NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट से आज सोमवार को बड़ी खबर आयी है. SC ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की है
खबर है कि CJI संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने जमीयत उलमा-ए-हिंद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलीलों पर गौर किया कि इस मुद्दे पर कई याचिकाएं हैं और उन्हें तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने की आवश्यकता है.
कपिल सिब्बल के अलावा, वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी और वकील निजाम पाशा ने भी तत्काल सुनवाई के लिए अन्य याचिकाओं का उल्लेख किया.
जान लें कि वक्फ बोर्ड संशोधन कानून 2025 को असंवैधानिक करार दिये जाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अब तक कई याचिकाएं दायर की जा चुकी है, सभी याचिकाओं में इस कानून को असंवैधानिक घोषित करने की मांग करते हुए कहा गया है कि यह मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता को छीनने की साजिश है.
याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई करने की गुहार लगाई गया है. इस बीच खबर आयी है कि इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग द्वारा दायर याचिका सीजेआई संजीव खन्ना की बेंच के सामने मेंशन का गयी है. सीजेआई ने कहा कि हम आपकी मेंशनिंग पर विचार करेंगे. देखेंगे कि मामले पर कब सुनवाई कर सकते हैं..
अब तक कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, आम आदमी पार्टी विधायक अमानतुल्लाह खान, एसोसिएशन फॉर द प्रोटैक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR), जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी, केरल की शीर्ष मुस्लिम बॉडी समस्थ केरल जमीयतुल उलेमा, एसडीपीआई, तैय्यब खान सलमानी, अंजुम कादरी और इंडियन मुस्लिम लीग सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर कर चुके हैं.
कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को वक्फ बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. मोहम्मद जावेद बिहार के किशनगंज से कांग्रेस सांसद हैं. वो वक्फ संशोधन विधेयक की समीक्षा करने वाली संयुक्त संसदीय समिति के सदस्य भी थे. शनिवार को आप विधायक अमानतुल्लाह खान और APSR ने SC में याचिका दायर की. इ
कल रविवार को जमीयत उलेमा-ए-हिंद और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कहा है कि यह कानून देश के संविधान पर सीधा हमला है. यह न केवल अपने नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करता है, बल्कि उन्हें पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता भी प्रदान करता है.
ओवैसी ने कानून को मुसलमानों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाला करार दिया है. बता दें कि लोकसभा में चर्चा के दौरान उन्होंने बिल की कॉपी भी फाड़ दी थी जान लें कि इस बिल के कानून बनने के बाद कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल इसके विरोध में उठ खड़े हुए हैं. राजद, डीएमके, टीएमसी, सपा समेत कई दलों ने इस कानून को संविधान विरोधी कहा है.
इसे भी पढ़ें : बाड़मेर में पारा 45.6 डिग्री सेल्सियस, पांच राज्यों के 21 शहरों में तापमान 42 डिग्री पार,उत्तर भारत में चलेगी लू…