- जमीन लूट का खेल
- शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं
- राज्य में सक्रिय हैं भू-माफिया, मिट रहा नदी-तालाबों का अस्तित्व
- लुट गई जीवन भर की गाढ़ी कमाई
Ranchi : इस समय राज्यभर में भू-माफिया सक्रिय हैं. यही वजह है कि सरकारी, निजी, गैरमजरुआ और नदी, तालाब सिमटते जा रहे हैं. इस काम में सरकारी तंत्र की मिलीभगत भी सामने आने लगी है. फर्जी कागजात बनाकर जमीन बेची जा रही है. कई मामले तो ऐसे हैं जहां नदी के पाट या तालाब को भरकर जमीन बेच दी गई.शिकायत के बाद भी कार्रवाई न होने की वजह यह है कि इस काम में सरकारी तंत्र के शामिल होने की बात कही जा रही है. इस काम में लगे दबंग लोग सीधे सादे लोगों को कम कीमत पर जमीन का लालच देकर अपनी जाल में फंसाते हैं.बाद में यही लोग कार्रवाई के डर से तनावग्रस्त रहते हैं, तो कइयों की गढ़ी कमाई भू-माफिया के चक्कर में डूब जाती हैं. अलग अलग जिलों में भू-माफिया का जाल बिछे होने के कारण ही इन दिनों नदी,तालाबों का अस्तित्व मिटता जा रहा है. शुभम संदेश की टीम ने इस मामले में पड़ताल की है. पेश है रिपोर्ट.
हजारीबाग केे 1000 से अधिक की सांसें अटकीं, कहीं जमीन सरकारी तो नहीं ?
विस्मय अलंकार। हजारीबाग । हजारीबाग स्थित सिरसी मौजा के पंचशील इलाके में प्रशासन के चले बुलडोजर के बाद ‘शुभम संदेश’ की ओर से लगातार की जा रही पड़ताल के बाद चौंकाने वाले खुलासे होने लगे हैं. वर्षों से भू-माफिया और अंचल पदाधिकारियों के गंठजोड़ से जमीन लूट का ऐसा ताना-बाना बुना गया, जिसमें 300 से अधिक आम लोग, जिन्होंने अपनी जमीन व घर का का सपना देखा था, वह तो चकनाचूर हुआ ही, जीवन भर की गाढ़ी कमाई भी लुट गई.
टूट गया अपनी जमीन-अपना घर का सपना
पंचशील में संजीव कुमार ने अपनी गाढ़ी कमाई से दो कट्ठा जमीन बड़े ही मशक्कत से खरीदा था, ताकि अपने बच्चों को अच्छे घर में रख सकें. बोचो निवासी संजीव कुमार नौकरी करते हैं और दो-दो पैसा जमा कर सिरसी में जमीन खरीदी थी. अब खुद को ठगा और फंसा हुआ समझ रहे हैं. उनका कहना है कि बड़ी मशक्कत से जमीन खरीदी थी. गाढ़ी कमाई आज डूबने की कगार में पहुंच गई है. जिस जमीन को खरीदी थी, उसे सरकारी कहा जा रहा है. प्रशासन ने वहां बुलडोजर भी चला दिया है. अब वे लोग कह रहे हैं कि किसके पास जाएं और अपनी गुहार कहां लगाएं. प्रशासन का कहना है कि सरकारी जमीन पर कब्जा किया गया है, लेकिन वह लोग खुद को साधारण आदमी कहते हैं. उनका यह भी कहना है कि वे भू-माफिया नहीं हैं. भू-माफियाओं ने बेवकूफ बनाकर जमीन बेच दी. अब अपनी कमाई से खरीदी हुई जमीन को बचाने के लिए कोर्ट जाएंगे. अगर जमीन सरकारी निकली, तो जो सपना उन लोगों ने अपने बच्चों के लिए देखा था, वह पूरा नहीं होगा.
दर्जन भर कारोबारियों ने लगभग 1000 लोगों को बेच दी 400 एकड़ जमीन
पूरे इलाके में जिसमें सिरसी (2), दामोडीह, खपरियावां और ढेंगुरा मौजा आते हैं, इन मौजा की बहुत जमीन खतियान में गैरमजरूआ खास जंगल झाड़ अंकित है. इसमें से बहुत से खाता प्लाट पर हुकूमनामा और बंदोबस्त से जमीन होने का दावा कर हजारीबाग के नामचीन जमीन कारोबारी प्रदीप प्रसाद, अशोक शर्मा, मोहम्मद मुर्तजा, किशोर सावंत, अधिवक्ता विजय कुमार, अरुण प्रजापति, इंदर गोप, राजकिशोर यादव, स्व. शिवकुमार मोदी और राजेन्द्र अग्रवाल ने लगभग 1000 से अधिक लोगों को 400 एकड़ जमीन बेच डाली. यह सब रजिस्ट्री 2007 से 2016 तक हुई है. इसमें पंचशील में सर्वाधिक रजिस्ट्री की गई.
