पाषाण प्रतिमा में ग्रामीणों की अटूट आस्था
ग्रामीण बताते हैं कि कोकेबेड़ा में जंगल-झाड़ियों के बीच मां नाकटी देवी की पाषाण प्रतिमा तिरछे भाव में जमीन पर गड़ी हुई थी. ग्रामीणों ने उसे सीधाकर प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कराई और उसके बाद से विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाने लगी. मां नाकटी की पाषाण प्रतिमा पर ग्रामीणों की अटूट आस्था है. बताया जाता है कि प्राचीन समय में कभी यहां वनदेवी माता का मंदिर हुआ करता था. जहां राजा पूजा-अर्चना करने पहुंचते थे. जिस स्थान पर पाषाण की मूर्ति है, उस स्थान को ग्रामीण नाकटी थान कहते हैं और देवी को मां मां नाकटी के नाम से पुकारते हैं. ऐसी मान्यता है कि नवरात्र में माता नकटी देवी मंदिर में मांगी गई मन्नतें पूरी होती हैं.नवरात्र पर होंगे धार्मिक व सांस्कृतिक अनुष्ठान
चांडिल प्रखंड की हेंसाकोचा पंचायत के कोकेबेड़ा गांव में इस वर्ष भी चैती दुर्गा पूजा का आयोजन किया जा रहा है. यहां चैत्र नवरात्रि में महाषष्ठी के दिन तीन अप्रैल से देवी की आराधना की जाएगी. पांच अप्रैल का महाष्टमी की पूजा होगी. उसी रात 12:23 बजे संधि पूजा होगी. इस अवसर पर कोकेबेड़ा में धार्मिक व सांस्कृतिक अनुष्ठान होगे. एक स्थान पर श्रीधाम वृंदावन के पंडित भक्तों को धार्मिक प्रवचन देंगे, तो दूसरे स्थान पर तीन दिवसीय रामायण पाठ का आयोजन किया गया है. इस विशेष अवसर पर उस्ताद श्यामापद महतो व उस्ताद मुक्ता राम सहिस के दल के बीच छऊ नृत्य का भी आयोजन किया गया है. आयोजन को लेकर व्यापक स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं. यह भी पढ़ें : रांची">https://lagatar.in/ranchi-rain-with-strong-winds-hail-fell/">रांचीमें शाम होते ही तेज हवाओं के साथ बारिश शुरू, ओले गिरे
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