alt="" width="242" height="133" /> Jamshedpur : सीतारामडेरा स्थित शहीद बाबा दीप सिंह गुरुद्वारा कमेटी का विवाद बढ़ता जा रहा है. मौजूदा कमेटी के कार्यकाल में गबन करने, लेखा-जोखा नहीं होने का आरोप लगाया और पारदर्शी चुनावी प्रक्रिया शुरू कराने की मांग करते हुए संगत ने मंगलवार को डीसी सूरज कुमार, एसडीएम संदीप कुमार मीणा, सिटी एसपी व सीतारामडेरा थाना में न्याय के लिए पहुंचे. उन्होंने बलबीर सिंह टीम द्वारा किए गए गबन की न्यायिक जांच किसी मजिस्ट्रेट से कराने और आमसभा बुलाकर चुनावी प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है. उन्होंने बैंक खाता सीज करने की भी मांग की है. इधर, गुरुद्वारा के प्रधान बलबीर सिंह ने कहा कि सात-आठ लोगों को संगत कौन कहेगा. दो-तीन साल पहले सीतारामडेरा आए तीन लोग गंदगी फैला रहे हैं. हम हिसाब देने से भाग नहीं रहे. सामने आएं और हिसाब लें, लेकिन वे झगड़ा करते हैं. दो दिन पहले उस गुट के एक सज्जन उनसे मिले. उन्हें कहा भी था कि सब मिलकर सेवा करें. उन्होंने प्रस्ताव ठुकरा दिया. जिन लोगों से नाराजगी की बात कर रहे हैं. वह तीन साल पहले थी. सीजीपीसी प्रधान मुखे ने मामले का समझौता करा दिया. अब हम सब एक हैं.
क्या है शिकायत
[caption id="attachment_146543" align="aligncenter" width="209"]alt="" width="209" height="300" /> प्रशासन को सौंपा गया ज्ञापन.[/caption] तत्कालीन प्रधान कर्म सिंह के देहांत के बाद बलबीर सिंह ने कार्यवाहक प्रधान के रूप में कार्यभार संभाला. अपने कार्यकाल के दौरान कर्म सिंह की ऑडिट रिपोर्ट में उनका हस्ताक्षर नहीं है और न ही बलबीर सिंह ने अपने कार्यकाल का कोई हिसाब संगत को दिया है. खुद बलबीर सिंह ने अपनी कमेटी के विरुद्ध दो पत्रों द्वारा शिकायत की थी, जिसमें एक पत्र 12 जनवरी 2019 को ट्रस्टियों को दिया था. दूसरा तीन मार्च 2020 को सीजीपीसी को दिया था. इसमें लिखा था कि उनकी कमेटी के सदस्य मनमर्जी से कार्य कर रहे हैं. न कोई मुझसे राय ले रहे हैं और न हिसाब दिखाते हैं. उन सदस्यों के नाम सुरजीत सिंह, अमरजीत सिंह, अविनाश सिंह रिक्की, नरेंद्र सिंह गोल्डी, गुरपाल सिंह रिंकु, हरदेव सिंह और सरबजीत सिंह बिग्गू हैं. जब भी संगत प्रधान से हिसाब मांगने गई तो उपरोक्त सदस्यों ने लड़ाई झगड़ा किया, जिस कारण कभी भी विधि व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती है. उनके इस रवैया से साफ दिखता है कि उनके पास कोई भी लेखा जोखा नहीं है. उन्होंने अपने कार्यकाल में काफी गबन किया है. यह भी आरोप विपक्ष ने लगाया है कि सुरजीत सिंह को बर्खास्त कर दिया गया है. उसके बाद भी वे अपनी मर्जी से गुरुद्वारा आकर हिसाब किताब कर रहे हैं, जो अनुचित और अनैतिक है. संगत ने कई बार पत्र के माध्यम से इन सारे मुद्दों को उठाया, लेकिन उसे नजरअंदाज किया जाता रहा. [wpse_comments_template]
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