केस-1 सीओ ने जिसे भेजा अतिक्रमण का नोटिस उसी की काट दी गई लगान की रसीद
ऐसी सरकारी जमीन जिसके सरकारी होने का बोर्ड, इश्तेहार खुद अंचल कार्यालय लगाए और उसी अंकित खाता-प्लॉट का लगान रसीद भी अंचल काटे, तो इसमें अंचलाधिकारी की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता. इस मामले में सबसे अधिक जो अधिकारी चर्चा में रहे, वह हैं तत्कालीन सीओ वीरेंद्र कुमार. पूर्व सीओ वीरेंद्र कुमार जिन्होंने अपने कार्यकाल में एक तरफ जहां अतिक्रमणकारियों को नोटिस भेजकर अतिक्रमण वाद दायर किया, वहीं दूसरी तरफ उसी भू-माफिया की जमीन की रसीद काट दी.
गिरिडीह : सिमट रही नदी, गायब हो रहे तालाब और गैर मजरूआ जमीन
शहरी क्षेत्र ही नहीं पूरे जिले में तालाब,नदी, गैर मजरूआ व सीएनटी जमीन को घेर कर अवैध रूप से बेचा जा रहा है.जानकारी के अनुसार नगर निगम क्षेत्र में फिलहाल 24 तालाब हैं, जिसका अस्तित्व बचा हुआ है. पर शहर के हृदय स्थली के तालाबों मसलन अरगाघाट, पावर हाउस, पुराना पुल के पास बरगंडा में बड़े तालाब का अस्तित्व मिटा दिया गया है. उद्योगपति, कथित नेता और सरकारी अधिकारियों की गठजोड़ ने तालाबों को गायब कर दिया है. शहर के बीचों-बीच से गुजरी उसरी नदी को भी भू-माफियाओं ने नहीं छोड़ा है. धीरे-धीरे इस नदी की चौड़ाई सिमटती जा रही है. बेंगाबाद प्रखंड कार्यालय के सामने स्थित गैर मजरूआ जमीन बेच दी गई है. उस जमीन पर अब मोहल्ला बस चुका है. इस प्रकार के जमीन की रजिस्ट्री नहीं होने के कारण नादावी पत्र बनाकर बेचा जा रहा है.
गिरिडीह में तो जमीन की लूट मची है : राजेश यादव
भाकपा माले राज्य कमेटी सदस्य राजेश यादव ने कहा कि झारखंड अलग राज्य बनने के बाद से ही गिरिडीह में जमीन की लूट मची है. भू-माफिया के कारण कई रैयतों का हक मारा जा चुका है. तालाब भर कर जमीन बेचा जा रहा है. गैर मजरूआ जमीन पर माफिया की विशेष नजर रहती है. इस पर जिला प्रशासन को सख्ती दिखाना होगा तभी जमीन लूट को रोका जा सकता है. इस दिशा में सरकार की ओर से शीघ्र जरुरी कदम उठाने की जरुरत है.अगर इसे समय रहते नहीं रोका गया तो सारे तालाब खत्म हो जाएंगे.
धनबाद : फर्जी कागजात बनाकर खरीद-बिक्री जारी बढ़ा हुआ है भू -माफियाओं का मनोबल
धर्मस्थलों पर भी दबंगों ने कब्जा जमाया, शिकायत पर भी कार्रवाई नहीं हुई
कोयलांचल धनबाद में भी अन्य जगहों की तरह सरकारी-गैरमजरुआ, सीएनटी, नदी-नालों और निजी व सरकारी तालाबों को भर कर जमीन की खरीद बिक्री अथवा उस पर अवैध कब्जा का खेल धड़ल्ले से चल रहा है. कई लोगों का कहना है कि शिकायत करने पर भी कार्रवाई नहीं होती है. दबंग लोग धर्म स्थलों पर भी नजर गड़ाए बैठे हैं. जमीन के फर्जी कागजात बनाकर खरीद-बिक्री भी हो रही है. कोई रोकटोक नहीं रहने के कारण भू माफिया व दबंगों का मनोबल सातवें आसमान पर है.
