Ranchi: प्रकृति प्रेम और आस्था के महापर्व सरहुल का उल्लास पूरे झारखंड में छाया रहा. बुधवार को रांची के विभिन्न मुहल्लों जैसे हाथमा, नगड़ा टोली, धोबीघाट, करम टोली, सरईटाड़, हरमु, टैगोर हिल, पिस्का मोड़, अरगोड़ा समेत कई इलाकों में सरना स्थल के पाहनों ने विशेष अनुष्ठान किया. पारंपरिक वाद्य यंत्रों-ढोल, ढाक, नगाड़ा और मांदर की गूंज के बीच पाहनों की मंडलियां मुहल्लों के घर-घर पहुंचीं. उनके साथ सूप में सजे सरई फूल थे, जिन्हें देखकर हर घर आनंदित हो उठा. पाहनों के आगमन पर घर की महिलाओं ने श्रद्धा के साथ उनका स्वागत किया, पवित्र जल से उनके पैर धोए, माथे पर तिलक लगाया और अरवा चावल अर्पित किए. इसके बाद पाहनों ने घर-परिवार के लिए सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना करते हुए सरई फूल भेंट किए. हाथमा के मुख्य पाहन जगलाल पाहन ने कहा कि दरवाजे पर सरई फूल खोंसने से घर में खुशहाली बनी रहती है और गांव में एकजुटता का भाव मजबूत होता है.
शादी-ब्याह और नई फसल का संकेत
नगड़ा टोली के हलधर चंदन पाहन ने बताया कि सरहुल पर्व के साथ ही आदिवासी समाज में शादी-विवाह की रस्में शुरू हो जाती हैं. साथ ही पेड़ों पर आए नए फूल और फल अब भोजन और सब्जियों में उपयोग किए जाएंगे. इस पर्व के माध्यम से ग्राम देवता से सुख-शांति की प्रार्थना की जाती है.
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