Jamshedpur : दिशोम जाहेरगाड़ करनडीह में बुधवार को संताली भाषा दिवस धूमधाम के साथ मनाया गया. इस अवसर पर संताली भाषा के प्रचार-प्रसार एवं विकास पर चर्चा की गई. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने कहा कि मनुष्य की भाषा जब तक अस्तित्व में रहती है तभीतक उसकी पहचान बनी रहता है. भाषा समाप्त होने का मतलब है कि उनका अस्तित्व समाप्त हो जाना.
मातृभाषा ही एक अलग पहचान देती है : बेसरा
श्री बेसरा ने कहा कि किसी भी जाति या समुदाय को उसकी मातृभाषा ही एक अलग पहचान देती है, जिससे मनुष्य की उन्नति और विकास का मार्ग प्रशस्त होता है. देश में कई ऐसे राज्य हैं जो भाषा के नाम पर अलग हुए है. संताली भाषा को समृद्ध बनाने के लिए केजी से लेकर पीजी तक संताली में पढ़ाई होनी चाहिए तथा संताली बहुल राज्यों में संताली अकादमी का गठन होना चाहिए.
संताली भाषा को मान्यता दिलाने के काफी संघर्ष किया गया
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जाहेरथान कमेटी के अध्यक्ष सीआर माझी ने कहा कि 22 दिसम्बर 2003 को संताली भाषा को भारत के संविधान की 8वीं अनसूची में मान्यता मिली. उन्होंने गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि संताली भाषा को मान्यता दिलाने के लिए झारखंड, बंगाल, ओडिसा के लोगों ने सड़क से लेकर संसद तक काफी संघर्ष किया है. कार्यक्रम में बुढान मांझी, अधिवक्ता गणेश टुडु, बीर प्रताप मूर्मू, रवीन्द्र नाथ मुर्मू, बाबू राम सोरेन, प्रो लखाई बास्के, डोमान टुडु, समरेंद्र मार्डी, रामचंद्र मुर्मू, करूना मुर्मू, लाखिया टुडु, देवगी मुर्मू, दिपक हांसदा, नोबो कुमार बास्के, कुवांर माहली, साहेब सोरेन, विजय टुडु, मिर्जा मुर्मू, कुशा सोरेन आदि शामिल रहे. अन्त में लेदेम मार्डी ने धन्यवाद ज्ञापन किया.