Seraikela,(Bhagya sagar singh) सरायकेला जिला मुख्यालय पुराने बस स्टैंड परिसर पर वर्षों पूर्व स्थापित भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की मूर्ति की स्थिति इन दिनों रख रखाव के अभाव में आम जनों की नजरों से छुपती जा रही है. ऐसे ऐतिहासिक महापुरुषों की मूर्तियों की स्थापना जिस किसी व्यक्ति या संस्थान द्वारा किया गया हो उनके तत्कालिक सोच के विपरीत स्थिति मौजूदा वक्त में बनी हुई है. उद्देश्य अवश्य यही रहा होगा कि भारत रत्न की मूर्ति को देख उनके प्रति हमेशा आदर का भाव बना रहे एवं सदा स्मरणीय रहें. परन्तु रख रखाव के अभाव में मूर्तियों की जो स्थिति बनती जा रही है वह नयी पीढ़ी के मानस पटल पर क्या छाप छोड़ रही है यह स्वयं समझा जा सकता है. छऊ नृत्य के कारण कलानागरी सरायकेला में नजदीकी राज्य ही नहीं बल्कि विदेशों से आने वाले कलाकारों के नजरों में भी यह दृश्य अवश्य आते होंगे. नगरपंचायत कार्यालय से लगभग सौ मीटर की दूरी पर डॉ .राजेन्द्र प्रसाद की मूर्ति स्थापित है. तिरपाल की आड़ और रस्सियों से घिरे शुद्ध हवा एवं प्रकाश से वंचित भारत रत्न की स्थिति से प्रतिदिन कार्यालय आते जाते पदाधिकारी एवं जनप्रतिनिधि भी सम्भवतः अनभिज्ञ हैं.
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स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ही नजर आते हैं देशरत्न
प्रतिवर्ष स्वतंत्रता दिवस एवं गणतंत्र दिवस मनाते समय ही क्षेत्र में स्थापित ऐतिहासिक महापुरुषों के मूर्तियों एवं स्थान की साफ सफाई की जाती है. गले में फूल की मालाएं डाल कर धूप अगरबत्ती के साथ माथा टेका जाता हैं. कार्यक्रम समाप्ति के कुछ घण्टों बाद ही फिर रस्सी कनात तिरपाल इत्यादि के घेरे में देशरत्न छुप जाते हैं. कभी-कभी कुछ प्रबुद्ध जनों द्वारा उनके जयंती एवं पुण्यतिथि पर श्रद्धासुमन अर्पित कर दिए जाते हैं. कुछ प्रबुद्धजनों का यह भी कहना है कि मूर्ति के अगल-बगल या सामने दुकान या ठेला लगाने वालों को रोजगार के लिए अन्य स्थान उपलब्ध कराना चाहिए. अन्यथा मूर्ति को ही किसी खुले एवं साफ जगह पर पुनर्स्थापित किया जाना चाहिए.
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