Seraikela (Bhagya Sagar Singh) : सरायकेला-खरसावां जिले के अधिसंख्य किसान सिंचाई की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं रहने के कारण अपनी खेती सिर्फ प्रकृति के भरोसे ही करते हैं. रोहिणी नक्षत्र से ही टकटकी लगाए आसमान की ओर नजरें गड़ाए मानसून की बारिश को ताकते व भांपते हुए चलते हैं. किसानों के अनुसार धान की खेती के लिये जून माह की हल्की बारिश भी ठीक रहती है. लेकिन जुलाई माह में पर्याप्त बारिश की जरूरत होती है, जो कि इस वर्ष नहीं हुई. जुलाई के अंतिम माह से अगस्त माह में जिस तरह बारिश हो रही है, इसकी शुरुआत अगर एक पखवाड़े पहले होती तो भी खेती कार्य कुछ संतोषजनक रहते.
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सरायकेला में 210.8 मिलीमीटर हुई वर्षा
अगस्त माह में होने वाली इस बारिश को किसान “का बरखा जब कृषि सुखाने” बता रहे हैं. अगस्त माह में जिले में अब तक 1684.3 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गयी है. प्रखंडवार सरायकेला 210.8, खरसावां 199.4, कुचाई 307.2, गम्हरिया 220.6, राजनगर 142.9, चांडिल 189.6, नीमडीह 172, ईचागढ़ 133.4 एवं कुकडु प्रखंड में 108.4 मिलीमीटर वर्षा हुई है.
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अंतिम दिनों हो रहे बारिश में भी कुछ किसानों ने की रोपनी
किसानों के लिए खेती कार्य करना एक तरह का नशा होता है. इसके कारण किसान अवसर मिलते ही खेतों की ओर दौड़ लगा देते हैं. उसी तर्ज पर अंतिम दिनों हो रहे बारिश पर भी कुछ किसान जिनके धान के चारे एवं पौध बचे हुए थे, उन्होंने अनेक उम्मीदों के साथ रोपनी कर दी है. ऐसे फसल में अभी से रोगों के प्रकोप नजर आने लगे हैं तथा पौध की बढ़वार भी बाधित हुई है. किसानों के अनुसार असमय किये गए खेती से पौधों पर विभीन्न कीड़ों का प्रकोप होता है तथा फसल उत्पादन भी नहीं के बराबर होती है. लेकिन किसान कभी भी उम्मीद नहीं छोड़ने चाहते.
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