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सरायकेला-खरसावां में दो समूहों में बांटे गए बालू घाट, 25 और 20 करोड़ से शुरू होगी नीलामी

Dilip Kumar

Chandil :  झारखंड में लंबे इंतजार के बाद आखिरकार बालू घाटों की नीलामी प्रक्रिया शुरू हो गई है. इस बार सरायकेला-खरसावां जिला प्रशासन ने बालू घाटों की नीलामी प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया है. प्रशासन ने इस बार बालू घाटों को दो समूहों (ग्रुप A और ग्रुप B) में बांटकर नीलामी करने का फैसला किया है. 

 

जानकारी के अनुसार, बालू घाटों की ऑनलाइन नीलामी 18 सितंबर को की जाएगी, जिसके लिए बोली की तारीख और समय ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल पर पहले ही अपलोड किए जा चुके हैं. इच्छुक प्रतिभागियों को पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है.

 

प्रशासन का मानना है कि पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने से अवैध खनन पर भी अंकुश लगेगा और उद्योग जगत को बालू की आपूर्ति बेहतर ढंग से हो सकेगी.

 

ग्रुप ए का 25 करोड़ और ग्रुप बी का 20 करोड़ से शुरू होगी नीलामी

चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के घाटों को ग्रुप ए और सरायकेला अनुमंडल क्षेत्र के घाटों को ग्रुप बी में रखा गया है. चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के सोरो-जरगोडीह, सोरो-बिरडीह, बामुनडीह-गोविंदपुर-सपादा और बालीडीह-चांडिल घाटों को मिलाकर बने ग्रुप ए की न्यूनतम बोली 25 करोड़ रुपये तय की गई है.

 

अधिकारियों का मानना है कि इन घाटों में बड़े निवेशकों की रुचि रहेगी और सरकार को एकमुश्त राजस्व मिलेगा. वहीं, सरायकेला से जुड़े सरजामडीह, नुआडीह, चमारु, जादुडीही, बालीडीह-राजनगर और लक्ष्मीपुर घाटों को मिलाकर बनाए गए ग्रुप बी की न्यूनतम कीमत 20 करोड़ रुपये रखी गई है. इस ग्रुप में भी बड़ी कंपनियों के शामिल होने की उम्मीद है.

 

बालू घाटों का समूह बनाने से चिंतित हैं छोटे कारोबारी

बालू घाटों को व्यक्तिगत रूप से नीलाम करने के बजाय समूह बनाकर नीलामी किए जाने से स्थानीय छोटे कारोबारियों में भारी असंतोष है. उनका कहना है कि बालू घाटों का समूह बना दिया गया है और न्यूनतम बोली की राशि करोड़ों में रखी गई है, ऐसे में उनकी हिस्सेदारी लगभग नामुमकिन हो गई है.

 

छोटे कारोबारियों का कहना है कि अगर क्षेत्र के अलग-अलग घाटों की नीलामी अलग-अलग होती, तो वे भी बोली में हिस्सा ले सकते थे. लेकिन समूह आधारित नीलामी होने पर सिर्फ बड़े पूंजीपति ही भाग ले सकते हैं.

 

इस नई व्यवस्था के कारण छोटे कारोबारी खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं. बता दें कि प्रशासन ने इस बार छोटे-छोटे घाटों को मिलाकर एक घाट बनाया है. वहीं कई पुराने बालू घाटों को नीलामी में शामिल नहीं किया गया है.  

 

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