NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच सोमवार को आधार की संवैधानिकता को लेकर दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर विचार करेगी. खबर है कि चैंबर में इस पर विचार किया जायेगा. राज्यसभा सांसद जयराम रमेश की याचिका समेत सात याचिकाओं पर जस्टिस ए एम.खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस बीआर गवई की बेंच चर्चा करेगी.
जान लें कि 26 सितंबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने आधार नंबर की अनिवार्यता और इससे निजता के उल्लंघन पर अहम फैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों वाली संवैधानिक बेंच में से चार जजों ने बहुमत से कहा था कि आधार नंबर संवैधानिक रूप से वैध है. हालांकि पांच जजों वाली बेंच ने आधार पर सर्वसम्मति से फैसला नहीं सुनाया था. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने आधार नंबर को पूरी तरह से असंवैधानिक करार दिया था.
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जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि आधार को मनी बिल की तरह पास करना संविधान से धोखा है
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि आधार को मनी बिल की तरह पास करना संविधान से धोखा है. इस बेंच में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल थे.
बता दें कि याचिकाओं में आधार को बहुमत के फैसले के रूप में बरकरार रखने की सरकार के उद्देश्य को पूरा करने के लिए व्यक्तिगत निजता पर एक उचित प्रतिबंध के रूप में अदालत के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की गयी है.
संविधान पीठ द्वारा रखे गये बहुमत के दृष्टिकोण में आधार को एक अनूठा पहचान प्रमाण जाघोषित किया था, जबकि इसपर असहमति जताते हुए न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने आधार को असंवैधानिक कहा था. याचिकाकर्ताओं ने इस मामले में एक खुली अदालत की सुनवाई और इस आधार पर मौखिक रूप से प्रस्तुत करने की अनुमति मांगी कि संविधान की व्याख्या से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दे वर्तमान मामले में उत्पन्न हुए हैं.
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अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 110 की व्याख्या से संबंधित मुद्दे को बड़ी पीठ के पास भेज दिया
मामले में पुनर्विचार के लिए वरिष्ठ वकील श्याम दीवान द्वारा लिखित नोट में बताया गया है कि एक फैसले में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 13 नवंबर, 2019 को रोजर मैथ्यू बनाम साउथ इंडियन बैंक लिमिटेड के मामले में आधार पर फैसले की शुद्धता पर संदेह व्यक्त किया गया है. अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 110 की व्याख्या से संबंधित मुद्दे को एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया.
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14 नवंबर, 2019 को पारित सबरीमला पुनर्विचार फैसले का हवाला दिया
उन्होंने 14 नवंबर, 2019 को पारित सबरीमला पुनर्विचार फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें पांच न्यायाधीशों की पीठ ने खुली अदालत में सुनवाई की अनुमति दी थी और फिर संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 की व्याख्या के संबंध में निर्धारित कानून के साथ असंगतता पाये जाने पर, अदालत ने इस मामले को कानून पर एक आधिकारिक घोषणा के लिए 9 न्यायाधीशों की एक बड़ी पीठ को संदर्भित किया था.
उन्होंने 11 मई, 2020 को सबरीमाला मामले में एक बार फिर से 9 न्यायाधीशों की संविधान पीठ के एक फैसले पर भरोसा किया है, जहां सुप्रीम कोर्ट ने संदर्भ की स्थिरता को देखते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पास कानून की स्थिति को सही करने के लिए व्यापक और गैर-निहित अधिकार हैं.