Vinit Upadhyay
Delhi/Ranchi : सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के धनबाद से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया है कि जिस जगह पर माइनिंग हो रही है या प्रस्तावित है, वह किसी की निजी संपत्ति नहीं हो सकती. बल्कि केंद्र सरकार में निहित संपत्ति है. भले ही इसका मालिक कोई भी हो. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि कोयला खान राष्ट्रीयकरण अधिनियम के तहत सभी माइनिंग केंद्र सरकार में ही निहित हैं. भले ही उक्त भूमि का मालिक कोई भी हो.
शीर्ष अदालत ने प्रार्थियों की याचिका खारिज की
देश की शीर्ष अदालत ने महेंद्र पाल भाटिया एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है. यह मामला धनबाद के बोधुर माइंस की भूमि से जुड़ा हुआ है. जिस पर करीब 30 वर्षों से निचली अदालत से लेकर झारखंड हाईकोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है. सभी पक्षों को सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने प्रार्थियों की याचिका को ख़ारिज कर दिया है.
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यह मामला कानूनी मैराथन के रूप में है, जो निराशाजनक है
सुनवाई के दौरान प्रार्थी महेंद्र पाल भाटिया की ओर से पक्ष रख रहे वरीय अधिवक्ता ने अदालत के समक्ष बहस करते हुए कहा कि उक्त भूमि प्राइवेट प्रॉपर्टी है. लेकिन कोर्ट ने सभी दलीलों को दरकिनार करते हुए उन्हें उक्त भूमि से बेदखल होने के झारखंड हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करने से इंकार करते हुए हाईकोर्ट की डबल बेंच के आदेश को बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि यह मामला क़ानूनी मैराथन के रूप में है, जो निराशाजनक है.
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