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व्यंग- आगे बढ़ो मेरे हमवतनो, यलगार हो...

Manish Singh
दृश्य-01
बड़ा खतरनाक मंजर था.  मजबूत से मजबूत शख्स के भी हाड़ कंपा दे. युद्ध का बवंडर और खून की नदी के बीच चारों ओर लाशें बिखरी पड़ी थी. चील कव्वे मंडरा रहे थे.  सना सन बोलियां चल रही थी. और इनके बीच निडर निर्भीक एंकर चला जा रहा रहा. सामने से दुश्मनों के रेला दिखा. वे कुछ बोलते, कि उसने कड़वे सवालों की शेलिंग कर दी.  कड़कड़ाते सवालों के फटते ही दुश्मनों की टुकड़ी क्षत विक्षत होकर भूशाई हो गई.  एंकर ने जेब से चश्मा निकाला. रजनीकांत की तरह 6 बार घुमाकर आंखों पर लगाया.  और बोला.. मुझे ड्रग दो, ड्रग दो, ड्रग दो.. एक कराहता हुआ दुश्मन, यह सुनकर अल्लाह को प्यारा हो गया. 
दृश्य-02
अरब सागर के नीचे दुश्मन की पनडुब्बी घात लगाए बैठी थी. गहरे पानी मे सोनार से छिपकर यूँ चल रही थी, जैसे विमान बादलों में छिप जाता है. ऊपर ट्रोल्स से भरा हमारा विमानवाहक पोत, मदमस्त कराची की ओर चला जा रहा था. तभी छुपी हई पनडुब्बी ने तारपीडो छोड़ी. ट्रोल इसी वक्त के इंतजार मे थे. 3000 ट्रोल्स एक साथ फुसफुसाए- अबे ..... तारपीडो के बीज, अरंडी, लहसुन,....... चाट, चूस, ..... मां, बहन, .....  गालियां सुनकर, तारपीडो पनडुब्बी के पैन में ही फट गया. लेकिन गजब ये कि इसके पहले गालियां उस पनडुब्बी के संचार माध्यम से, दुश्मन की नेवी के सारे शिप, डिस्ट्रॉयर, फ्रिगेट में फैल गयी थी. वे सब के सब, शर्म से खुद ही डूब गये. 
दृश्य-03
सायरन बज रहा था. यह दुश्मन की एयरस्ट्राइक थी. लेकिन हमने तो पहले ही पूरी तैयारी कर रखी थी. शहर में बत्तियां बुझा दी गयी थी. एकदम घुप्प अंधेरा.. सन्नाटे को चीरकर चीखती सनसनी.  इस रणनीति से दुश्मन के जहाजों का जीपीएस कोऑर्डिनेट बेस्ड प्रिसिजन बॉम्बिंग सिस्टम भ्रमित हो गया. पायलट बोले- सुसरा, शहर का लैट-लांग तो तो यही का मिला था. अब अंधेरे में दिखई नही रहा.  वह ठिठक गया. तभी अंधेरे का बेनिफिट लेकर नीचे से फेंकी गए लाठियां, बल्लम, गंडासे बिजली की गति से आकर टकराये. विमान टुकड़े टुकड़े हो गया.  दरअसल जो बात दुश्मन को पता नही थी, वह ये कि उस शहर में 25 शाखाएं लगती थी. इनमें 3 दिन में तैयार हो चुकी सेना थी के 6 दर्जन आत्मसेवक थे, जो गंडासे वाले 14 दंगाईयों के साथ, 2 करोड़ के कार्यालय में छिपे बैठे थे.  वे एक हफ्ते से उछल कूद, लाठी भांज, आग लगाऊ प्रेक्टिस पूरी कर, देशभक्ति से लबरेज, बस इसी वक्त का बेसब्री से इंतजार कर थे.  तो जैसे ही हमला हुआ, अंधेरे में छिपे शहर से आकाशगामी लाठियां, बल्लम, गंडासे उन्होंने फेंकी. ठीक इसी वक्त सोशल मीडिया पर करोड़ो फालोवर्स ने एक साथ ट्वीट कर ट्रेंड जनरेट किया. जिससे अप्रतिम ऊर्जा पाकर ये हथियार, सोनिक स्पीड से दुश्मन के जहाजों पर लगे. पूरी स्क्वाड्रन परकटे पक्षी की तरह धरती पर गिर गयी.
दृश्य-04
युद्ध अब एकतरफा हो चुका था. दुश्मन ने आखरी कोशिश की. लाखो मिसाइलें एक साथ हमारी दिशा में छोड़ दी. उनके युद्धाग्र में नेपाम बम, क्लस्टर बम, एटम बम, ये बम, वो बम लगे हुए थे. गनगनाते हुए वे हमारे शहरों, गांव, कस्बों की तरह बढ़ने लगी.  जैसे ही निशाने पर पहुचीं, भौचक्की रह गयी. देखा, घरों पर गोबर पेंट का लेप है. लोग गौमूत्र सेवन कर बम प्रूफ बन चुके है. और सबसे खतरनाक.. घर घर मे बाबाओ द्वारा श्मशान की राख और सिन्दूर से अभिषिक्त नींबू मिर्च लटकी है. दीवारों पर लिखा है.. "ओ मिसाइल, कल आना"  मिसाइलें वापस मुड़ गयी, और अपने ऑरिजिनल प्रक्षेपण स्थल पर पहुंचते ही लज्जित होकर फट गयी.  अब जल थल और नभ में डंका बज रहा था. विश्व मे नई महाशक्ति का उदय हो चुका था.
दृश्य-05
खबर है कि फ्रांस की सरकार, और रफेल कंपनी ने अपने विमानों का सोर्स कोड साझा करने से इनकार कर दिया है.  इसके कारण नये, भारत मे विकसित, या अन्य देशों से क्रय किये हथियारों को इस विमान के सिस्टम के साथ सिंक्रोनाइज करना संभव नही है. विमानों का मेंटेनेंस हेतु अरबों का ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट किसे जाएगा, इसका ध्यान व्यापारी रख सकता है.  और समझौते में सोर्स कोड जैसी मामूली टेक्निकल बाते भूल जाना नेहरू जैसे नेता की पुरानी आदत है. लेकिन चिंता की बात नही है. साहेब ने किया, तो सोच समझकर ही किया होगा. उनके पाले पोसे एंकरों, ट्रोल्स, और थ्री डे वाली आर्मी के रहते हम सुरक्षित हैं.  विश्व विजय को तैयार हैं. तो आगे बढ़ो मेरे हमवतनो, यलगार होSS !!!

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