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सलमान खान की ‘बैटल ऑफ गलवान’ पर विवाद, टीज़र को लेकर चीन में नाराजगी

 Lagatar desk : एक्टर सलमान खान की आगामी फिल्म ‘बैटल ऑफ गलवां’ एक बार फिर 2020 में हुए भारत-चीन गलवां घाटी संघर्ष को चर्चा में ले आई है.यह फिल्म लद्दाख की गलवां घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई वास्तविक सैन्य झड़प से प्रेरित है.

 

सलमान खान ने अपने जन्मदिन 27 दिसंबर को फिल्म का टीज़र रिलीज किया, जिसके बाद सोशल मीडिया पर इसे लेकर खूब चर्चा हुई. जहां भारतीय दर्शकों ने सलमान के गंभीर और अलग अंदाज़ की तारीफ की, वहीं चीन के कुछ सोशल मीडिया यूज़र्स ने फिल्म पर तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने के आरोप लगाए हैं.फिल्म 17 अप्रैल 2026 को सिनेमाघरों में रिलीज होगी.

 

फिल्म ‘बैटल ऑफ गलवां’

‘बैटल ऑफ गलवां’ का निर्देशन अपूर्वा लखिया ने किया है. सलमान खान इस फिल्म में कर्नल बी. संतोष बाबू की भूमिका निभा रहे हैं, जो भारतीय सेना की 16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर थे.फिल्म भारतीय सैनिकों के साहस, कर्तव्यनिष्ठा और बलिदान को सम्मान देती है और बेहद कठिन परिस्थितियों में उनके संघर्ष को दिखाती है.

 

टीज़र के बाद उठा विवाद

टीज़र में सलमान खान का संवाद -मौत से क्या डरना, उसे तो आना है -फिल्म के देशभक्ति भाव को दर्शाता है.भारतीय फैंस ने इसे सलमान के करियर का सबसे प्रभावशाली किरदार बताया है. हालांकि चीन में कुछ लोगों ने फिल्म को एकतरफा और पक्षपाती करार दिया. गौरतलब है कि सलमान खान की फिल्म ‘बजरंगी भाईजान’ चीन में काफी लोकप्रिय रही थी, लेकिन इस फिल्म को लेकर वहां मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है.

 

क्या थी गलवां घाटी की लड़ाई?

गलवां घाटी संघर्ष 15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन की वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास हुआ था. दोनों देशों के बीच लंबे समय से सीमा विवाद चला आ रहा है.जून 2020 में दोनों पक्षों के बीच सैन्य और कूटनीतिक बातचीत के बाद पीछे हटने पर सहमति बनी थी. इसी दौरान भारतीय सैनिक इलाके में बने चीनी ढांचों की जांच के लिए पहुंचे, जिसके बाद स्थिति बिगड़ गई और झड़प शुरू हो गई.

 

पुराने समझौतों के तहत बंदूकों का इस्तेमाल नहीं हुआ, इसलिए संघर्ष लाठी, पत्थर और हाथापाई तक सीमित रहा. यह झड़प बेहद ठंडे और अंधेरे हालात में हुई.इस संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए, जो पिछले 45 वर्षों में भारत को सीमा पर हुआ सबसे बड़ा सैन्य नुकसान था. कई सैनिकों की मौत चोटों, ठंड और नदी में गिरने के कारण हुई.चीन ने शुरू में अपने नुकसान की जानकारी नहीं दी, लेकिन बाद में 2021 में उसने स्वीकार किया कि उसके 5 सैनिकों की मौत हुई थी.

 

 

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