शेयरों की खरीद-बिक्री में गड़बड़ी का है मामला
नवंबर 2007 में RPL के शेयरों की नकद और वायदा खंड में खरीद और बिक्री से जुड़ा हुआ है. इस कंपनी के शेयरों की नकद और फ्यूचर खरीद में गड़बड़ी पायी गयी है. इससे पहले रिलायंस ने मार्च 2007 में RPL में 4.1 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का निर्णय लिया था. इस सूचीबद्ध सहायक कंपनी का 2009 में रिलायंस में विलय हो गया था. इसे भी देखें:रिलायंस सहित अन्य पर लगा जुर्माना
SEBI ने रिलायंस इंडस्ट्रीज पर 25 करोड़ रुपया का और मुकेश अंबानी पर 15 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. इसके साथ ही SEBI ने नवी मुंबई सेज प्राइवेट लिमिटेड से 20 करोड़ रुपये और मुंबई सेज लिमिटेड को 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. इसे भी पढ़ें:बूढ़े">https://lagatar.in/alert-story-of-old-baduin/14506/">बूढ़ेबदूईन का सचेत करने वाला किस्सा
रिलायंस की धोखाधड़ी से अनजान थे निवेशक
इस मामले की सुनवाई करने वाले SEBI के अधिकारी बीजे दिलीप ने 95 पेजों पर आदेश जारी किया है. दिलीप ने कहा कि इस यदि बाजार में Securities की मात्रा या कीमतों में अगर किसी भी तरह की गड़बड़ी होती है तो इससे निवेशकों के विश्वास को चोट पहुंचती है. इन गड़बड़ी से सबसे अधिक प्रभावित निवेशक होते हैं. यही कारण है कि SEBI अपनी नजर शेयर बाजार पर बनाये रखता है. SEBI ने कहा कि निवेशक इस बात से अनजान थे कि इन सभी हेराफेरी के पीछे रिलायंस का हाथ है. रिलायंस की इन धोखाधड़ी वाले कारोबार से नकद, वायदा और विकल्प खंड दोनों में RPL की प्रतिभूतियों की कीमतों पर असर पड़ा है. इससे निवेशकों के हितों को भी काफी नुकसान पहुंचा है. इसे भी पढ़ें:लोन">https://lagatar.in/lone-app-web-and-poonawala-finance/14514/">लोनएप का जाल और पूनावाला फाइनेंस