- झारखंड के पारंपरिक वाद्ययंत्रों और उसे बनाने वालों को बचाने की पहल
Ranchi : झारखंड के पारंपरिक वाद्य यंत्रों और उनके बनाने वालों को संरक्षित करने के लिए अखरा बचाओ पारंपरिक वाद्य यंत्र बनाने वालों को बचाओ का संकल्प लिया गया है. रांची प्रेस क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम के मध्यम से इस मुहिम की शुरुआत झारखंड के जाने माने लोक कलाकार और संगीत नाटक एकेडमी के सदस्य नंदलाल नायक के द्वारा की गई. इसमें वहां मौजूद लोगों द्वारा 5 अक्टूबर से पहले तक 10 हजार वाद्य यंत्र जैसे मांदर, ढोल, ढांक, नगाड़ा, टुइला, बांसुरी समेत अन्य पारंपरिक वाद्य यंत्रों की खरीदारी का संकल्प लिया गया, ताकि सांस्कृतिक विरासत से जुड़े वाद्य यंत्रो के बनाने वालों को आर्थिक सहायता मिल सके. मौके पर पद्मश्री मुकुंद नायक ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम बाजा को बचाएं, अखरा को बचाएं, झारखंड को सजाएं और भारत को बढ़ाएं. झारखंड में अनेक वाद्य यंत्र हैं और इनके बनाने वाले कम होते जा रहे हैं. इसलिए इस तरह का प्रयास सराहनीय है.
कम से कम एक वाद्य यंत्र को जरूर खरीदें- नंदलाल नायक
नंदलाल नायक ने कहा कि बाघों को बचाने की बात तो होती है, लेकिन संस्कृति और इसके रक्षकों को बचाने की बात नहीं होती. झारखंडी वाद्य यंत्र को बनाने वाले लोगों की स्थिति काफी खराब है. एक मांदर बनाने में कम से कम उन्हें एक सप्ताह का समय लगता है. लेकिन उन्हें महज 500 रूपए ही मिलते हैं. उनकी स्थिति को सुधारने के लिए ये संकल्प लिया गया है. लोगों से अपील है कि कम से कम एक वाद्य यंत्र को जरूर खरीदें, ताकि इन लोगों का हौसला बढ़ सके और हमारी संस्कृति बची रहे. नंदलाल ने कहा कि इसके लिए डिजिटल प्लेटफार्म की घोषणा भी जल्द होगी और नंबर भी जारी किए जाएंगे, जिसके माध्यम से राज्य के किसी भी हिस्से से लोग वाद्य यंत्र खरीद सकेंगे. कार्यक्रम में दिवंगत नागपुरी गीतकार मदन नायक को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी. कार्यक्रम में सांस्कृतिक कला से जुड़े पद्मश्री मुकुंद नायक, पदdमश्री मधु मंसूरी, सुशांतो महापात्रा, वरिष्ठ पत्रकार विजय पाठक और शंभुनाथ चौधरी सहित कई लोग शामिल रहे.
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