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पत्थर की मूरत की तरह कोर्ट के निर्देश सुनते हैं राज्य के सचिव: हाईकोर्ट

Ranchi : झारखंड हाईकोर्ट कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि राज्य के सचिव पत्थर की मूरत की तरह कोर्ट के निर्देश सुनते हैं, लेकिन कुछ करने की जहमत नहीं उठाते. उन्हें लगता है कि अदालत रिक्वेस्ट कर रही है. अदालत में सिर्फ एफिडेविट-एफिडेविट का खेल खेला जा रहा है. अगर स्थिति नहीं सुधरी तो, लोग आक्रोशित हो जायेंगे. झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की.

एक साल में रिम्स में कोई बदलाव नहीं आया

मंगलवार को सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य सचिव,  रांची के उपायुक्त, रिम्स निदेशक और सिविल सर्जन अदालत के समक्ष ऑनलाइन उपस्थित हुए. सरकार की तरफ से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने बताया कि आकस्मिक स्थिति को देखते हुए रांची सदर अस्पताल में 300 ऑक्सीजन बेड का इंतजाम कर दिया गया है. रिम्स के लिए सीटी स्कैन मशीन की खरीददारी की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि इतिहास सबक सीखने के लिए है. स्पेनिश फ्लू ने कई जानें ली थी. लेकिन पिछले एक साल में रिम्स की स्थिति में कोई सुधार नहीं आया.

मौजूदा स्थिति को कोर्ट ने बताया गंभीर

कोर्ट ने कहा कि 2020 से 2021 तक अब तक सरकार ने कुछ नहीं किया.

कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि -

"कहां तो तय था चराग़ां हर एक घर के लिए

कहां चराग मयस्सर नहीं शहर के लिए"

अदालत ने मौजूदा स्थिति को गंभीर बताते हुए कहा कि रिम्स के डॉक्टर अच्छे हैं, लेकिन यहां बेसिक इक्यूपमेंट नहीं हैं. अदालत ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए शनिवार की तिथि मुकर्रर करते हुए प्रोग्रेस रिपोर्ट मांगी है. यह जानकारी रिम्स की तरफ से अदालत में पक्ष रख रहे अधिवक्ता आकाशदीप ने दी.