आदिवासियों के धर्मस्थल पर अवैध कब्जा: जगत महतो
तेलीपाड़ा के जगत महतो ने कहा कि तेलीपाड़ा में बन रहे निगम के पार्क के पास सरकारी जमीन पर कब्जा किया जा रहा है. डीसी के पास इसकी शिकायत दर्ज कराई है. उन्होंने कहा कि शमशान रोड स्थित विवाह मंडप की बगल में नगर निगम पार्क का निर्माण कर रहा है. पार्क के एक छोर पर कुछ दबंग लोग सरकारी जमीन पर कब्जा कर रहे हैं. उस सरकारी जमीन पर आदिवासियों के धर्म स्थल भी है, जिस पर दबंगों ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है.
कार्मिक नगर में हड़पी जा रही है सरकारी जमीन : अमित कुमार
कार्मिक नगर के खाता नंबर 196, मौजा नंबर 6 में भू-माफियाओं द्वारा सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण किया गया है. स्थानीय ग्रामीणों ने इसके खिलाफ लिखित शिकायत थाने में दर्ज कराई है. अमित कुमार ने बताया कि उक्त जमीन सरकारी है. जिस पर अवैध निर्माण किया जा रहा है. विरोध करने के बाद थाने में लिखित शिकायत की गई है. लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नजर नहीं आ रही है. इधर शहर में भू-माफियाओं का मनोबल काफी बढ़ा हुआ है.
लातेहार : भू-माफिया का बिछा जाल रजिस्ट्री विभाग को हैक कर लिया है
भू-माफिया का जाल जिले में इतना मजबूत हो गया है कि वे निबंधन कार्यालय में किसी भी दस्तावेज को मनमाने तरीके से निबंधित कराने में सफल होते जा रहे हैं. कई माफिया ने तो कर्मचारी को ही अपने घरों में बैठा कर डीड लेखन से लेकर रजिस्ट्रेशन तक का काम करवा रहे हैं. कमीशन पर रजिस्ट्री के लिए रजिस्ट्रार पिछले दो वर्षों में कहीं नहीं गए हैं, लेकिन कई ऐसे दस्तावेज हैं जिसकी निबंधन जंगल-झाड़ी खतियान होते हुए भी हो गयी. कई ताईद महज कुछ सेकंड निबंधन कार्यालय में दिखाई पड़ते हैं और उनकी दस्तावेजों का निबंधन बखूबी हो जाता है. लातेहार कोर्ट में कार्यरत कई ताईद आम जनता का दस्तावेजों का निबंधन का कार्य न कर सिर्फ जमीन दलालों और माफिया के लिए ही कार्य करते हैं.उनका दबदबा विभाग पर इतना जबरदस्त है कि उनके द्वारा पेश दस्तावेजों की बगैर कोई खास पड़ताल किए ही निबंधन कर दिया जाता है. जबकि आम दस्तावेजों में इतनी खामियां निकाली जाती है कि उन्हें कई दिनों तक निबंधन कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है. तब उनकी दस्तावेज रजिस्ट्रेशन होती है. लातेहार में भूमि खरीद फरोख्त का धंधा चरम पर है. अपराधी प्रवृत्ति के लोगों की भी भागीदारी बढ़ गई है.
रामगढ़ : धांधर पोखर की जमीन पर माफिया की नजर,फर्जी कागजात पर खरीद -बिक्री
धांधर पोखर तालाब की जमीन पूर्ण रूप से गैरमौजरूआ भूमि बताई जाती है . लेकिन इन दिनों इस तालाब की जमीन को कब्जा करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है. तालाब के किनारे की जमीन का अतिक्रमण किया जा रहा है . धांधर पोखर जमीन संबंधित फर्जी कागजात से खरीद बिक्री हो रही है जबकि यहां के स्थानीय लोगों का दावा है कि धांधर पोखर तालाब की भूमि शुद्ध रूप से गैरमजरूआ सरकारी भूमि है . जिसका खाता नंबर 270 , प्लॉट नंबर 3325 कुल रकबा 57 डिसमिल तालाब भिंड , 3326 – 3.26 एकड़ ( पोखड़ ), एवं 3327 – 76 डिसमिल तालाब भिंड है . जो सरकारी दस्तावेज में गैरमजरूआ भूमि है. सरकारी भूमि पर डीप बोरिंग भी की गई है, जो अवैध है. तालाब की भूमि को बचाने को लेकर यहां के स्थानीय लोगों ने जिले के कई अधिकारियों को पत्र लिखकर गुहार लगाई है .
