया भुगतान नहीं करने वाली सरकार को सत्ता में बने रहने का नैतिक हक नहीं- बाबूलाल गांव में एक छोटा सा मैदान भी है. जिसे अधिवक्ता बसंत प्रसाद ने गांव के बच्चों का जज्बा देख दान किया था. लेकिन आज वह मैदान मिट्टी कटाव के कारण उबड खाबड हो गया है. गांव के युवा हर वर्ष उसे सुधारते हैं. लेकिन हर बरसात यही हाल हो जाता है. आरसी मध्य विद्यालय तुमडेगी के प्राचार्य पीटर मिंज एवम शिक्षक सिकंदर तिर्की ने भी सलीमा को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वह कभी उनके स्कूल मैदान में अभ्यास करती थी. उन्होंने कहा कि यहां स्कूल में तीन छोटे ग्राउंड हैं. उन्हे अगर एक भी एस्ट्रोटर्फ मिल जाए तो यह स्कूल अनेकों सलीमा जैसी प्रतिभावान खिलाड़ियों को ओलंपिक तक सफर कराने का जज्बा रखता है. उन्होंने कहा सलीमा ने आज ओलंपिक में जगह बनाने उसने स्कूल परिवार को भी गौरवान्वित किया है. [wpse_comments_template]
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