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सरहुल आदिवासियों का प्रकृति पर्व हैः चमरा लिंडा

Ranchi: रांची विश्वविद्यालय के दीक्षांत मंडप पर नव सरना युवक संघ द्वारा आयोजित सरहुल पूर्व संध्या समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रम में चार भाषाओं की समृद्ध झलक देखने को मिली. इस मौके पर कल्याण मंत्री चमरा लिंडा ने कहा कि सरहुल आदिवासियों का प्रकृति पर्व है, जो उनकी पूजा-पाठ, धर्म, संस्कृति और सरय फूल की महत्ता से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी अपनी जड़ों से दूर होती जा रही है. इसलिए सरहुल में होने वाली भविष्यवाणी और फूल के महत्व को समझना बेहद आवश्यक है. उन्होंने यह भी कहा कि सरहुल में धरती से एक भी ढेला निकालना पाप माना जाता है. जिससे इसकी पवित्रता बनी रहती है. सरना संस्कृति और सभ्यता को भव्य एवं विकसित बनाने के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है और जो भी आवश्यक खर्च होगा, उसे वहन किया जाएगा. कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि आदिवासी सभ्यता के विचारों से रहा है. नये समय के लिए धरती तैयार करते हैं. आदिवासी समाज हमेशा सामूकिता पर विश्वास करता है. कहा कि आदिवासी सभ्यता काफी समृद्ध हैं. आदिवासी समाज हमेशा पूंजीपतियों के खिलाफ रहे हैं औऱ आगे भी रहेंगे. जब इनके विचारधारा को नहीं समझ पाते हैं तब आदिवासी समाज को विऱोधी के तरह देखा जाता है. पूर्व मंत्री बंधु तिर्की ने कहा कि संविधान को समझने की जरूरत है. पेसा कानून एवं पांचवी अनुसूची को जानने की जरूरत है. आज की युवा पीढ़ी को शिक्षा प्राप्त करना होगा आज बढ़ती प्रतिस्पर्धा को देखते हुए गंभीर होना होगा.

46वें सरना फूल पत्रिका का विमोचन

सरहुल पूर्व संध्या पर 46वें सरना फूल पत्रिका का विमोचन किया गया. जिसमें आदिवासी परंपराओं, रीति-रिवाजों और सामाजिक विषयों पर विशेष आलेख प्रकाशित किए गए हैं. इस अवसर पर दो विश्वविद्यालयों और 33 आदिवासी छात्रावासों के छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया. वहीं कार्यक्रम में मुंडारी, कुड़ुख, संथाली, खड़िया और हो भाषाओं के विद्यार्थियों ने सामूहिक नृत्य और एकल गीत नृत्य प्रस्तुत कर उपस्थित दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. मांदर, नगाड़ा और झांझ की थाप पर थिरकते कलाकारों ने माहौल को सरहुलमय बना दिया. इस समारोह में चार भाषाओं में एकल गीतों की प्रस्तुति भी हुई. जिसने सांस्कृतिक विविधता को एक मंच पर जीवंत कर दिया. पूरे आयोजन में आदिवासी परंपराओं की ध्वनी औऱ बांसुरी की सुरली आवाज से छठा बिखरी रही और सरहुल की हृदय से महसूस किया गया.

तीन लोग हुए सम्मानित

शिक्षा और चित्रकारी के क्षेत्र मे योगदान देने के लिए लोघेर उरांव, इंडिगो एयरलाइंस के क्षेत्र में कार्यरत जेसिका उरांव औऱ फिल्म डोक्युमेंट्री के क्षेत्र में काम करने वाली निरंजन कुमार कुजूर को मंच पर सम्मानित किए गए. मौके पर डॉ रविद्र भगत (पूर्व वीसी) कुलपति अजित कुमार, डॉ हरी उरांव समेत श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय विभाग के प्रोफेसर व शोधार्थी मौजूद थे. इसे भी पढ़ें – सोनिया">https://lagatar.in/sonia-gandhi-raised-questions-on-education-policy-in-an-article-written-in-hindu-bjp-rejected-it/">सोनिया

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