गांव का दलाल अब कमीशन एजेंट बन गया है. ठर्रे की दुकान तो सोमरस में तब्दील हो गयी. जमाना बदल रहा है. इसलिए हर चीज बदल रही है. चाहे वह नाम हो या कुछ और. जरा आप ही सोचिए अब तो पति भी बेबी हो गया है. इन बदलाव से अब दिमाग पर बुरा असर नहीं पड़ता है. बस बुरी चीजों के लिए दिलो दिमाग में अच्छी तस्वीर उभरने लगती है.
गांव का माहौल ही अजब हुआ करता था. इधर की उधर करने वालों को गलत समझा जाता था. सामान की खरीद-बिक्री में जो दोनों ही तरफ से पैसे ले लेता था, उसके लिए दलाल शब्द का इस्तेमाल होता था. गांव के बड़े बुजुर्ग तो इस शब्द का इस्तेमाल गाली के तौर पर भी करते थे. किसी आदमी के लिए दलाल शब्द सुनते ही दिमाग में एक तस्वीर बनती थी. वह इस बात की तरफ इशारा करती थी कि वह आदमी अच्छा नहीं है. उससे दूर रहो तो बेहतर होगा.
लेकिन अब जमाना बदल गया है. दलाल की जगह अंग्रेजी के शब्द ने ले ली है. अब दलाल को Commission Agent कहते हैं. पहले तो दलाल मुंह छिपाये घूमता था. अब Commission Agent सीन तान कर चलता है.
जमाना बदल गया है. इसलिए अब हर आदमी को हर तरह के काम के लिए Commission Agent की जरूरत होती है. बगैर उसके किसी का काम नहीं चलता है. दूसरों का काम चलाने में Commission Agent का भी काम चलता है. मिट्टी से हथियार तक की खरीद बिक्री में Commission Agent का दबदबा होता है. मानो उसके बिना अब जिंदगी अधूरी है.
शराब पीने की परंपरा तो बहुत पुरानी है. पुराने जमाने में भी पीने-पिलाने पर शायरी होती रही है. आम आदमी शराब पीता था. सुना है कि देवता सोमरस पीते थे. सोमरस को पवित्र पेय समझा जाता था. यह बलवर्धक और गुणकारी भी हुआ करता है. सोमरस का इस्तेमाल देवता कहां और कैसे करते थे. मुझे इसकी जानकारी तो नहीं है. लेकिन गांव में शराब पीने वालों की खबर है.
शराब पीने वालों के लिए ठेठ शब्द पियक्कड़ का इस्तेमाल हुआ करता था. शराब की दुकान को ठेठ भाषा में ठर्रे की दुकान कही जाती थी. लोग चुपके से ठर्रे की दुकान पर पहुंचते थे. कुछ लेकर धीरे से खिसक जाते थे.
अब जमाना बदल गया है. अब ठर्रे की दुकान का नाम सोमरस हो गया है. मानो वहां अब पियक्कड़ नहीं देवता जायेंगे. हमारी परंपरा में तो ग्राहक को भगवान माना जाता है. यह अलग बात है कि इस भगवान रूपी ग्राहक से सोमरस वाले डरा-सहमा रहता है. दुकान तो खोल कर रखता है. लेकिन खुद को ताले में बंद करके रखता है. पता नहीं कब बलवर्धक पेय के सहारे ग्राहक रूपी भगवान बलवान होकर इसका प्रदर्शन करने लगे.
पहले एक शब्द हुआ करता था ”पति”. पुरानी कहावत है पति ही परमेश्वर. बदलते जमाने के साथ परमेश्वर से गिर कर बेबी तक पहुंच गया है. पता ही नहीं चलता कि वह पति है या बच्चा. अंग्रेजी में पति के लिए पहले Husband शब्द का इस्तेमाल होता था.
पहले पति नामक जीव का दबदबा हुआ करता था. वक्त के साथ उसमें कमी आती गयी. पति नामक जीव के लिए बेचारा शब्द का इस्तेमाल होने लगा. इस बदलाव का प्रभाव विदेशी भाषाओं पर भी पड़ा. अब तो Husband को प्यार से Baby कहा जाने लगा है. यानी हर पत्नी अपने पति को अपने से छोटा मानने लगी है. लेकिन बेचारा पति चूं भी नहीं कर सकता है.
Leave a Comment