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मंच पर सरस्वती की प्रतिमा लगी थी, मराठी कवि ने विदर्भ साहित्य संघ का अवॉर्ड लेने से इनकार किया

Nagpur :  महाराष्ट्र के नागपुर में मराठी कवि यशवंत मनोहर  सुर्खियों में है. कारण यह कि उन्होंने विदर्भ साहित्य संघ के सम्मान समारोह के मंच पर देवी सरस्वती की मूर्ति लगाने से नाराज होकर पुरस्कार लेने से मना कर दिया. यशवंत मनोहर  के अनुसार आयोजकों ने उनकी आपत्ति के बावजूद सम्मान समारोह के मंच पर देवी सरस्वती की मूर्ति लगायी थी, इस कारण उन्होंने अवॉर्ड स्वीकार नहीं किया. इस क्रम में यशवंत ने यह भी कहा कि वह पहले भी ऐसे कई अवॉर्ड इसी कारण से लौटाते रहे हैं. इसे भी पढ़ें : बिल">https://lagatar.in/bill-gates-is-now-americas-biggest-farmer-bought-two-lakh-42-thousand-acres-of-cultivated-land-in-19-states/18373/">बिल

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विदर्भ साहित्य संघ की स्थापना वर्ष 1923 में मराठी साहित्य के विस्तार के लिए हुई थी

बता दें कि विदर्भ साहित्य संघ की स्थापना वर्ष 1923 में मराठी साहित्य के विस्तार के लिए हुई थी.  हर वर्ष यह संस्था ऐसे ही सम्मान समारोह में मराठी साहित्य से जुड़े लोगों को सम्मानित करती है. बताया गया कि महाराष्ट्र की अग्रणी साहित्य संस्था  माने जानेवाले विदर्भ साहित्य संघ ने यशवंत मनोहर को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड देने के लिए चुना था. जिस समारोह में यशवंत को पुरस्कार मिलना था,  वह समारोह संस्था के रंग शारदा हॉल में 14 जनवरी को आयोजित किया गया था. संस्था की ओर से मनोहर को आमंत्रित करने के बाद समारोह के बारे में बताया गया कि इस कार्यक्रम में सरस्वती पूजा भी जायेगी. इसे भी पढ़ें :  मोदी">https://lagatar.in/the-modi-government-and-arnab-goswami-were-informed-about-the-pulwama-attack-4-days-ago-read-leaked-chat/18327/">मोदी

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आयोजकों ने कहा,  सम्मान समारोह का स्वरूप नहीं बदला जा सकता

खबरों के अनुसार मनोहर ने इसका विरोध करते पर  कहा, देवी सरस्वती की मूर्ति उस शोषक मानसिकता की प्रतीक है, जिसने महिलाओं और शूद्रों को शिक्षा एवं ज्ञान प्राप्त करने से दूर किया. हालांकि आयोजकों ने उनकी इस बात को स्वीकार नहीं किया और साफ शब्दों में कहा कि सम्मान समारोह का स्वरूप नहीं बदला जा सकता.  इसके बाद यशवंत समारोह में शामिल नहीं हुए. हालांकि  उन्होंने विदर्भ साहित्य संघ को एक खुला पत्र लिखा. इसे भी पढ़ें :  सवाल">https://lagatar.in/ask-questions-not-to-the-person-in-power-but-only-to-the-condition-that-the-government-should-not-belong-to-the-bjp/18307/">सवाल

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मुझे उम्मीद थी मेरे लिए कार्यक्रम बदलेगा

मराठी में लिखे गये पत्र में यशवंत ने लिखा कि  मैं उम्मीद कर रहा था कि विदर्भ साहित्य संघ मेरे विचार और सिद्धांतों के बारे में सोचेगा और अपने कार्यक्रमों में बदलाव करेगा. लेकिन अधिकारियों ने मुझे बताया कि मंच पर देवी सरस्वती की मूर्ति होगी. मैंने ऐसे कई सम्मान और पुरस्कार इसी एक कारण से छोड़ दिये हैं. मैं साहित्य में धर्म का दखल स्वीकार नहीं कर सकता, ऐसे में मैं इस सम्मान को स्वीकार करने से इनकार करता हूं. संस्था के अधिकारियों के अनुसार उनके सम्मान समारोहों में मंच पर सरस्वती पूजन की परंपरा 90 वर्ष से अधिक समय से निभाई जा रही है और इसे कभी बदला नहीं गया है.

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