जमशेदपुर : बागबेड़ा में भू-माफिया की दबंगई सरकारी-निजी तालाब की प्लाटिंग कर बेचा
तीन माह बाद की हरहरगुटू सोमाय झोपड़ी बस्ती तालाब भरे जाने की तस्वीर.
तीन माह पहले जिस तालाब में पानी था, उसे मिट्टी से भरवाया
स्थानीय लोगों ने साधी चुप्पी, भू-माफिया के खिलाफ मुंह खोलने से कतरा रहे हैं
सुप्रीम कोर्ट ने पोखर एवं तालाब को जलश्रोत का माध्यम बताते हुए इसके भरे जाने पर रोक लगा रखी है. लेकिन भू-माफिया सुप्रीम कोर्ट के आदेश को धत्ता बताते हुए धड़ल्ले से सरकारी एवं निजी तालाब को भर रहे हैं. यहीं नहीं भरे गए तालाब की प्लॉटिंग कर उसे बेच भी रहे हैं. यह कार्य जमशेदपुर से सटे बागबेड़ा एवं हरहरगुटू क्षेत्र में जोर-शोर से चल रहा है. इस कार्य में कई भू-माफिया स्थानीय थाना एवं अंचल कार्यालय की मिलीभगत से खासे सक्रिय हैं. जिसमें हरहरगुटू सोमाय झोपड़ी का रहने वाला कृष्णा पात्रो एवं उसका भाई भागीरथ पात्रो शामिल है. दोनों भाइयों की क्षेत्र में तूती बोलती है. उनके खिलाफ कोई मुंह खोलने को तैयार नहीं है. यहां तक कि अंचल कार्यालय भी इस मामले में गोल मटोल जवाब देकर पल्ला झाड़ रहा हैं. दोनों भाइयों की दबंगई इस कदर हावी है कि तीन माह पहले जिस तालाब में पानी हुआ करता था. उस तालाब को ट्रैक्टर से मिट्टी गिरवाकर भरवा दिया. साथ ही दूसरे तालाब को भरने की कवायद दिन-रात चल रही है. इसके लिए कृष्णा पात्रो ने फिलिंग साईट पर बजाप्ते अपना कार्यालय खोल लिया है. वहां उसके गुर्गे दिनरात मिट्टी भराई के कार्य की निगरानी कर रहे हैं.
अंचल कार्यालय ने थाने को अतिक्रमण रोकने के लिए कहा
हरहरगुटू-सोमाय झोपड़ी के जिस तालाब को भू-माफिया भर रहे हैं. साथ ही सरकारी जमीन का अतिक्रमण कर रहे हैं. उसे रोकने के लिए अंचल कार्यालय ने वर्ष 2020 में स्थानीय बागबेड़ा थाना को पत्र भेजा था. लेकिन उक्त पत्र केवल दिखावा साबित हुआ. तीन वर्षो में क्षेत्र के तीन तालाब भर दिए गए. जिसमें घाघीडीह मौजा के अंतर्गत प्लॉट नंबर 2098, खाता नंबर 204 (रकबा 0.23 एकड़), प्लॉट नंबर 2097, खाता नंबर 42 (रकबा 1.70 एकड़) खतियानी रैयत किशन सरदार, पिता बोलाई सरदार का तालाब है. वहीं प्लॉट संख्या 2099 मो. इस्माइल के नाम पर दर्ज है. उक्त तालाब को भू-माफियाओं ने कब्जा कर लिया है तथा उसे भरकर प्लॉटिंग कर बेच रहे हैं. भू-माफियाओं की दंबगई के आगे स्थानीय लोग मूंह खोलने से कतरा रहे हैं. लेकिन पेयजल की किल्लत झेल रहे लोग तालाब भरने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
भू-माफिया खुलेआम भर रहे हैं तालाब : सुमित कुंअर
हरहरगुटू कृष्णापुरी के रहने वाले सुमित कुंअर ने बताया कि क्षेत्र में विगत कई वर्षों से फरवरी मार्च के बाद जल संकट शुरु हो जाता है. इसका प्रमुख कारण पानी का लेयर काफी नीचे चला जाना है. इसके लिए क्षेत्र के भू-माफिया खासे जिम्मेदार हैं. हरहरगुटू क्षेत्र में कई तालाब हुआ करते थे. लेकिन वर्तमान में अधिकांश तालाब का अस्तित्व मिट गया है. एक मात्र राजा तालाब (बड़ा तालाब) बचा है. उसे भी अतिक्रमणकारी धीरे-धीरे भरकर छोटा कर दिए हैं. बाकी के तालाब लगभग खत्म हो गए हैं. वर्तमान में सोमाय झोपड़ी व हरहरगुटू के बीच में बचे हुए देवला मुर्मू का तालाब, मो. इस्माइल का तालाब एवं एक अनाबाद बिहार सरकार का तालाब भू-माफिया धड़ल्ले से भरकर प्लॉटिंग कर रहे हैं. उन्होंने जलश्रोत बनाए रखने के लिए जिला प्रशासन भू-माफियाओं एवं अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
