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कोरोना संकट पर SC के तेवर तल्ख, स्वत: संज्ञान लेकर केंद्र को नोटिस भेजा, नेशनल प्लान तलब किया, कल सुनवाई

NewDelhi :  देश में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामले  और अस्पतालों में ऑक्सीजन के साथ दवाओं की कमी पर सुप्रीम कोर्ट के तेवर तल्ख हैं. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र की मोदी सरकार को नोटिस भेजा है.  SC ने केंद्र से पूछा है कि उनके पास कोविड-19 से निपटने के लिए क्या नेशनल प्लान है. साथ ही कोर्ट ने हरीश साल्वे को एमिकस क्यूरी  नियुक्त किया है. खबरों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने चार अहम मुद्दों पर केंद्र सरकार से नेशनल प्लान मांगा है.

 पहला ऑक्सीजन की सप्लाई, दूसरा दवाओं की सप्लाई, तीसरा वैक्सीन देने का तरीका और प्रक्रिया और चौथा लॉकडाउन करने का अधिकार सिर्फ राज्य सरकार को हो, कोर्ट को नहीं.  अगली सुनवाई  कल होगी.

दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार पर तल्ख टिप्पणी की थी

इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था, `गिड़गिडाइए, उधार लीजिए या फिर चोरी करिए, लेकिन ऑक्सीजन लेकर आइए, हम मरीजों को मरते नहीं देख सकते. बुधवार को दिल्ली के कुछ अस्पतालों में ऑक्सीजन की तत्काल जरूरत के संबंध में सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने ये कड़ी टिप्पणी की थी.

क्या इंसानियत की कोई जगह नहीं बची है ?

दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि कोविड-19 के गंभीर रोगियों का इलाज कर रहे दिल्ली के हॉस्पिटल को किसी भी तरीके से ऑक्सीजन मुहैया करायी जाये. हैरानी जताते हुए अदालत ने ये भी कहा कि केंद्र हालात की गंभीरता को क्यों नहीं समझ रहा. अदालत ने नासिक में ऑक्सीजन से हुई मौतों का जिक्र भी किया.

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि उद्योग ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए कई दिनों तक इंतजार कर सकते हैं, लेकिन यहां मौजूदा स्थिति बहुत नाजुक और संवेदनशील है. हाईकोर्ट ने कहा कि अगर टाटा कंपनी अपने ऑक्सीजन कोटे को डायवर्ट कर सकती है, तो दूसरे ऐसा क्यों नहीं कर सकते ? क्या इंसानियत की कोई जगह नहीं बची है ? ये हास्यास्पद है.

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