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सं-दीप ऐसा जलता दिया, जिसके हौसलों की उड़ान को सलाम

Saurav Shukla Ranchi : लोग उसे पागल कहते हैं, कहते हैं कि तुम जब खुद ठीक से नहीं चल सकते, तो रिक्शा कैसे चलाओगे. तुम्हारे रिक्शे पर बैठ कर हादसे का शिकार नहीं होना. लेकिन उसके पास तो बूढ़े मां-बाप की देखभाल और उनके लिए रोटी की जुगाड़ करने का कोई और दूसरा रास्ता भी तो नहीं है. इसलिए हर सुबह रिक्शा लेकर वो नयी उम्मीदों के साथ घर से निकल पड़ता है. शहर में घूमता है, सवारी ढूंढता है. ताकि शाम तक कुछ पैसा कमा पाए और घर का चूल्हा जल सके. चेहरे पर शिकन के बावजूद भी वो मुस्कुराता रहता है. उसकी आवाज स्पष्ट नहीं है, फिर भी वह पूरी कोशिश करता है अपनी बातों को समझाने की. ये कहानी है 22 साल संदीप की, जो बचपन से दिव्यांग हैं. लेकिन अपनी कोशिश से खुद के लिए रास्ता तय कर रहे हैं. इनके कंधों पर 70 वर्षीय पिता जीतू दास और 65 वर्षीय मां ज्योत्सना दास की देखभाल की जिम्मेदारी है. इसे भी पढ़ें - HC">https://lagatar.in/hc-order-ag-rajiv-ranjan-and-aag-sachin-kumar-will-face-contempt-of-court-case/">HC

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पिता भी हैं हादसे के शिकार

साल 2016 में संदीप के पिता जीतू दास को मधुमक्खी ने काट लिया था. जीतू उस मनहूस दिन की घटना को याद करके भावुक हो जाते हैं. कहते हैं कि शाम का वक्त था, जब मैं रिक्शा चला कर एक दुकान के पास थोड़ी देर के लिए रुका था. अचानक मधुमक्खियों के झुंड ने हमला कर दिया. जीतू ने बताया कि इधर-उधर भागता रहा, लेकिन मधुमक्खी के डंक से बच नहीं सका. मधुमक्खियों के झुंड के हमले से पूरे शरीर में डंक चुभ गया था. उसी हालत में किसी तरह रिक्शा लेकर घर पहुंचा. जीतू ने बताया कि घर पहुंचने के बाद दाहिने हाथ और पांव ने काम करना बंद कर दिया. पिछले 5 साल से अपंग वाली स्थिति में हूं. जीतू कहते हैं कि सरकारी सुविधा के नाम पर परिवार को 15 किलो अनाज मिलता है लेकिन वृद्धा पेंशन की कोई सुविधा अब तक नहीं मिली है. https://www.youtube.com/watch?v=SorDi4y4jIo

जब रिक्शा लेकर निकलता है संदीप तो लगता है डर

संदीप की मां ज्योत्सना दास भी शारीरिक रूप से कमजोर हैं. अपने दिव्यांग बेटे की हालत देख कर मां हर रोज भावुक हो जाती है. मां ने कहा कि संदीप जब भी रिक्शा लेकर निकलता है. किसी अनहोनी को लेकर मन में बुरे-बुरे ख्याल आते हैं. ज्योत्सना ने बताया कि ठीक से पैर पर खड़ा ना हो पाने के बावजूद संदीप उनके लिए घर से रिक्शा लेकर निकलता है, ताकि कुछ पैसा कमा सके. ज्योत्सना कहती हैं कि पहली बार जब वह रिक्शा लेकर घर से निकला, उस वक्त गिर पड़ा था. लेकिन संदीप ने अपनी मां को हौसला दिया और आज वह रिक्शा चला रहा है. मां कहती हैं कि संदीप दिव्यांग है, लेकिन हमारे बुढ़ापे का सहारा भी तो वही है.

मोरहाबादी के एदलहातु में किराए पर रहता है परिवार

संदीप अपने मां-बाप के साथ मोरहाबादी के एदलहातु में किराए के मकान में रहता है. एक कमरे के घर में पूरा परिवार किसी तरह गुजारा कर रहा है. संदीप को सरकार से भी उम्मीद की आस है कि कुछ आर्थिक मदद मिलेगी. इसे भी पढ़ें -पंज">https://lagatar.in/political-heat-increased-over-the-use-of-word-panj-pyare-rawat-apologized-said-i-will-atone-i-will-put-a-broom-in-the-gurudwara/">पंज

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