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तेल कंपनियों Rosneft  और Lukoil पर प्रतिबंध से डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन के बीच जुबानी जंग तेज

Washington :  अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच रूस पर लगाये गये नये प्रतिबंधों को लेकर जुबानी जंग तेज हो गयी है. व्लादिमीर पुतिन ने ट्रंप के कदम की आलोचना की है. जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है. 

 


ट्रंप ने कहा,  रूस चाहे जो भी कह ले,  लेकिन इन प्रतिबंधों का वास्तविक असर आने वाले छह महीनों में दिखेगा. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, मुझे खुशी है कि पुतिन ऐसा सोचते हैं, लेकिन देखते हैं आगे क्या होता है.  

 


मामला यह है कि अमेरिका ने रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट (Rosneft) और लुकोइल (Lukoil) पर प्रतिबंध लगा दिया है. पुतिन ने ट्रंप द्वारा बैन लगाये जाने की आलोचना करते हुए कहा, इससे(प्रतिबंध) रूस की अर्थव्यवस्था पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ने वाला.  रूसी नेता ने कहा कि अपने अमेरिकी समकक्ष डोनाल्ड ट्रंप के साथ बातचीत में उन्होंने चेतावनी दी थी कि इन प्रतिबंधों का असर अमेरिका सहित वैश्विक तेल कीमतों पर पड़ेगा।

 

ट्रंप ने  प्रतिबंध लगाये जाने को आवश्यक कदम करार दिया है. कहा कि रूस-यूक्रेन के बीच शांति प्रक्रिया में हो रही देर के कारण यह कदम उठाया गया है. पुतिन ने नये प्रतिबंधों को  लेकर कहा,अमेरिका का यह कदम अनफ्रेंडली है. कोई भी आत्मसम्मान रखने वाला देश दबाव में निर्णय नहीं लेता. कहा कि अमेरिका का यह कदम रूस पर दबाव बनाने की कोशिश है. यह कभी सफल नहीं होगा

 

 
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोनिल लेविट ने Rosneft और Lukoil कंपनी पर लगाये गये प्रतिबंध को सही बताते हुए कहा, यह कदम रूस-यूक्रेन शांति समझौते की धीमी गति पर अमेरिका की नाराजगी का पर्याय है.  


 
भारत की बात करें तो अमेरिका के नये प्रतिबंधों का भारत पर भी असर पडेगा. दरअसल भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का लगभग 87फीसदी तेल आयात करता है. इसका बड़ा हिस्सा रूस की रोसनेफ्ट और लुकोइल जैसी कंपनियों से आता है. इन पर लगे प्रतिबंध के कारण भारतीय तेल कंपनियों के लिए रूसी तेल खरीदना मुश्किल हो जायेगा.  

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