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जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि आधार को मनी बिल की तरह पास करना संविधान से धोखा है
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि आधार को मनी बिल की तरह पास करना संविधान से धोखा है. इस बेंच में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल थे. बता दें कि याचिकाओं में आधार को बहुमत के फैसले के रूप में बरकरार रखने की सरकार के उद्देश्य को पूरा करने के लिए व्यक्तिगत निजता पर एक उचित प्रतिबंध के रूप में अदालत के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की गयी है. संविधान पीठ द्वारा रखे गये बहुमत के दृष्टिकोण में आधार को एक अनूठा पहचान प्रमाण जाघोषित किया था, जबकि इसपर असहमति जताते हुए न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने आधार को असंवैधानिक कहा था. याचिकाकर्ताओं ने इस मामले में एक खुली अदालत की सुनवाई और इस आधार पर मौखिक रूप से प्रस्तुत करने की अनुमति मांगी कि संविधान की व्याख्या से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दे वर्तमान मामले में उत्पन्न हुए हैं. इसे भी पढ़े : हरियाणा">https://lagatar.in/police-lathi-charge-teargas-shells-fired-on-farmers-protesting-against-kisan-mahapanchayat-of-haryana-cm/16749/">हरियाणासीएम की किसान महापंचायत का विरोध कर रहे किसानों पर पुलिस का लाठी चार्ज, आंसूगैस के गोले दागे
अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 110 की व्याख्या से संबंधित मुद्दे को बड़ी पीठ के पास भेज दिया
मामले में पुनर्विचार के लिए वरिष्ठ वकील श्याम दीवान द्वारा लिखित नोट में बताया गया है कि एक फैसले में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 13 नवंबर, 2019 को रोजर मैथ्यू बनाम साउथ इंडियन बैंक लिमिटेड के मामले में आधार पर फैसले की शुद्धता पर संदेह व्यक्त किया गया है. अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 110 की व्याख्या से संबंधित मुद्दे को एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया. इसे भी पढ़े : ममता">https://lagatar.in/mamtas-announcement-free-corona-vaccine-will-be-provided-to-the-people-of-west-bengal/16736/">ममताका एलान, पश्चिम बंगाल के लोगों को मुफ्त कोरोना वैक्सीन लगायी जायेगी

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