यदि नियुक्ति प्रक्रिया अमान्य है तो इसे रद्द किया जा सकता
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि असंवैधानिक प्रक्रिया के माध्यम से की गयी नियुक्तियों को संरक्षित नहीं किया जा सकता, भले ही उम्मीदवारों ने वर्षों तक काम किया हो और उनकी नियुक्ति रद्द करने से पहले उनकी बात नहीं सुनी गयी हो. यदि नियुक्ति प्रक्रिया अमान्य है तो नियुक्तियों को रद्द किया जा सकता है, भले ही व्यक्ति सेवा में शामिल हो गया हो.
हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट से भी नियुक्त हुए लोगों को राहत नहीं मिली राहत
दरअसल 29 जुलाई, 2010 के विज्ञापन के तहत अमृत यादव और अन्य कई लोगों की नियुक्ति चतुर्थ पद पर की गयी थी. लेकिन बाद में नियुक्ति के लिए किया गया विज्ञापन रद्द कर दिया गया. जिसके बाद नियुक्त हुए लोगों ने पहले हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद उन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. लेकिन वहां भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली.
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