सियासी फिजां में तैर रहा सरना धर्म कोड, झामुमो और कांग्रेस का शक्ति प्रदर्शन

Ranchi : झारखंड की सियासी फिजां में सरना धर्म कोड तैर रहा है. सरना धर्म कोड की मांग को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस के बीच शक्ति प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया है. कांग्रेस के राज्यस्तरीय आंदोलन के ठीक एक दिन बाद झामुमो ने राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में प्रदर्शन कर सरना धर्मकोड की मांग की और सरना धर्म कोड नहीं लागू करने पर जनगणना नहीं होने तक की धमकी दी है. दोनों दलों के बीच शक्ति प्रदर्शन का कारण दोनों दलों के बीच शक्ति प्रदर्शन का कारण यह है कि पिछले विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के द्वारा जारी संयुक्त घोषणा पत्र सात निश्चय में इसे प्रमुख एजेंडे में रखा गया था. इसके अलावा दोनों दलों ने अपने-अपने घोषणा पत्र में भी प्रमुखता से इस मुद्दे को रखकर जनता का दिल जीतने की कोशिश की थी. झामुमो ने कहा, यह उनकी पुरानी मांग है झामुमो का कहना है कि सरना धर्म कोड की मांग उनकी पुरानी मांग है और समय-समय पर उठती रही है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा विधानसभा से इसे पास कराकर केंद्र को भेजा गया था, लेकिन केंद्र सरकार के द्वारा अनदेखी की जा रही है. कांग्रेस ने कहा, यह मांग न्यायसंगत है कांग्रेस का कहना है कि सरना धर्म कोड की मांग न्यायसंगत है और इसके लिए वे आंदोलन करते रहेंगे. कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा कि जब बीमारी गंभीर हो तो कई दवाई दी जाती है. इसी के तहत हम लोगों ने कल आंदोलन के जरिए केंद्र सरकार को दवाई देने का काम किया है. भाजपा ने कहा. धर्मांतरण रोके बिना सरना धर्म कोड की मांग करना बेतुका भाजपा का कहना है कि राज्य में धर्मांतरण रोके बिना सरना धर्म कोड की मांग करना बेतुका है. नेता प्रतिपक्ष और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि राज्य में आदिवासियों की संख्या 86 लाख 45 हजार थी, जिसकी 15.48% आबादी क्रिश्चियन बन चुकी है. न्होंने कहा कि यदि जनजाति को अलग-अलग देखें तो उरांव की 36% आबादी क्रिश्चियन बन चुकी है, मुंडा जिसमें पातर मुंडा शामिल हैं, 33% ईसाई बन चुके हैं.
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