क्षेत्र में फल-फूल रहा है अवैध कारोबार : जितेंद्र
हरहरगुटू एवं सोमाय झोपड़ी क्षेत्र में अवैध कारोबार बेरोकटोक चल रहा है. खासकर जुआ, मटका एवं अवैध शराब की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है. हरहरगुटू के रहने वाले जितेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि सोमाय झोपड़ी क्षेत्र में प्रत्येक चौथे घर में हंडिया एवं अवैध शराब की बिक्री होती है. इसके लिए पुलिस जिम्मेदार है. पुलिस की गस्ती गाड़ी कभी-कभार ही आती है. जिससे अवैध कारोबारियों में किसी तरह का डर-भय नहीं है. वहीं कई जगहों पर अवैध रुप से सरकारी शराब भी बेचा जाता है. निःसंदेह स्थानीय पुलिस की जानकारी के बिना खुलेआम शराब बेचना संभव नहीं है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्षेत्र की युवा पीढ़ी कहां जा रही है. उत्पाद विभाग की ओर जगह-जगह छापेमारी की जाती है. लेकिन उस क्षेत्र में शायद ही छापेमारी होती है.
चाईबासा : गितिलपी इलाके में एसटी जमीन के अवैध हस्तांतरण का प्रयास
मामला उजागर होने पर कब्जा करने वाले ने स्वयं छोड़ा
चाईबासा के मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के मतकमहातु, टुंगरी तथा गितिलपी इलाके में एसटी जमीन के अवैध हस्तांतरण की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं. टुंगरी में ऐसे ही एक मामले में मतकमहातु के ग्रामीणों ने मिलकर गांव के ही एक ग्रामीण की जमीन पर अवैध कब्जे के प्रयास को विफल कर दिया. वहीं कब्जेदार ने बिना किसी विरोध के जमीन छोड़ दी. इसके बाद ग्रामीणों ने जमीन पर सरना झंडा गाड़ दिया. भुक्तभोगी मतकमहातु निवासी सामू देवगम ने बताया कि टुंगरी में उनकी पुश्तैनी जमीन है, जो खतियान में उनके दादा माहती हो के नाम से दर्ज है. यह जमीन सीएनटी एक्ट के अधीनस्थ है. इसका खाता संख्या-49, प्लॉट नंबर-1244 तथा रकवा-0.85 डिसमिल है. इनमें से 0.13 डिसमिल जमीन पंद्रह वर्ष पूर्व टुंगरी निवासी संजय कुमार पाल ने पांच वर्षों के लिये लीज पर ली थी. उसने कहा था कि वह इस जमीन पर गुल फैक्टरी लगायेंगे. लेकिन पांच वर्षों की लीज समाप्ति के बाद भी उसने जमीन पर कब्जा नहीं छोड़ा. तब एसएआर कोर्ट में इसकी शिकायत की गयी. कोर्ट का फैसला मेरे पक्ष में आया और कब्जेदार संजय कुमार पाल ने जमीन छोड़ दी. सामू देवगम ने बताया कि एसएआर कोर्ट में डिग्री के बाद भी उसे जमीन पर कानूनी तौर पर दखल नहीं दिलाया गया. नतीजतन जमीन को लावारिस पाकर जीतेंद्र महतो नामक व्यक्ति कब्जा करने का प्रयास कर रहा था. पहले से बने खंडहरनुमा भवन की मरम्मत करवा रहा था. कब्जेदार जीतेंद्र महतो ने जमीन छोड़ दी.
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